बिहार के पूर्व उप-मुख्यमंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ नेता सुशील मोदी ने 72 साल की उम्र में बीती रात दिल्ली के AIIMS अस्पताल में अंतिम सांस ली. वो पिछले कुछ समय से कैंसर की बीमारी से जूझ रहे थे. सुशील मोदी का पार्थिव शरीर आज उनके पटना के राजेंद्र नगर आवास पर लाया जाएगा. यहीं उनका अंतिम संस्कार होगा. उनके निधन से राजनीतिक गलियारों में शोक की लहर दौड़ गई.
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सुशील कुमार मोदी के निधन पर दुख व्यक्त किया है. उनके निर्देश पर सुशील कुमार मोदी का पार्थिव शरीर विशेष विमान से दिल्ली से पटना लाया जाएगा. मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से जारी बयान के अनुसार, सुशील मोदी का अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा. सीएम ने उनकी पत्नी जेसी जॉर्ज से टेलीफोन पर बात कर सांत्वना दी.
पीएम मोदी और अमित शाह ने व्यक्त किया शोक
पीएम मोदी ने सुशील कुमार मोदी के निधन पर सोशल मीडिया के जरिए शोक संवेदना व्यक्त की. उन्होंने कहा कि पार्टी में अपने मूल्यवान सहयोगी और दशकों से मेरे मित्र रहे सुशील मोदी के असामयिक निधन से अत्यंत दुख हुआ है. बिहार में बीजेपी के उत्थान और सफलताओं के पीछे उनका अमूल्य योगदान रहा है. गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि हमारे वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी जी के निधन की सूचना से आहत हूं. बिहार ने राजनीति के एक महान पुरोधा को हमेशा के लिए खो दिया.
बिहार के उप-मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिन्हा ने भी उनके निधन पर शोक प्रकट किया. सम्राट चौधरी ने कहा कि सुशील मोदी का निधन अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है. यह बिहार राजनीति के लिए अपूर्णीय क्षति है. वे पार्टी को मजबूत करने वाले, पार्टी को दिशा देने वाले नेता थे. उन्होंने हमेशा पार्टी की चिंता की. बीजेपी नेता रविशंकर प्रसाद ने कहा कि वे उनके बड़े भाई के समान थे. उन्होंने छात्र संघ में साथ काम किया. जेल में साथ रहे, लाठी भी खाई. जब लालू प्रसाद अपनी पराकाष्ठा पर थे, उस समय उनके खिलाफ कोई खड़ा नहीं हुआ. सुशील मोदी जो हिम्मत दिखाई, उससे बिहार की राजनीति बढ़ी. बिहार बीजेपी को आगे बढ़ाने में उनकी बहुत बड़ी भूमिका थी. उनकी ये जाने की उम्र नहीं थी.
सुशील मोदी 30 साल रहे राजनीति में सक्रिय
30 साल से ज्यादा के सियासी करियर में सुशील मोदी विधायक, विधान परिषद सदस्य, लोकसभा सदस्य और राज्यसभा के सदस्य रहे. वो दो बार बिहार के उप मुख्यमंत्री रहे. सुशील मोदी का राजनीतिक करियर पटना विश्वविद्यालय में एक छात्र कार्यकर्ता के रूप में शुरू हुआ.