लोकसभा चुनाव 2024 अंतिम दौर में है. आम चुनावों को लेकर एक चौंकाने वाली बात सामने आई है. वो यह कि लोकसभा चुनावों में विजेता निर्दलियों की संख्या लगातार घट रहा है. आइए जानते हैं कि आम चुनावों में निर्दलियों का दबदबा क्यों घट रहा है?
लोकसभा चुनाव 2024 अंतिम दौर में है. अब महज एक और चरण बाकी है, जिसके तहत मतदान 1 जून को होगा. आम चुनावों को लेकर एक चौंकाने वाली बात सामने आई है. वो यह कि लोकसभा चुनावों में निर्दलियों का दबदबा लगातार घट रहा है. जीत कर आने वाले निर्दलियों की संख्या में भी कमी आई है. ऐसे में आइए जानते हैं कि 1952 से 2019 तक के चुनाव में कब कितने निर्दलीय चुनाव लड़े, उनमें से कितने जीते और उनकी संख्या लगातार क्यों घट रही है.
1957 में जीते सबसे अधिक निर्दलीय
देश में पहली बार लोकसभा चुनाव 1952 में हुआ था. तब 533 निर्दलीय प्रत्याशी चुनावी रण में उतरे थे. उनमें 37 निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीत का परचम फहराया था. वहीं, 360 निर्दलीय कैंडिडेट्स की जमानत जब्त हुई थी. मगर 2019 के आम चुनाव में सिर्फ 4 ही निर्दलीय प्रत्याशी ही सांसद बन पाए थे. देश में सबसे कम निर्दलीय सांसदों की संख्या 2014 में सिर्फ तीन थी. सबसे अधिक 42 निर्दलीय सांसद 1957 के लोकसभा चुनाव में जीते थे.
1952 में हुए देश के पहले चुनाव में कुल 1874 कैंडिडेट्स मैदान में थे. इनमें 533 निर्दलीय उम्मीदवार थे. कुल 37 निर्दलीय प्रत्याशियों ने चुनाव जीता था और 360 निर्दलियों की जमानत जब्त हो गई थी. इसके बाद 1957 में दूसरा आम चुनाव हुआ. इस चुनाव में निर्दलियों ने एक ऐसा रिकॉर्ड कायम किया, जो आज तक कायम है. इस चुनाव में 1519 कैंडिडेट्स में 481 निर्दलीय थे. 42 निर्दलियों ने चुनाव जीता था. वहीं, 324 की जमानत जब्त हो गई थी. इसके बाद लोकसभा चुनावों में जीतने वाले निर्दलीय उम्मदीवारों की संख्या में उतार चढ़ाव देखा गया. हालांकि संख्या कभी 42 के आंकड़े को पार नहीं कर सकी.
2019 में जीते सिर्फ 4 निर्दलीय
1962 के लोकसभा चुनाव में जीतने वाले निर्दलियों की संख्या घटी. तब सिर्फ 20 निर्दलीय कैंडिडेट्स ने ही जीत हासिल की थी. इसके बाद 1967 का चुनाव ही ऐसा था, जिसमें 35 निर्दलीय ने जीत दर्ज की थी. अगर 2019 के आम चुनाव की बात करें तो 3461 कुल निर्दलीय कैंडिडेट चुनावी रण में उतरे थे. हालांकि इनमें से सिर्फ 4 ही प्रत्याशी जीत पाए थे. जीतने वाले इन प्रत्याशियों में से दो महिलाएं थीं. 2019 में मोदी लहर के बावजूद चार निर्दलीय प्रत्याशियों ने लोकसभा चुनाव जीता था.
मोदी लहर के बावजूद महाराष्ट्र की अमरावती लोकसभा सीट से निर्दलीय चुनाव जीतने वाली नवनीत राणा इस बार बीजेपी की टिकट पर चुनाव लड़ रही हैं. महाराष्ट्र की अमरावती से निर्दलीय चुनाव जीतने वाली नवनीत राणा इस बार बीजेपी की टिकट पर चुनाव लड़ रही हैं. दमन और दीव से निर्दलीय सांसद मोहन डेलकर का निधन हो चुका है. असम की कोकराझार से नाबा हीरा कुमार सरनिया और कर्नाटक की मांड्या लोकसभा सीट से सुमन लता अंबरीश ने निर्दलीय चुनाव जीता था.
साल दर साल चुनाव लड़ने वाले निर्दलीय उम्मीदवारों की संख्या बढ़ती गई. मगर संसद में इनका प्रतिनिधित्व घटता गया. आइए 1952 से 2019 तक के चुनाव पर एक नजर डालते हैं और उनमें निर्दलियों की स्थिति को देखते हैं-
साल | कुल निर्दलीय | प्रत्याशी विजेता | जमानत जब्त |
1952 | 533 | 37 | 360 |
1957 | 481 | 42 | 324 |
1962 | 479 | 20 | 378 |
1967 | 866 | 35 | 747 |
1971 | 1134 | 14 | 1066 |
1977 | 1224 | 09 | — |
1980 | 2826 | 09 | 2794 |
1984-85 | 3797 | 05 | 3752 |
1989 | 3712 | 12 | 3672 |
1991-92 | 5546 | 05 | 5529 |
1996 | 10635 | 09 | 10604 |
1998 | 1915 | 06 | 1898 |
1999 | 1945 | 06 | 1928 |
2004 | 2385 | 05 | 2370 |
2009 | 3831 | 09 | 3806 |
2014 | 3234 | 03 | 3218 |
2019 | 3461 | 04 | 3449 |
क्यों घट रही हैं जीतने वाले निर्दलियों की संख्या?
उपरोक्त लिस्ट में आप देख सकते हैं कि अभी तक हुए 17 लोकसभा चुनाव में 11 बार निर्दलीय सांसदों की संख्या दहाई के आंकड़े तक नहीं पहुंची. इसके पीछे की सबसे बड़ी वजह है देश में दलगत राजनीति का हावी होना है. यही वजह है कि चुनावों में निर्दलियों का दबदबा लगातार घटता जा रहा है.