राज्य के विभिन्न स्कूलों में आपूर्ति की गयी बेंच-डेस्क की गुणवत्ता की जांच अब जिलाधिकारी करेंगे। शिक्षा विभाग इसको लेकर जल्द ही जिलाधिकारियों को दिशा-निर्देश जारी करेगा। विभाग ने इस बात पर कड़ी नाराजगी जतायी है कि अब भी बड़ी संख्या में बेंच-डेस्क की गुणवत्ता और आपूर्ति में की गई अनियमितता की शिकायतें आ रही हैं।
विभागीय पदाधिकारियों और जिला शिक्षा पदाधिकारियों की साथ हुई समीक्षा बैठक में अपर मुख्य सचिव डॉ. एस सिद्धार्थ ने कहा है कि पूर्व में बेंच-डेस्क खरीद की गहन जांच करायी गयी है। जांच के बाद कई कंपनियों पर आर्थिक दंड लगा है। साथ ही बड़ी संख्या में बेंच-डेस्क बदले भी गये हैं। इसके बाद भी विभिन्न स्रोतों से इस संबंध में मुख्यालय को क्यों शिकायतें प्राप्त हो रही हैं? अपर मुख्य सचिव ने जिला शिक्षा पदाधिकारियों को भी कहा है कि आप भी फिर से जांच कीजिए कि खरीद और आपूर्ति में इतनी सख्ती बरतने के बाद भी शिकायतें क्यों आ रही हैं?
मालूम हो कि अभियान चलाकर 900 करोड़ रुपये के बेंच-डेस्क की खरीद की गयी और स्कूलों में उसकी आपूर्ति करायी गयी है। विभाग का लक्ष्य है कि कोई भी बच्चा बेंच-डेस्क के अभाव में नीचे नहीं बैठेगा। इसको लेकर भी उक्त निर्णय विभाग ने लिया था। एक बेंच-डेस्क की कीमत पांच हजार रुपये तय की गयी है। बेंच-डेस्क की गुणवत्ता को लेकर भी विभाग ने मानक भी तय कर रखे हैं, जिसके अनुरूप ही खरीद हुई है। किसी भी एक स्कूल में अधिकतम 100 बेंच-डेस्क की आपूर्ति की गयी है। ताकि, अधिक-से-अधिक स्कूलों में बेंच-डेस्क पहुंच जाये।
कमरों के अभाव में बच्चे बरामदे में बैठने को मजबूर
यह व्यवस्था प्राथमिक से लेकर उच्च माध्यमिक तक के स्कूलों के लिए की गयी है। विभागीय पदाधिकारी बताते हैं कि जुलाई, 2023 से स्कूलों में नियमित रूप से निरीक्षण कार्य शुरू हुए तो पाया गया कि बड़ी संख्या में बच्चों को कक्षा में नीचे बैठकर पढ़ना पड़ता है। कमरों के अभाव में बच्चे बरामदे में बैठने को मजबूर हैं।
28 लाख का आर्थिक दंड लगा है एजेंसियों पर
पूर्व में हुई जांच में बेंच-डेस्क मानक के अनुरूप नहीं होने पर आपूर्ति करने वाले कई एजेंसियों पर 28 लाख रुपये से अधिक के आर्थिक दंड भी लगाये गये हैं। वहीं, 15 हजार बेंच-डेस्क को बदल भी दिये गये हैं। विभाग की ओर से सात लाख बेंच-डेस्क की जांच करायी गयी थी।