इन स्थितियों में उम्मीदवार करा सकेंगे गिनती
● अगर किसी स्थान (निर्वाचन क्षेत्र) में किसी उम्मीदवार के जीत का अंतर वहां पड़े कुल वोटों से कम है, तो ऐसी स्थिति में उस पोलिंग स्टेशन के वीवीपैट की पर्ची की गिनती की जाएगी।
● अगर किसी पोलिंग स्टेशन पर जीत का अंतर वहां पड़े कुल वोटों से कम है तथा संबंधित बूथ पर गणना में किसी तरह की समस्या या गड़बड़ी आ रही है, तो वैसी स्थिति में वीवीपैट के पर्ची की गिनती होगी।
● जिस पोलिंग स्टेशन के ईवीएम का परिणाम कंट्रोल पैनल के डिस्प्ले बोर्ड पर नहीं दिख रहा है, वहां वीवीपैट की पर्ची की गिनती होगी।
● अगर किसी मामले में चुनाव आयोग के स्तर से कोई निर्देश आता है, तो वीवीपैट की पर्ची की गणना की जाएगी।
लोकसभा चुनाव में इस बार वोटों की गिनती के दौरान वीवीपैट से निकली सभी पर्चियों की भी गिनती की मांग बड़ी संख्या में जन प्रतिनिधि, नेता से लेकर बड़ी संख्या में लोगों ने चुनाव आयोग से की है।
आयोग ने इस मांग को सिरे से खारिज करते हुए कहा है कि वीवी पैट की सभी पर्ची को गिनने का मतलब वोटिंग की फिर से पुरानी परंपरा को वापस लाने जैसा है। जहां, वैलेट पेपर की काउंटिंग होती थी। इस व्यवस्था में मानवीय भूल होने की संभावना भी अधिक रहती है, जिसका सीधा असर चुनाव परिणाम पर पड़ सकता है। साथ ही यह प्रक्रिया काफी समय लगने वाली है और इसमें खर्च भी अधिक होगा।
वीवीपैट की गिनती का यह है प्रावधान: वीवी पीएटी या पैट (वोटर वेरिफायवल पेपर ऑडिट ट्रेल) की गिनती का प्रावधान चुनाव आयोग ने तय किया है। इसके अनुसार, प्रत्येक विधानसभा की पांच पोलिंग बूथ का चयन रैंडम तरीके से किया जाएगा और इनके वीवी पैट की पर्ची की गिनती कर इसका मिलान ईवीएम में डाले गए वोट से किया जाएगा। अगर दोनों का मिलान सही पाया गया, तो काउंटिंग सामान्य तरीके से ईवीएम के जरिए की जाएगी। यह प्रक्रिया अनिवार्य रूप से सभी लोकसभा क्षेत्रों की गणना में अपनानी होगी।
सबसे पहले नगालैंड में उपयोग हुआ था वीवीपैट
देश में वीवीपैट का सबसे पहले उपयोग नगालैंड के लाक्सेन विधानसभा में 2013 में उपयोग किया था। बिहार में 2015 के विधानसभा चुनाव में इसका प्रयोग प्रत्येक जिले के एक-एक विधानसभा में पॉयलट प्रोजेक्ट के तौर पर किया गया था। इसके बाद इसका उपयोग पूरी तरह से सभी लोकसभा और विधानसभा चुनावों में किया जाने लगा