जदयू विधायक बीमा भारती के इस्तीफा के बाद पूर्णिया के रुपौली विधानसभा सीट पर 10 जुलाई को उपचुनाव होना है। इस उप चुनाव में 11 प्रत्याशी अपना किस्मत आजमा रहे हैं। जिनके भाग्य का फैसला 10 जुलाई को जनता इवीएम में कैद कर देगी और 13 जुलाई को चुनाव परिणाम सामने आ जाएगा।
हालाँकि बिहार के चुनाव में उम्मीदवार का चयन करते वक्त सभी पार्टी जाति समीकरण को ध्यान में रखकर तय करती है। रुपौली विधानसभा में 307030 वोटर है। जिसमे सर्वाधिक 75222 मतदाता मंडल जाति से आते है । यही कारण है कि राजद ने पांच बार की विधायक बीमा भारती को अपना उम्मीदवार बनाया है तो एनडीए समर्थित जदयू उम्मीदवार कलानंद मंडल हैं जो मंडल जाति से आते है। वहीं लोजपा के टिकट पर एक बार विधायक रहे शंकर सिंह निर्दलीय प्रत्याशी बनकर सभी को चुनौती दे रहे हैं।
शंकर सिंह को एक ओर जहां सवर्ण जाति का समर्थन प्राप्त है। वहीं निर्दलीय होने के कारण और कई जाति का समर्थन उन्हें मिल रहा है। लिहाजा त्रिकोणात्मक संघर्ष रुपौली विधानसभा उपचुनाव में स्पष्ट नजर आ रहा है। वही पूर्णिया सांसद पप्पू यादव के समर्थन का दावा निर्दलीय प्रत्याशी शंकर सिंह और राजद प्रत्याशी बीमा भारती भी कर रही हैं।
जिसका असर चुनाव पर दिखता नजर आ रहा है। यह अलग बात है की कुछ दिन पहले लोकसभा चुनाव में बीमा भारती और पप्पू यादव के बीच चुनावी जंग हुआ था और एक दूसरे पर ताबड़तोड़ हमला कर रहे थे। राजद प्रत्याशी बीमा भारती की माने तो जनता का समर्थन उनके साथ है और इस बार भी अपार मतों से विजय होने का दावा कर रही है।
वही जदयू उम्मीदवार कलाधर मंडल डबल इंजन की सरकार में हो रहे विकास कार्य और मंडल जाति को अपना वोट बैंक मान रहे हैं। साथ ही 25 वर्षों से चुनाव जीतती आ रही बीमा भारती से जनता नाखुश है ऐसा दावा है कलाधर मंडल का।
उधर निर्दलीय प्रत्याशी शंकर सिंह पिछले कई चुनाव में रुपौली से अपना भाग्य आजमा रहे हैं। लेकिन कुछ ही अंतर से चुनाव हार जाते हैं। इस बार शंकर सिंह का दावा है कि उन्हें सभी जाति का वोट मिल रहा है। साथ ही लोकसभा चुनाव निर्दलीय जीते पप्पू यादव के समर्थन का भी दावा कर रहे हैं ऐसे में मुस्लिम और यादव आबादी पर भी उनकी नजर है।
सबके अपने-अपने दावे हैं लेकिन अपराध प्रभावित रुपौली विधानसभा में कानून का राज स्थापित करना बड़ी चुनौती है। एक तरफ बीमा भारती के पति का नाम बाहुबली में शुमार है और हाल के दिनों में हुई हत्या में उनकी संलिप्त को लेकर वारंट भी निकल चुका है। तो वही निर्दलीय प्रत्याशी शंकर सिंह भी बाहुबली में गिने जाते हैं। जबकि जदयू प्रत्याशी कलाधर मंडल पेशे से शिक्षक रहे हैं और पिछले विधानसभा चुनाव में भी भाग्य आजमा चुके हैं। कुल मिलाकर संघर्ष त्रिकोणात्मक है और जनता किसको ताज पहनाएगी यह 10 जुलाई को तय हो जाएगा।