सीएम नीतीश ने नालंदा विश्वविद्यालय को बताया बिहार का गौरव, पीएम मोदी का आभार जताया
राजगीर में नालंदा विश्वविद्यालय के कैंपस के उद्घाटन के मौके पर कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सीएम नीतीश कुमार ने उसे बिहार का गौरव बताया और कैंपस का उद्घाटन करने के लिए उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी का आभार जताया है।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सीएम नीतीश ने कहा कि यह बहुत ही खुशी की बात है कि नालंदा विश्वद्यालय के परिसर का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों हो रहा है। बहुत ही खुशी की बात है कि प्रधानमंत्री पहली बार राजगीर पहुंचे हैं, मैं तहे दिल उनका स्वागत करता हूं। कार्यक्रम में आने से पहले प्रधानमंत्री ने नालंदा के पुराने खंडहरों क अवलोकन किया है। पहले नालंदा विश्वविद्यालय का कैंपस कितना बड़ा था। अभी तक पुराने विश्वविद्यालय के कुछ हिस्सों की ही खुदाई हुई है। इस क्षेत्र के आसपास के 20-25 किलोमीटर के दायरे में आने वाले गांव भी इस विश्वविद्यालय से जुड़े रहे। नालंदा विश्वविद्यालय की पहचान ज्ञान के केंद्र के रूप में रही है। पुराने विश्वविद्यालय में करीब 10 हजार छात्र पढ़ते थे जबकि दो हजार शिक्षक बच्चों को पढ़ाते थे। देश ही नहीं दुनिया के अनेक जगहों के लोग यहां आकर पढ़ाई करते थे लेकिन दुर्भाग्यवश यह विश्वविद्यालय नष्ट हो गया था।
सीएम ने कहा कि साल 2005 से हम लोगों को काम करने का मौका मिला और तब से हमने बिहार के विकास का काम शुरू किया। 2006 में तत्कालीन राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम बिहार आए थे और विधानमंडल में अपने संबोधन के दौरान उन्होंने विश्वविद्यालय को फिर से स्थापित करने की बात कही थी। जिसके बाद सरकार ने विश्वविद्यालय को फिर से स्थापित करने की पहल शुरू की। केंद्र सरकार से हमने अनुरोध किया था लेकिन उस वक्त केंद्र में जो सरकार थी वह जल्दी कुछ सुन नहीं रही थी। जिसके बाद राज्य सरकार ने इसको लेकर नया कानून बनाया। राज्य सरकार ने नालंदा विश्वविद्यालय के लिए 455 एकड़ भूमि का अधिग्रहण किया था। 2008 में जब काम शुरू हुआ तो कलाम साहब उसे देखने के लिए फिर से आए थे।
सीएम नीतीश ने कहा कि 2010 में हमारे अनुरोध पर नालंदा विश्वविद्यालय के लिए लोकसभा में बिल पारित किया गया। उस समय तो सरकार दूसरे की थी लेकिन हमलोग इतना कहते रहे तब जाकर लोकसभा में उसे लाया गया। इसके बाद बिहार सरकार ने भूमि समेत अन्य चीजों को केंद्र सरकार को सौंप दिया था। इसके बाद विश्वविद्यालक का काम धीरे-धीरे होता रहा और साल 2014 से पढ़ाई शुरू हो गई। केंद्र में 2014 में एनडीए की सरकार बनी तो काम में और तेजी आई। 2016 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने विश्वविद्यालय के भवनों का शिलान्यास किया था।
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