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हार के लिए विपक्ष ने टिकट बंटवारे को माना अहम फैक्टर, बताया किन सीटों पर मिल सकती थी जीत

भाकपा माले के महासचिव ने बिहार में इंडिया गठबंधन की हार के लिए टिकट बंटवारे को जरूरी कारण बताया है। इसके साथ ही उन्होंने नीतीश कुमार के एनडीए में शामिल होने से हुए नुकसान को भी अहम फैक्टर बताया है।

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माले) के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने बिहार में हुई हार को लेकर बयान दिया है। उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव में विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ का बिहार में प्रदर्शन ठीक नहीं रहा, क्योंकि उसने ‘‘कुछ गलतियां कीं’’। इनमें टिकट बंटवारे में गड़बड़ी भी शामिल है। भट्टाचार्य ने इस बात से इनकार नहीं किया कि चुनाव में अपेक्षित परिणाम नहीं मिलने के पीछे ‘‘नीतीश कुमार फैक्टर’’ भी एक वजह रहा।

एनडीए में शामिल हुए नीतीश

बता दें कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल (यूनाइटेड) राज्य में राष्ट्रीय जनता दल, कांग्रेस और वाम दलों के साथ ‘महागठबंधन’ में शामिल रही थी। जद(यू) विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ में भी शामिल था, लेकिन यह दल 2024 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले, भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए में शामिल हो गया। एनडीए में शामिल दलों- जद(यू), लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) और हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (सेक्युलर) ने राज्य की 40 लोकसभा सीट में से 30 सीट जीतीं, जबकि ‘इंडिया’ को 9 सीट पर ही जीत मिली। वहीं, एक सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार पप्पू यादव ने जीत दर्ज की।

पप्पू यादव ने निर्दलीय जीता चुनाव

भाकपा (माले) नेता दीपांकर भट्टाचार्य ने कहा कि पूर्णिया में निर्दलीय उम्मीदवार ने जीत हासिल की, क्योंकि राजद ने कांग्रेस को सीट देने से इनकार कर दिया था। भट्टाचार्य ने कहा कि भाकपा (माले) ने सीवान सीट की मांग की थी, लेकिन राजद ने वहां से चुनाव लड़ा और तीसरे स्थान पर रहा और यह सीट जद(यू) ने जीती। भाकपा (माले) ने आरा और काराकाट दो सीट पर जीत दर्ज की है।

पूर्णिया में राजद को मिली करारी हार

उन्होंने कहा, ‘‘कुछ गलतियों का शायद व्यापक असर हुआ। इसका असर कई सीटों पर पड़ा। पूर्णिया का ही उदाहरण लीजिए, पप्पू यादव यह सीट जीतने में कामयाब रहे। लेकिन यह अकल्पनीय है कि इस तरह के ध्रुवीकृत चुनाव में राजद के आधिकारिक उम्मीदवार को 30,000 से भी कम वोट मिले।’’ पप्पू यादव लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस में शामिल हो गए थे, लेकिन पूर्णिया सीट से टिकट नहीं मिलने के कारण उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। राजद ने यह सीट गठबंधन सहयोगी कांग्रेस को देने से मना कर दिया था और इस सीट से बीमा भारती को प्रत्याशी बनाया था। बीमा भारती को महज 27,000 वोट मिले थे।

पश्चिम बिहार में मजबूत थी भाकपा (माले)

दीपांकर भट्टाचार्य ने कहा, ‘‘संभवतः इसका असर अररिया, सुपौल और मधेपुरा आदि सीट पर भी पड़ा।’’ उन्होंने कहा कि इसी तरह से भाकपा माले की स्थिति सीवान में बहुत मजबूत थी। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे प्रत्येक सूत्र ने बताया कि अगर हमारी पार्टी का उम्मीदवार चुनाव मैदान में होता तो हम सीवान सीट जीत जाते।’’ भट्टाचार्य ने कहा, ‘‘सीवान, छपरा एवं महाराजगंज और यहां तक ​​कि गोपालगंज की सीट भी जीत सकते थे। तो ये कुछ ऐसी गलतियां हैं जिनसे बचा जा सकता था और जिनके कारण हमें (बिहार में) कुछ सीट का नुकसान हुआ।’’

बिहार में भाजपा को हुआ बड़ा नुकसान

उन्होंने कहा कि ऐसी उम्मीद थी कि जद(यू) या लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) को नुकसान होगा, जबकि भाजपा को कोई नुकसान नहीं होगा, परंतु नतीजे अलग रहे। भट्टाचार्य ने कहा, ‘‘बिहार में सबसे बड़ा नुकसान भाजपा को हुआ।’’ वर्ष 2019 में भाजपा और जद(यू) ने क्रमश: 17 और 16 सीट पर चुनाव लड़कर शत-प्रतिशत सफलता हासिल की थी, लेकिन इस वर्ष भाजपा 17 में से 12 पर जीत हासिल कर सकी, जबकि जद(यू) को चार सीट का नुकसान हुआ और उसे भी 12 सीट पर ही संतोष करना पड़ा। अगले वर्ष होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव में ‘इंडिया’ के भावी प्रदर्शन के बारे में पूछे जाने पर भट्टाचार्य ने कहा कि उन्हें अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद है।


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