बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर बिहार विश्वविद्यालय (बीआरएबीयू) के कुलपति प्रो. दिनेश चंद्र राय के निर्देशन में शोधार्थियों ने हर्बल घी बनाने का तरीका खोजा है। इस विधि से बनाया गया हर्बल घी कैंसर, अल्जाइमर और दिल की बीमारियों से बचाने में सहायक होगा।
कुलपति ने बताया कि शोधकर्ताओं ने घी को अधिक समय तक भंडारण व उपयोग के लिए इसमें करक्यूमिन (हल्दी) का फोर्टिफिकेशन किया गया है। करक्यूमिन को घी बनाते वक्त डाला गया। करक्यूमिन हल्दी में पाए जाने वाला एक तत्व होता है, जिसके कारण हल्दी को पीला रंग मिलता है। इसमें काफी शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट होते हैं, जो शरीर को ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस से होने वाले नुकसान से बचाते हैं।
हल्दी के कारण बीमारियों का खतरा कम :
शोध के बारे में जानकारी देते हुए कुलपति प्रो. दिनेश चंद्र राय ने बताया कि हल्दी के कारण फ्री रेडिकल्स का प्रभाव न्यूट्रलाइज होता है और बीमारियों का खतरा कम हो जाता है। करक्यूमिन फोर्टिफिकेशन के कारण घी में विभिन्न गुणकारी प्रभाव देखे गए। इसके कैंसर रोधी गुण भी देखे गए। यह भी पाया गया कि करक्यूमिन के समायोजन से घी का अधिक समय तक भंडारण किया जा सकता है। इस शोध को नीदरलैंड के प्रतिष्ठित जर्नल फूड एंड ह्यूमनिटी में प्रकाशित किया गया है। यूनिवर्सिटी के इस रिसर्च में बीएचयू की भी मदद ली गयी है।
रिसर्च
● रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाला, अल्जाइमर व हृदय रोग का खतरा करेगा कम
● हल्दी के इस्तेमाल से बने इस हर्बल घी का अधिक समय तक हो सकेगा भंडारण
● नीदरलैंड की शोध पत्रिका में प्रकाशित, बीएचयू के डेयरी विभाग में विधि विकसित
टीम में बीएचयू के शोधार्थी शामिल :
बीएचयू के डेयरी विभाग में इस विधि को विकसित किया गया है। इंस्टीट्यूट ऑफ इमीनेंस के अंतर्गत प्रायोजित इस शोध में बीएचयू के डॉ. सुनील मीणा, सहायक प्राध्यापक प्रो. राजकुमार दुआरी, शोधा छात्राएं अनीता राज, बी. कीर्ति रेड्डी और आईआईटी बीएचयू के सहायक प्रोफेसर जयराम मीणा शामिल रहे।