विश्व प्रसिद्ध श्रावणी मेला के मद्देनजर भागलपुर से सुल्तानगंज तक सड़क का निर्माण कार्य हर हाल में 25 जून तक पूरा होगा। इसको लेकर डीएम ने एनएच-80 के कार्यपालक अभियंता को सख्त निर्देश दिया है। डीएम ने कहा कि इस बार श्रावणी मेला 22 जुलाई से शुरू होकर 19 अगस्त को खत्म हो रहा है।
लोकसभा चुनाव की आचार संहिता जून के पहले सप्ताह में खत्म होगी। इसके बाद सभी कार्यालयों को युद्धस्तर पर जुटना होगा। इस बार तैयारी के लिए काफी कम समय हमारे पास है। लेकिन सारा तंत्र एकजुट होकर लगेगा तो सावन शुरू होने से पहले तक काम खत्म हो जाएगा। पथ निर्माण विभाग से कांवरिया पथ के रखरखाव से लेकर कच्ची कांवरिया पथ की स्थिति की जानकारी ली गई।
डीएम ने कहा कि इस पर जल्द ही विशेष बैठक करेंगे। डीएम ने श्रावणी मेला को लेकर सुल्तानगंज में 50 कमरों का एक धर्मशाला निर्माण का प्रस्ताव भी तैयार करने के निर्देश दिया, ताकि कांवरियों को श्रावणी मेला में सहूलियत हो। बैठक में सभी संबंधित यांत्रिक विभाग के पदाधिकारी व अभियंता मौजूद रहे।
श्रावणी मेला एक महत्वपूर्ण हिन्दू धार्मिक मेला है, जिसे विशेष रूप से बिहार और झारखंड के देवघर स्थित बाबा बैद्यनाथ धाम में मनाया जाता है। यह मेला श्रावण मास (जुलाई-अगस्त) के दौरान होता है और इसमें लाखों श्रद्धालु शामिल होते हैं।
श्रावणी मेला एक महत्वपूर्ण हिन्दू धार्मिक मेला है, जिसे विशेष रूप से बिहार और झारखंड के देवघर स्थित बाबा बैद्यनाथ धाम में मनाया जाता है। यह मेला श्रावण मास (जुलाई-अगस्त) के दौरान होता है और इसमें लाखों श्रद्धालु शामिल होते हैं।
श्रावणी मेला के मुख्य पहलू:
- बाबा बैद्यनाथ धाम: यह स्थान बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है और इसे बहुत पवित्र माना जाता है। भक्तगण यहाँ भगवान शिव की पूजा-अर्चना करने के लिए आते हैं।
- कांवड़ यात्रा: श्रावणी मेले के दौरान, श्रद्धालु कांवड़ लेकर पैदल यात्रा करते हैं। ये कांवड़ यात्री गंगा नदी से पवित्र जल लेकर आते हैं और बाबा बैद्यनाथ धाम में शिवलिंग पर जलाभिषेक करते हैं।
- श्रावण मास: इस मास को भगवान शिव का प्रिय महीना माना जाता है। भक्तगण इस महीने में विशेष व्रत और पूजा करते हैं।
- पवित्र स्नान: देवघर में पवित्र स्नान करने का भी विशेष महत्व होता है। कई श्रद्धालु यहां आकर पवित्र स्नान करते हैं और भगवान शिव की आराधना करते हैं।
- संस्कृतिक कार्यक्रम: मेले के दौरान विभिन्न संस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी होता है, जिसमें धार्मिक प्रवचन, भजन-कीर्तन, नाटक आदि शामिल होते हैं।
श्रावणी मेले का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व बहुत अधिक है। यह मेले भक्तों की श्रद्धा और आस्था का प्रतीक है और इस दौरान बाबा बैद्यनाथ धाम का पूरा क्षेत्र भक्ति और उत्सव के माहौल से भर जाता है।