सुप्रीम कोर्ट ने अग्नि के समक्ष सात फेरे पूरे नहीं होने के आधार पर शादी रद्द किए जाने के पटना हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी है। शीर्ष कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दुल्हन की अपील पर यह अंतरिम आदेश दिया है।
जस्टिस हिमा कोहली व अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने इसके साथ ही मामले में संबंधित पक्षकारों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। हाईकोर्ट ने पिछले साल नवंबर में पारित अपने फैसले में कहा था कि हिंदू विवाह अधिनियम 1955 के प्रावधानों से साफ पता चलता है कि सात फेरे पूर्ण होने पर ही विवाह पूर्ण और बाध्यकारी होता है। हाईकोर्ट ने सेना के एक जवान की ओर से दाखिल याचिका पर यह फैसला दिया था। युवक ने याचिका में आरोप लगाया था कि 30 जून, 2013 को लखीसराय में एक मंदिर में प्रार्थना के दौरान उसे दुल्हन के माथे पर सिंदूर लगाने के लिए मजबूर किया गया और बंदूक की नोक पर धमकाते हुए बिना किसी अन्य अनुष्ठान के शादी कर दी गई। युवक ने जबरन शादी कराने और शादी के सभी संस्कार पूरे नहीं किए जाने के आधार पर इसे रद्द करने की मांग की थी। हाईकोर्ट ने युवक के हक में फैसला देते हुए शादी को रद्द कर दिया था। हाईकोर्ट के इस फैसले को लड़की ने शीर्ष अदालत में चुनौती दी है।