दुनिया को लोकतांत्रिक मूल्यों का पाठ पढ़ाता सबसे शक्तिशाली देश अमेरिका क्या इस बार वो करेगा जो भारत दशकों पहले कर चुका है! क्या देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद पर एक महिला काबिज हो पाएगी? क्या भारतीय अफ्रीकी मूल की कमला हैरिस को अमेरिका अपनी कमान सौंपेगा?
ये सवाल इसलिए उठ रहे हैं क्योंकि इतिहास रचने की दहलीज पर ये देश खड़ा है। डेमोक्रेट्स ने बाइडेन के खुद ही चुनावी समर से हटने के बाद कमला हैरिस को अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया है। अगर ये देश चाहेगा तो अमेरिका के राजनीतिक इतिहास में इस बार वो होगा जो इससे पहले कभी नहीं हुआ।
अमेरिका की पहली महिला उपराष्ट्रपति कमला हैरिस अब अमेरिका के राष्ट्रपति पद की दौड़ में भी शामिल हो गई हैं। वह पहली भारतीय-अफ्रीकी मूल की महिला हैं, जो राष्ट्रपति की रेस में शामिल हुई हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के पीछे हटने के बाद कमला हैरिस को आधिकारिक तौर पर डेमोक्रेटिक पार्टी की उम्मीदवार चुना गया।
कमला हैरिस 20 जनवरी, 2021 को अमेरिका की पहली उपराष्ट्रपति बनी थी। उनसे पहले कोई भी महिला इस पद तक नहीं पहुंच पाई। हालांकि, 2016 में राष्ट्रपति पद के लिए हिलेरी क्लिंटन ने डोनाल्ड ट्रंप को चुनौती दी थी। लेकिन, उन्हें हार का सामना करना पड़ा। कमला का जन्म 20 अक्टूबर 1964 को कैलिफोर्निया में भारतीय और जमैकन मूल के माता-पिता के घर में हुआ था। कमला हैरिस की मां श्यामा गोपालन भारतीय मूल की थीं और उनके पिता डोनाल्ड जैस्पर हैरिस का नाता जमैका से था। कमला हैरिस के लिए बचपन अच्छा नहीं बीता।
वह जब सात साल की थीं तो उनके माता-पिता अलग हो गए। उनकी मां श्यामला गोपालन ने ही कमला और उनकी बहन की देखरेख की। उन्होंने अपनी मां के जीवन से काफी कुछ सीखा। बचपन के दिनों में अपनी मां के साथ हिंदू मंदिर जाती थीं। इस दौरान उनका भारत भी आना-जाना लगा रहा। उन्होंने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी और कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी से कानून की पढ़ाई की। कमला हैरिस ने साल 2014 में वकील डगलस एम्पहॉफ से शादी की। उनके पति यहूदी हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के 235 वर्ष के इतिहास में कमला हैरिस को जीत का प्रबल दावेदार माना जा रहा है। लेकिन क्या महिला सशक्तिकरण की मुनादी करने वाला देश वो कर दिखाएगा जिसे भारत दशकों पहले साबित कर चुका है?
भारत की बात करें तो इंदिरा गांधी देश की प्रथम प्रधानमंत्री रहीं। एक बार नहीं तीन बार 1966 से 1977 तक फिर 1980 से 84 तक यानि देश की आजादी के डेढ़ दशक बाद ही महिला सशक्तिकरण का अद्भूत उदाहरण भारत ने पेश किया। वहीं राष्ट्रपति के पद पर भी दो महिलाओं को इस देश ने चुना । प्रतिभा देवी सिंह पाटिल, 2007 से 2012 तक तो वर्तमान में द्रौपदी मुर्मू सर्वोच्च संवैधानिक पद पर 2022 से आसीन हैं।