अजगैवीनाथ धाम के गंगा घाट पर देवघर की तरह ही स्थायी पंडा होते हैं जो अपने यजमानों को जल संकल्प कराते हैं। इन पंडों की मानें तो उनके पास यजमानों की पहचान के लिए पिछले तीन सौ साल का यजमानी रिकॉर्ड है। जैसे बाहर के जिले और राज्यों से कांवरिया गंगा घाट पर आते हैं तो उनका नाम पता जानकर यजमानी रिकॉर्ड देखकर पंडे की पहचान की जाती है। पुरानी व्यवस्था के अनुसार बाहर से आने वाले कांवरियों को स्थानीय पंडा आराम करने और ठहरने के लिए ध्वजा गली स्थित अपने आवास में जगह भी उपलब्ध कराते थे।
अब सावन प्रारंभ होने के साथ एक ओर जहां कांवरियों की भीड़ लगती है। वहीं पंडों की सावन में बाढ़ सी आ जाती है। मेला के दौरान यहां पर पंडों की संख्या अन्य दिनों से कई गुना अधिक हो जाती है। बिहार और झारखंड के विभिन्न जिलों से पंडा यहां सावन के दौरान आते हैं। पहले यहां स्थायी और अस्थायी पंडों के बीच झड़प होती रहती थी। इधर कई वर्षों से प्रशासन द्वारा पहचान पत्र दिए जाने के बाद इस समस्या से काफी निजात मिली है। चुन्नू मुन्नू लाल मोहरिया पंडा के अनुसार यहां स्थायी पंडा पूर्व में 30-40 घर थे। जिनके पास आज भी अपने जजमान का तीन सौ वर्ष पुराना रिकॉर्ड है। पहले कांवरिया आते थे और अपने पंडा के आवास ध्वजागली में ठहरते थे। गंगा स्नान कर गंगाजल ले पंडा के घर पहुंच जल संकल्प करा कर दान देकर जाते थे।
शिखा और उमाकांत के भजनों पर झूमे श्रद्धालु
अजगैबीनाथ धाम । नमामि गंगे घाट सांस्कृतिक मंच पर शनिवार को पटना की लोक गायिका शिखा सहाय और संस्कृति लोक उपकार सेवा संस्थान पटना के लोक गायक उमाकांत बरूआ पटना ने प्रस्तुति दी। संयोजक अजय अटल ने बताया कि धांधी बेलारी सांस्कृतिक मंच पर शेर अफगान ग्रुप सबौर के कलाकार सहित पटना के कलाकार नीतू कुमारी, कमलेश कुमार सिंह ने एक से बढ़कर एक प्रस्तुति दी। जिस पर कांवरिया देर रात तक झूमते रहे। उधर नमामि गंगा घाट और सीढ़ी घाट पर बनारस के तर्ज पर पंडितों द्वारा गंगा महाआरती किया गया।