DevotionBhaktiDharm

सावन की चौथी सोमवारी पर जाने कैसे करें महादेव को खुश

Google news

हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित है। यह दिन शिव पूजा के लिए उत्तम माना जाता है। इसी कारण सावन के माह में आने वाले हर सोमवार का महत्व और अधिक बढ़ जाता है। सावन के चौथे सोमवार पर दो शुभ संयोगों का निर्माण भी हो रहा है, जिससे इस दिन साधकों को शिव आराधना का विशेष पुण्य मिलेगा।

भगवान शिव की कृपा पाने का सबसे आसान तरीका शिवलिंग पर जलाभिषेक करना माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जलाभिषेक के बिना शिव की पूजा अधूरी मानी जाती है। मान्यता है कि शिव को सावन का महीना और जल की धारा दोनों ही अत्यंत प्रिय हैं। ऐसे में सावन के चौथे सोमवार पर जलाभिषेक करते समय कुछ बातों का ध्यान जरूर रखें।

शिव जलाभिषेक के नियम

सावन के पूरे माह और विशेष रूप से सोमवार को शिवलिंग पर जल चढ़ाने से साधक को शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है। कई भक्त शिवलिंग पर जल चढ़ाने के नियम नहीं जानते जिससे पूजा में कमी रह जाती है। हिंदू धर्म में भगवान शिव को भोलेनाथ कहा गया है क्योंकि वे आसानी से खुश हो जाते हैं और भक्त की मनोकामना पूरी करते हैं। श्रद्धा भाव से शिवलिंग पर एक लोटा जल चढ़ाने मात्र से शिव अपने भक्तों पर कृपा बरसा देते हैं। लेकिन, शिवलिंग पूजा का भी अपना नियम है जो साधकों को पता होने चाहिए।

1- हिंदू मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव को गंगा जल, बेल पत्र, धतूरा, सफेद फूल आदि बहुत प्रिय हैं। शिव को गंगाजल या सामान्य जल चढ़ाते समय साधकों को ध्यान रखना चाहिये कि तांबे के लोटे का ही प्रयोग करें। प्लास्टिक के बर्तन से जल न चढ़ायें। भगवान शिव को सफेद रंग भी प्रिय है अत: शिव आराधना करते समय सफेद या हल्के रंग के वस्त्र धारण करें और सफेद फूलों को प्रयोग करें। लेकिन केतकी का फूल अर्पित न करें। इसे शापित माना जाता है।

2- शिवलिंग की पूजा करने से पहले तन और मन की शुद्धता का ख्याल अवश्य रखें। हमेशा बैठकर जलाभिषेक करें। मान्यता है कि उत्तर दिशा की ओर मुख करके ही जलाभिषेक करना चाहिये। यदि मंदिर जाकर जल चढ़ाने वाले हैं तो कोशिश करें कि घर से लोटा और जल ले जायें। जल चढ़ाने के बाद लोटा घर खाली वापस न लाएं। इसमें थोड़ा सा चढ़ाया हुआ जल भरकर घर लाएं। मान्यता है कि इससे शिवजी की कृपा मिलती है।

3- शिवलिंग का जलाभिषेक करते हुये सबसे पहले लोटे से जल जलहरी के दाईं ओर चढ़ाएं जहां भगवान गणेश का स्थान माना गया है। इसके बाद शिवलिंग के बाईं ओर जल चढ़ाएं जहां भगवान कार्तिकेय का स्थान माना जाता है। इसके बाद जलहरी के बीच में, जहां भगवान शिव की पुत्री अशोक सुंदरी का स्थान माना जाता है, जल चढ़ाया जाता है। अशोक सुंदरी के बाद जलहरी के गोल वाले भाग में जल चढ़ाया जाता है। इसे मां गौरी का स्थान माना जाता है। सबसे आखिरी में शिवलिंग पर जल चढ़ायें। ऐसा करते समय जल्दबाजी न करें बल्कि धीरे-धीरे जल चढ़ाएं। ध्यान रहें कि धारा टूटे नहीं। इस दौरान शिव पंचाक्षरी मंत्र ओम नम: शिवाए का जाप करें।

4- जलाभिषेक के बाद भगवान को चंदन, अक्षत, बेल पत्र, धतूरा, पुष्प तथा भोग आदि चढ़ाएं। पूजा में सफेद चंदन का प्रयोग कर सकते हैं। इसके साथ ही धूप-दीप जलाएं। मंत्रों का जाप कर आरती करें। शिवजी के गण कहे जाने वाले नंदी जी की भी पूजा करें और भोग आदि अर्पित करें।


Discover more from Voice Of Bihar

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

Kumar Aditya

Anything which intefares with my social life is no. More than ten years experience in web news blogging.

भागलपुर में खुला पटना का फैमस चिका लिट्टी स्पैम कॉल : दूरसंचार कंपनियों ने 50 संस्थाओं को बैन किया, 2.75 लाख कनेक्शन काटे भागलपुर : युवक का अवैध हथियार लहराते फोटो वायरल भागलपुर में पार्षद नंदिकेश ने तुड़वाया वर्षों से बंद पड़े शौचालय का ताला ‘एक पेड़ माँ के नाम’ अभियान के तहत सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की ओर से स्कूल परिसर में किया पौधारोपण