सरकार ने सोमवार को ‘पीएम-सूर्य घर: मुफ्त बिजली योजना’ के तहत ‘मॉडल सौर गांव’ के क्रियान्वयन के लिए परिचालन दिशानिर्देश जारी किए।नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार योजना के घटक ‘मॉडल सौर गांव’ के अंतर्गत देश के हर जिले में एक मॉडल सौर गांव बनाने पर जोर दिया गया है। इसका लक्ष्य सौर ऊर्जा को अपनाने को बढ़ावा देना और ग्रामीण समुदायों को अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने में आत्मनिर्भर बनाना है।
मंत्रालय ने बताया कि इस घटक के लिए कुल 800 करोड़ रुपये का वित्तीय परिव्यय आवंटित किया गया है, जिसमें से चयन किए गए प्रत्येक मॉडल सौर गांव को एक करोड़ रुपये प्रदान किए जाएंगे।
गांव को प्रतियोगिता मोड के तहत मानने के लिए उस गांव को 5,000 (विशेष श्रेणी के राज्यों के लिए 2,000) से अधिक आबादी वाला राजस्व गांव होना चाहिए। चयन प्रक्रिया में एक प्रतिस्पर्धी मोड शामिल है। इसमें गांवों का मूल्यांकन जिला स्तरीय समिति (डीएलसी) द्वारा संभावित उम्मीदवारी की घोषणा के 6 महीने में उनकी समग्र वितरित नवीकरणीय ऊर्जा (आरई) क्षमता के आधार पर किया जाता है।
प्रत्येक जिले में सबसे अधिक नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता वाले विजेता गांव को एक करोड़ रुपये का केंद्रीय वित्तीय सहायता अनुदान दिया जाएगा। इस योजना का कार्यान्वयन जिला स्तरीय समिति (डीएलसी) की देखरेख में राज्य/केन्द्र शासित प्रदेश नवीकरणीय ऊर्जा विकास एजेंसी द्वारा किया जाएगा। इससे चयनित गांव प्रभावी रूप से सौर ऊर्जा से चलने वाले समुदायों में परिवर्तित होकर देश के अन्य गांवों के लिए मॉडल के रूप में काम करेंगे।
उल्लेखनीय है कि भारत सरकार ने 29 फरवरी, 2024 को पीएम-सूर्य घर: मुफ्त बिजली योजना को मंजूरी दी थी। इसका उद्देश्य छतों पर लगने वाले सौर संयंत्रों की क्षमता की हिस्सेदारी बढ़ाना और आवासीय घरों को बिजली उत्पादन के लिए सशक्त बनाना है। इस योजना का परिव्यय 75,021 करोड़ रुपये है और इसे 2026-27 तक लागू किया जाना है।