भागलपुर। 200 करोड़ की लागत से साढ़े पांच साल के लंबे इंतजार के बाद शुरू हुए सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल में इलाज के नाम पर डॉक्टर सिर्फ आला (स्टेथोस्कोप) लगाकर मरीजों का इलाज करने को मजबूर हैं। जांच व इलाज के संसाधन तो हैं, लेकिन इन्हें चलाने वाले दक्ष टेक्नीशियन नहीं हैं। दिल, दिमाग व रीढ़ की जांच करने वाली मशीनों से जांच कर उसकी रिपोर्ट बनाने वाले रेडियोलॉजिस्ट व पैथोलॉजिस्ट नहीं हैं।
सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल में हृदय रोग विशेषज्ञ व किडनी रोग विशेषज्ञ के रूप में एक-एक असिस्टेंट प्रोफेसर तैनात हैं। यहां के ओपीडी का ये आलम है कि अगर कार्डियोलॉजी या नेफ्रोलॉजी ओपीडी का डॉक्टर छुट्टी पर गया तो दिल व किडनी-मूत्र रोगों का इलाज इस अस्पताल में बंद हो जाता है। वहीं न्यूरोलॉजी ओपीडी में एक प्रोफेसर, एक असिस्टेंट प्रोफेसर, तीन सीनियर रेजीडेंट व दो पीजी डॉक्टर हैं। सीनियर रेजीडेंट व पीजी डॉक्टर जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (मायागंज अस्पताल) के हैं, न कि इनकी तैनाती सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल में है। लेकिन मरीजों की सुविधा के लिए इनकी सेवाएं दोनों अस्पताल में ली जाती हैं। इसके अलावा सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल में प्लास्टिक सर्जरी विभाग में चार असिस्टेंट प्रोफेसर की तैनाती है। जबकि इस सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल में सात-सात प्रोफेसर व एसोसिएट प्रोफेसर व 14-14 असिस्टेंट प्रोफेसर, सीनियर रेजीडेंट व जूनियर रेजीडेंट समेत कुल 56 डॉक्टर की जरूरत है। मायागंज अस्पताल के प्रभारी अधीक्षक डॉ. राजकमल चौधरी ने बताया कि डॉक्टर, रेडियोलॉजिस्ट, पैथोलॉजिस्ट से लेकर स्टाफ नर्स, टेक्नीशियन, तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी तक की तैनाती शासन स्तर से होनी है। जब तक ऐसा नहीं होता है, तब तक सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल में इंडोर, आईसीयू व जांच सेवा शुरू नहीं की जा सकती है।
एमआरआई व सीटी स्कैन जांच सेंटर तक तैयार
सुपर स्पेशियलिटी में इंडोर से लेकर जांच सेवा शुरू करने के लिए अमूमन हरेक सुविधाएं उपलब्ध हैं। मसलन, टेस्ला थ्री का 12 करोड़ी एमआरआई मशीन से लेकर अत्याधुनिक सीटी स्कैन जांच सेंटर तक तैयार हो चुका है। इंडोर में बेड तक बिछ गये हैं। लेकिन यहां पर जांच सेवा शुरू होने की बात तो दूर इन जांच मशीनों की ट्रायल तक नहीं हो सकी कि न तो यहां पर रेडियोलॉजिस्ट है और न ही टेक्नीशियन। चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी से लेकर लिपिक व स्टाफ नर्स की तैनाती मायागंज अस्पताल ने अपने संसाधनों के जरिए की है।