संकट में चंपाई सोरेन सरकार, कांग्रेस विधायकों ने बढ़ाई मुश्किल

IMG 9933

झारखंड में चंपाई सोरेन के कैबिनेट विस्तार के बाद एक बार फिर सियासी हलचल तेज हो गई है।

झारखंड में चंपाई सोरेन के कैबिनेट विस्तार के बाद एक बार फिर सियासी हलचल तेज हो गई है. कांग्रेस विधायकों ने चंपाई सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है और आलाकमान से बात करने राजधानी दिल्ली पहुंच गए हैं. कांग्रेस के कुछ विधायक पार्टी कोटे से मंत्रियों के रिपीट होने पर नाराज हैं. दरअसल, कांग्रेस विधायकों को उम्मीद थी कि चंपाई सोरेन सरकार में पार्टी के उन विधायकों को मंत्री नहीं बनाया जाएगा जो हेमंत सोरने की कैबिनेट में मंत्री थे. ऐसे में कांग्रेस विधायकों के मंत्री बद के लिए अपना नंबर आने की उम्मीद थी. लेकिन उनकी उम्मीद उस समय टूट गई जब चंपाई कैबिनेट विस्तार में पुराने चेहरों का नाम आगे आया. ऐसे कांग्रेस के 12 से ज्यादा विधायक नाराज हो गए।

पाई सोरेन की सरकार खतरे में

ये नाराज विधायक झारखंड से दिल्ली के लिए कूच कर गए हैं. इन विधायकों का मकसद पार्टी आलाकमान को अपनी नाराजगी से अवगत कराना है. वहीं, अगर कांग्रेस के 12 विधायकों को रुख यही रहा तो चंपाई सोरेन की सरकार खतरे में पड़ सकती है. इसके साथ ही कांग्रेस विधायकों ने मांगें पूरी न होने पर झारखंड विधानसभा के बजट सत्र से भी दूरी बनाने की चेतावनी दी है, जो चंपाई सोरेन सरकार के लिए किसी भी लिहाज से अच्छा नहीं माना जा सकता है।

कांग्रेस के 12 विधायक बजट सत्र में शामिल नहीं होंगे

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी द्वारा गिरफ्तारी के बाद हेमेंत सोरने ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. जिसके बाद चंपाई सोरने को सीएम पद मिला था. चंपाई सोरेन ने पांच फरवरीी को झारखंड विधानसभा में 47 विधायकों के साथ अपना बहुमत साबित किया था. इसमें झारखंड मुक्ति मोर्चा के 27, राष्ट्रीय जनता दल के 16 और भाकपा के दो विधायकों ने वोट डाला था. ऐसे में अगर कांग्रेस के 12 विधायक बजट सत्र में शामिल नहीं होते तो चंपाई सरकार के पास केवल 35 से 36 विधायकों का ही समर्थन शेष बच जाएगा।

झारखंड विधानसभा में कांग्रेस के 16 विधायक

झारखंड विधानसभा में कांग्रेस के 16 विधायक हैं. इनमें से 4 को मंत्री बना दिया गया है, जबकि दो तिहाई यानी 12 विधायक नाराज चल रहे हैं. राजनीतिक जानकारों की मानें तो अगर कांग्रेस विधायकों की नाराजगी बढ़ी तो पार्टी टूटने की कगार पर पहुंच सकती है।