कोलकाता। कलकत्ता हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति चिंतरंजन दास सोमवार को सेवानिवृत्त हो गए। उन्होंने कहा कि वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सदस्य थे।
न्यायमूर्ति दास ने कहा कि यदि संगठन उन्हें किसी भी सहायता या किसी ऐसे काम के लिए बुलाता है जिसमें वह सक्षम हैं तो वह संगठन में वापस जाने को तैयार हैं। उन्होंने कहा कि कुछ लोगों को भले ही अच्छा न लगे, मुझे यहां स्वीकार करना होगा कि मैं आरएसएस का सदस्य था और हूं। न्यायमूर्ति दास स्थानांतरण पर उड़ीसा हाईकोर्ट से कलकत्ता हाईकोर्ट आए थे।
दास बोले मैंने सभी का माना समान
अपने विदाई भाषण में दास ने कहा कि मैंने सभी को समान माना है, चाहे वे अमीर हों, गरीब हों, कम्युनिस्ट हों या भाजपा, कांग्रेस या तृणमूल से जुड़े हों। मेरे सामने सभी बराबर थे। बता दें कि न्यायमूर्ति दाश की अध्यक्षता वाली खंडपीठ की एक नाबालिग के यौन शोषण से संबंधित मामले में अपनी टिप्पणियों ने विवाद खड़ा कर दिया था। जिसे बाद में सर्वोच्च न्यायालय ने गलत और समस्याग्रस्त करार दिया था। पीठ ने कहा था कि किशोरियों को दो मिनट के आनंद के लिए समर्पित होने के बजाय अपनी यौन इच्छाओं पर नियंत्रण रखना चाहिए। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि न्यायाधीशों को उपदेश देने के बजाय कानून और तथ्यों के आधार पर मामले का फैसला करना चाहिए। दाश ने कहा कि मेरे मन में किसी के प्रति कोई पूर्वाग्रह नहीं है। न्याय के अनुकूल कानून को तोड़ा जा सकता है लेकिन न्याय को कानून के अनुकूल नहीं तोड़ा जा सकता। हो सकता है कि मैंने गलत किया हो, मैंने सही भी किया हो सकता है।