अयोध्या में दीपावली से पहले की रात में लाखों दिए एक साथ जल उठे,प्रभु राम कल अपने महल में पधारेंगे। पांच सौ साल बाद हिंदुओं का सपना पूरा हुआ। मैंने पहली बार साल 1972 में अयोध्या के उस विवादित ढांचे के अंदर प्रवेश किया था जिसमें तब राम लला विराजमान थे।तब की अयोध्या नगरी एक मृतप्राय शहर थी जहां खस्ताहाल हवेलियों और खस्ताहाल मठों के अतिरिक्त कुछ भी नहीं था। अदालती आदेश की बदौलत कथित बाबरी मस्जिद के मुख्य द्वार पर सरकारी ताला लटका हुआ था और परिसर के भीतर एक आंवले का पेड़ था जिसके नीचे बैठ कर चार_ पांच साधु भजन गा रहे थे। उन साधुओं का प्रण था कि जब तक मुख्य द्वार पर लटका ताला नहीं हटेगा तब तक उनका निरंतर भजन चलता रहेगा। राम जाने उन साधुओं में आज का दिन देखने के लिए कितने जीवित बचे हैं।नगर में तब एक बिड़ला परिवार के द्वारा बनवाया गया नवीन मंदिर के अतिरिक्त दर्शनीय कुछ भी नहीं था। हिंदू तीर्थयात्री अपनी आस्था की वजह से हनुमानगढ़ी भी जरूर जाते थे पर उसकी स्थिति भी खस्ताहाल ही थी। इस यात्रा का प्रत्यक्ष असर मेरे पिता पर यह हुआ कि इस यात्रा से पहले वो कट्टर कांग्रेसी हुआ करते थे पर यात्रा के बाद वे शिवसेना के जनक बाला साहेब ठाकरे के भक्त हो गए और प्रति वर्ष डाक के मार्फत शिवसेना को सौ रुपए का चंदा अवश्य भेजा करते थे। उनका कहना था कि चलो कोई तो नेता है जो हिंदुओं की बात करता है। तब मैं किशोर वय था और मेरे ख्वाबों ,ख्यालों में यह गुमां न था कि मैं एक दिन लाखों दीए की वजह से जगमगाते अयोध्या शहर को निहारूंगा। आज जब जगमग करती अयोध्या की छटा टीवी चैनलों की कृपा से देख रहा था तो हतप्रभ था। एक मुर्दा पड़े शहर में मानों किसी ने प्राण फूंक दिए हों। ऐन दीपावली के दिन राम अपने जन्मस्थली पर बने नए महल में पधारेंगे। अर्थात मंदिर के गर्भ गृह में रखी जाने वाली राम के साथ सीता,लक्ष्मण और हनुमान की मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी जिसके बाद मूर्तियां जीवंत हो जाएंगी। इस सुखद अनुभव के बीच इस उत्सव का दूसरा पहलू भी है। मुस्लिम परस्त दलों में पहले नंबर का दल सपा भी अब खुद के राम भक्त होने का दावा कर रही है। सपा अपने जनक मुलायम सिंह यादव और उनके पुत्र अखिलेश यादव के द्वारा राम भक्तों के ऊपर किए गए अत्याचारों को भूल कर यह स्यापा कर रही है कि प्राण प्रतिष्ठा के आयोजन में उसके नेता अखिलेश यादव को न्योता क्यों नहीं भेजा गया। न्योता न भेजे जाने की वजह का उत्तर सपा के ही एक मुसलमान सांसद ने दे दिया।ऐसे आनंद के अवसर पर सपा सांसद की जहरीली बातों का उल्लेख ना ही करना बेहतर होगा। राम मंदिर निर्माण समिति को सपा को उत्तर देने की आवश्यकता ही नहीं पड़ी।इस मौके पर कांग्रेसियों को यह याद आया कि विवादित ढांचे का ताला राजीव गांधी के प्रधानमंत्री रहते खुला था। यहां प्रश्न है कि ताला खोलने का आदेश अदालती था फिर राजीव गांधी बीच में कहां से आ गए। विपक्षी दलों के कई नेताओं को चिंता है कि मंदिर निर्माण के लिए जो चंदा इक्कठा हुआ था उसका हिसाब कहां है।इस मूर्खतापूर्ण सवाल पूछने वालों के लिए जवाब यह है कि केरल के पद्मनाभ स्वामी के मंदिर के तहखाने में भगवान के एक लाख 75 हजार करोड़ रुपए मूल्य के आभूषण रखे हुए थे और अधनंगा फिरने वाला पुजारी उस तहखाने की चाबियां लेकर फिरता रहता था। उस पुजारी की नीयत पर शक करने वाले सेकुलरिस्टों की कृपा से अदालती आदेश से तहखाना खोला गया और पुजारी की ईमानदारी प्रमाणित हो गई। सो राम मंदिर निर्माण से जुड़े लोगों पर मुस्लिम परस्त दल लाख शक करें पर किसी राम भक्त की बेइमानी साबित नहीं कर पाएंगे क्यों कि धार्मिक हिंदू अपने आराध्य के खजाने से चोरी करने पर विश्वास नहीं करते। ऐसे सवाल वो पूछते हैं जिन्होंने मंदिर निर्माण के लिए आठ आने भी नहीं दिए। Click to share on Twitter (Opens in new window)Click to share on Facebook (Opens in new window)Click to print (Opens in new window)Click to email a link to a friend (Opens in new window)Click to share on Telegram (Opens in new window)Click to share on WhatsApp (Opens in new window) Related Post navigation आज है दिवाली, ऐसे रखें मां लक्ष्मी की मूर्ति, गणेश की प्रतिमा रखते समय इस बात का जरूर रखें ध्यान दिवाली के दिन जरूर खाएं ओल की सब्जी, घर में बढ़ती है सुख-समृद्धि और धन-संपदा, जानिए क्या है परंपरा