बिहार की 3 ग्राम पंचायतों को मिला राष्ट्रीय पंचायत पुरस्कार, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने किया सम्मानित

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भारत वर्ष 2030 तक सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रतिबद्ध है। इस उद्देश्य की पूर्ति में स्थानीय सरकारों को शामिल करने के लिए को नीति आयोग ने सतत विकास लक्ष्यों के स्थानीयकरण का निर्णय लिया, जिसके उपरांत पंचायती राज मंत्रालय के द्वारा 17 सतत विकास लक्ष्यों के स्थानीयकरण हेतु 9 थीम निर्धारित किया गए। इन 9 थीमों में पंचायती राज मंत्रालय, भारत सरकार के द्वारा पंचायत विकास सूचकांक (पीडीआई) का विकास किया गया है।

यह बहु-क्षेत्रीय सूचकांक है जो पंचायतों के विकास, प्रदर्शन और प्रगति को दर्शाता है। पंचायत विकास सूचकांक में कई सामाजिक और आर्थिक संकेतकों और मापदंडों का उपयोग किया गया है, जो किसी पंचायत के क्षेत्र में स्थानीय समुदायों के कल्याण और विकास की स्थिति का आकलन करते हैं। पंचायती राज मंत्रालय के द्वारा 9 विषयों अंतर्गत 144 स्थानीय लक्ष्यों और 688 डाटा बिंदुओं के आधार पर 577 स्थानीय संकेतक सुझाए गए हैं, जो पंचायत विकास सूचकांक की समुचित गणना के लिए आवश्यक हैं। यह पंचायतों में सतत विकास लक्ष्यों के स्थानीयकरण के माध्यम से वर्ष 2030 तक सतत विकास लक्ष्यों को हासिल करने की राष्ट्रीय प्रतिबद्धता को मजबूती प्रदान कर रहा है।

बिहार में पंचायत विकास सूचकांक-

बिहार राज्य में पंचायत विकास सूचकांक (PDI) के सुचारू एवं सफल क्रियान्वयन हेतु राज्य स्तर पर 02, जिला स्तर पर 02, अनुमंडल स्तर पर 01 एवं प्रखण्ड स्तर पर 01 समिति का गठन किया गया है। डाटा संग्रहण एवं सत्यापन हेतु विभिन्न स्तर पर कुल 18 विभागों की सहायता ली गई है। राज्य स्तर पर कुल 485 स्थानीय संकेतक एवं 514 डाटा बिंदुओं को कन्फ़िगर किया गया। इनमें से 134 डाटा बिंदुओं का डाटा एप्लीकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस (API) के माध्यम से स्वतः विभिन्न विभागों के प्रमाणित पटल से लिया जाता है। डाटा के संग्रहण के उपरांत विभागों द्वारा उनके सत्यापन की व्यवस्था की गई है।

डाटा संग्रहण एवं सत्यापन की प्रक्रिया-

विभाग-वार 20 डाटा संग्रहण प्रारूप में ग्राम पंचायत स्तर का डाटा विभिन्न पंचायत एवं प्रखण्ड स्तरीय कार्यालयों से प्राप्त कर इन्हें ग्राम सभा से अनुमोदित कराने के उपरांत PDI पोर्टल पर इनकी प्रविष्टि की जाती है। इसके उपरांत सर्वप्रथम डाटा से संबंधित लाईन विभाग के प्रखण्ड स्तरीय पदाधिकारी के द्वारा इनका सत्यापन किया जाता है। तत्पश्चात ब्लॉक स्तरीय, जिला स्तरीय एवं राज्य स्तरीय समिति के द्वारा इनके सत्यापन के उपरांत डाटा पंचायत राज मंत्रालय को अग्रसारित किया जाता है।

पंचायतों की रैंकिंग-

प्राप्त डाटा के आधार पर पंचायती राज संस्थाओं हेतु थीम वार एवं समेकित स्कोर जारी किया जाता और प्राप्त स्कोर के आधार पर पंचायतों (ग्राम पंचायत, पंचायत समिति एवं जिला परिषदों) की रैंकिंग की जाती है। मूल्यांकन वर्ष 2022-23 में पंचायत विकास सूचकांक (PDI) के पटल पर अंकित डाटा एवं स्वयं के निधि के स्त्रोत (OSR) के द्वारा अर्जित आय के आधार पर पंचायतों को राष्ट्रीय पंचायत पुरस्कार से सम्मानित किया गया है, जिसमें बिहार की तीन ग्राम पंचायतें भी शामिल हैं।

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