IFFI 2024 में ‘गोल्डन पीकॉक’ अवॉर्ड के लिए प्रतिस्पर्धा करेंगी 15 फिल्में, तीन भारतीय फिल्में भी शामिल
दुनिया भर की सशक्त कहानियों को प्रदर्शित करने वाली 15 फिल्में 55वें अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव 2024 में प्रतिष्ठित गोल्डन पीकॉक अवॉर्ड के लिए प्रतिस्पर्धा करने के लिए तैयार हैं। इस वर्ष की प्रतिस्पर्धा में 12 अंतरराष्ट्रीय और 3 भारतीय फिल्मों का समृद्ध मिश्रण है, जिनमें से प्रत्येक को अपनी अनूठे परिप्रेक्ष्य, आवाज और कलात्मकता के लिए चुना गया है। उल्लेखनीय है कि इस वर्ष का नामांकन महिला फिल्म निर्माताओं के लिए श्रद्धांजलि भी है क्योंकि, संयोग से, 15 में से 9 फिल्में प्रतिभाशाली महिला फिल्म निर्माताओं द्वारा निर्देशित हैं। इस वर्ष की फिल्में विभिन्न विषयों और शैलियों की हैं, जिसमें ऐसी फिल्में हैं जो हमें अज्ञात क्षेत्रों में ले जाती हैं, धारणाओं को चुनौती देती हैं और नई आवाज़ों को बढ़ाती हैं।
सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि इस वर्ष की प्रतिस्पर्धा में 12 अंतरराष्ट्रीय और 3 भारतीय फिल्मों का समृद्ध मिश्रण है, सर्वश्रेष्ठ वैश्विक और भारतीय सिनेमा प्रस्तुत करने वाली इनमें से प्रत्येक फिल्म मानवीय मूल्यों, संस्कृति और कहानी कहने की कला का अद्वितीय दृष्टिकोण प्रस्तुत करती है।
नामांकित फिल्में इस प्रकार हैं-
अंतरराष्ट्रीय फिल्में
- फीयर एंड ट्रेम्बलिंग (ईरान)
- गुलिज़ार (तुर्किये)
3-होली काउ (फ्रांस)
4-आई एम नेवेंका हूं (स्पेन) - पैनोप्टीकॉन (जॉर्जिया-यूएसए)
6 -पियर्स (सिंगापुर)
7- रेड पथ (ट्यूनीशिया) - शेफर्ड्स (कनाडा-फ्रांस)
- द न्यू ईयर दैट नेवर केम (रोमानिया)
- टॉक्सिक (लिथुआनिया)
- वेव्स (चेक गणराज्य)
- हू डू आई बिलॉन्ग टू (ट्यूनीशिया-कनाडा)
भारतीय फिल्में
- द गोट लाइफ (भारत)
- आर्टिकल 370 (भारत)
- रावसाहब (भारत)
आपकों बता दें कि प्रतिस्पर्धा में शामिल तीन भारतीय फिल्मों को अपनी अनूठे परिप्रेक्ष्य,आवाज और कलात्मकता के लिए चुना गया है। ‘द गोट लाइफ’ में, राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता मलयालम फिल्म निर्देशक ब्लेसी सऊदी अरब के कठोर रेगिस्तान में जीवित रहने के लिए संघर्ष कर रहे भारतीय प्रवासी श्रमिक की सच्ची कहानी बताते हैं। यह फिल्म लेखक बेन्यामिन के सबसे ज्यादा बिकने वाले मलयालम उपन्यास आदुजीविथम का रूपांतरण है, जो खाड़ी में मलयाली आप्रवासी मजदूर नजीब की वास्तविक जीवन की कहानी पर आधारित है। यह मनोरंजक नाटक जीवन की प्रतिकूलताओं के बीच प्रवासन, अस्तित्व और मानवीय भावना के विषयों की पड़ताल करता है।
वहीं, राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता फिल्म निर्माता आदित्य सुहास जंभाले द्वारा निर्देशित ‘आर्टिकल 370’ भारत के अशांत संवैधानिक परिवर्तनों की पृष्ठभूमि पर आधारित तनावपूर्ण राजनीतिक थ्रिलर है। यह कहानी अनुच्छेद 370 की जटिलताओं को गहराई से उजागर करती है, जिसने जम्मू और कश्मीर को विशेष स्वायत्तता प्रदान की। यह फिल्म क्षेत्र के सामाजिक-राजनीतिक परिदृश्य को उत्कृष्टता से चित्रित करती है। निर्देशक ने फिल्म में सत्ता के संघर्ष और व्यक्तिगत बलिदान की कहानी कुशलता से बुनी है।
तीसरी भारतीय फिल्म, ‘रावसाहब’ राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता फिल्म निर्माता निखिल महाजन द्वारा निर्देशित बहुप्रतीक्षित मराठी क्राइम थ्रिलर फिल्म है। इस साल के IFFI में इस फिल्म का वर्ल्ड प्रीमियर है। निखिल महाजन की क्राइम थ्रिलर आदिवासी भूमि में मानव-पशु संघर्ष और न्याय की तलाश पर केंद्रित है। यह फिल्म भारत की आदिवासी भूमि पर आधारित मनोरंजक कहानी है।
उल्लेखनीय है, इस वर्ष, प्रशंसित भारतीय फिल्म निर्माता आशुतोष गोवारीकर के नेतृत्व में प्रतिष्ठित गोल्डन पीकॉक जूरी में पुरस्कार विजेता सिंगापुर के निर्देशक एंथनी चेन, ब्रिटिश-अमेरिकी निर्माता एलिजाबेथ कार्लसन, स्पेनिश निर्माता फ्रैन बोर्गिया और प्रसिद्ध ऑस्ट्रेलियाई फिल्म संपादक जिल बिलकॉक शामिल हैं। साथ में, यह जूरी सर्वश्रेष्ठ फिल्म, सर्वश्रेष्ठ निर्देशक, सर्वश्रेष्ठ अभिनेता (पुरुष), सर्वश्रेष्ठ अभिनेता (महिला) और विशेष जूरी पुरस्कार सहित श्रेणियों में विजेताओं का निर्धारण भी करेगी। विजेता फिल्म को महोत्सव के शीर्ष सम्मानों में से एक के साथ 40 लाख रुपए का पुरस्कार मिलेगा।
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