17वीं किस्त से पहले पूरें करें ये जरूरी काम, खाते में क्रेडिट होंगे 4000 रुपए

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जिन लाभार्थियों के खाते में अभी तक भी प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना की 16वीं किस्त का लाभ नहीं पहुंचा है, उन्हें चिंता करने की जरूरत नहीं है।

मुख्य तथ्य

  • 16वीं किस्त से वंचित किसानों के खाते में पहुंच सकता है दोनों किस्तों का  लाभ
  • लगभग 3 करोड़ किसान रह गए थे 16वीं किस्त से वंचित
  • 28 फरवरी 2024 को जारी की थी पीएम मोदी ने 16वीं किस्त

जिन लाभार्थियों के खाते में अभी तक भी प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना की 16वीं किस्त का लाभ नहीं पहुंचा है, उन्हें चिंता करने की जरूरत नहीं है. यदि वे समय रहते सरकारी नियमों को फॅालो कर लेते हैं तो उनके खाते में दोनों किस्तों का लाभ एक साथ पहुंच सकता है. यानि 16वीं व 17वीं किस्त एक साथ भी जमा हो सकती है. विभागीय अधिकारियों का मानना है कि इस तरह की चर्चा भी उच्चाधिकारियों में हो रही है. हालांकि ये आधिकारिक घोषणा नहीं नहीं है. सिर्फ कयास के आधार पर जानाकारी साझा की  जा रही है।

किस्त अटकने के ये हो सकते हैं कारण
दरअसल, 28 फरवरी को ही प्रधानमंत्री मोदी ने डीबीटी माध्यम से 16वीं किस्त जारी की थी. जिसका लाभ देश के 9 करोड़ किसानों को मिला था.. यानि लगभग 3 करोड़ ऐसे किसान योजना के लाभ से वंचित कर दिये गये थे. जिन्हें पहले भी किस्तों का लाभ मिल चुका है. 16वीं किस्त से वंचित किसान अभी भी संबंधित बैंक के चक्कर लगा रहे हैं. इन लाभार्थियों के लिए सरकार का संदेश है कि भू सत्यापन व ईकेवाईसी को जल्द से जल्द पूरा करा लें.  क्योंकि ज्यादातर किसानों को इन्हीं दोनों कारणों के चलते लिस्ट से अलग किया गया है. यदि लाभार्थी किसान ये दोनों काम समय से पूरा कर लेते हैं तो उन्हें लाभार्थियों की लिस्ट में शामिल कर लिया जाएगा।

गलती में करें सुधार, दोनों किस्त आएंगी एक साथ 
विभागीय अधिकारियों का तो यहां तक मानना है कि यदि आप 17वीं किस्त से पहले भूलेख सत्यापन और ईकेवाईसी का काम पूरा कर लेंगे तो आपको दोनों किस्तों का लाभ एक साथ भी मिल सकता है. यानि आपके खाते में 2 हजार के स्थान पर पूरे 4000 रुपए क्रेडिट किये जा सकते हैं. लेकिन ये तभी संभव होगा. जब आप सरकार द्वारा बताए नियमों को फॅालो करेंगे. आपको बता दें कि लोकसभा चुनाव के बाद जून में 17वीं किस्त सरकार लाभार्थियों के खाते में ट्रांसफर करेगी. इससे पहले ही सभी पात्र किसानों को दोनों गलतियों में सुधार करना है।