सुरक्षाबलों ने की सबसे बड़ी ‘सर्जिकल स्ट्राइक’, एक साथ 29 नक्सलियों को किया ढेर
लोकसभा चुनाव में प्रथम चरण की वोटिंग से पहले छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की गई है।एक साथ 29 नक्सलियों को सुरक्षाबलों ने मार गिराया है।बीते चार महीने में सुरक्षा बलों ने 80 नक्सली मारे हैं।
छत्तीसगढ़ बनने के बाद से नक्सलियों के खिलाफ सुरक्षाबलों की सबसे कार्रवाई सामने आई है. खूंखार नक्सलियों पर बड़ी ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ की गई है. इस कार्रवाई में कुल 29 नक्सली ढेर हो गए. इस ऑपरेशन में 25 लाख का इनामी खूंखार कमांडर भी मारा गया. कांकेर जिले के छोटेबेटिया के भीहड़ जंगलों में घुसकर सुरक्षाबलों ने कई नक्सलियों को मार गिराया है. यह भिड़ंत आमने-सामने की थी. लड़ाई में फोर्स नक्सलियों पर पूरी तरह से हावी थी. हालांकि मुठभेड़ के दौरान तीन जवान घायल हुए हैं. इन्हें एयर लिफ्ट कराकर इलाज के लिए रायपुर के निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
पुलिस अफसरों के अनुसार, यह कार्रवाई साढ़े पांच घंटे तक चली. इस मुठभेड़ में काफी मात्रा में हथियारों के साथ 29 माओवादियों के शव मिले हैं. इस ऑपरेशन की प्लानिंग को लेकर अधिकारियों ने बताया कि ग्रामीणों का भरोसा और पुलिस को खुफिया तंत्र से मिले सटीक सुराग के कारण ये कार्रवाई संभव हो पाई है. इस ऑपरेशन में सैटेलाइट तस्वीरों का भी सहारा लिया गया. ड्रोन का उपयोग करके नक्सलियों के मूवमेंट को ट्रैक किया गया।
29 नक्सलियों के शव मिले
कांकेर जिले के थाना छोटेबेटिया के अंतरगर्त बिनागुंडा एवं कोरोनार के मध्य हापाटोला के जंगल में 16 अप्रैल को दोपहर के दो बजे DRG- BSF की संयुक्त टीम और नक्सलियों के बीच ये मुठभेड़ हुई. खोज अभियान पर निकले जवानों की आमने-सामने की सीधी मुठभेड़ करीब साढ़े पांच घंटे तक चली. घटनास्थल पर खोजबीन के दौरान 29 नक्सलियों के शव मिले. इस मुठभेड़ में तीन जवानों के घायल होने की खबर है. इनका इलाज रायपुर में चल रहा है. घायल जवानों की स्थिति खतरे से बाहर है।
गृह मंत्री घायल जवानों से मिले
छत्तीसगढ़ के गृह मंत्र विजय शर्मा इस दौरान घायल जवानों से मिलने अस्पताल में पहुंचे. मीडिया से बातचीत को लेकर उन्होंने बताया कि कांकेर के दक्षिण में और नारायणपुर के उत्तर में माड़ के एक क्षेत्र में इस कार्रवाई को अंजाम दिया गया. इस ऑपरेशन में बड़ी संख्या में नक्सली मारे गए. विजय शर्मा के अनुसार, इसका पूरा श्रेय वे सुरक्षाबलों को देता हैं. CRPF, DRG और BSF के जवानों के साहस के कारण ऐसा संभाव हो सका है।
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