दिवाली के बाद शादी का सीजन शुरू होने वाला है, और कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAT) ने अनुमान लगाया है कि इस साल करीब 48 लाख शादियां होंगी। इससे देश की अर्थव्यवस्था में लगभग 6 लाख करोड़ रुपये का कारोबार होने की उम्मीद है। इस साल विवाह के लिए 18 शुभ तिथियां निर्धारित की गई हैं।
कैट के राष्ट्रीय महासचिव और बीजेपी सांसद प्रवीण खंडेडवाल ने बताया कि शादियों का सीजन 12 नवंबर को देवउठनी एकादशी से शुरू होगा और 16 दिसंबर तक चलेगा। इस बार शुभ तिथियों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है; पिछले सीजन में 11 शुभ तिथियां थीं, जिससे 35 लाख शादियों से लगभग 4.25 लाख करोड़ रुपये का कारोबार हुआ था।
शादियों की शुभ तिथियां इस साल शादियों के लिए शुभ तिथियां 12, 13, 17, 18, 22, 23, 25, 26, 28, 29 नवंबर और 4, 5, 9, 10, 11, 14, 15, और 16 दिसंबर हैं। इसके बाद एक महीने का ब्रेक रहेगा, और फिर शादी का सीजन जनवरी 2025 के मध्य में फिर से शुरू होगा।
स्थानीय उत्पादों पर जोर कैट के अनुसार, देशभर के 75 शहरों में व्यापारियों के साथ चर्चा से पता चला है कि उपभोक्ता अब विदेशी उत्पादों की तुलना में भारतीय उत्पादों को अधिक प्राथमिकता दे रहे हैं। इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘वोकल फॉर लोकल’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल की सफलता माना जा सकता है।
खर्च का अनुमान शादियों में औसतन खर्च का 10% कपड़े, 15% आभूषण, 5% इलेक्ट्रॉनिक्स, 5% मिठाई और स्नैक्स, 5% किराने का सामान, 4% उपहार वस्तुओं, और 6% अन्य वस्तुओं पर होता है। इसके अलावा, बैंक्वेट हॉल, होटल, खानपान, और सजावट पर भी महत्वपूर्ण खर्च होता है।
प्रति शादी औसत खर्च
- 10 लाख शादियाँ: प्रति शादी 3 लाख रुपये
- 10 लाख शादियाँ: प्रति शादी 6 लाख रुपये
- 10 लाख शादियाँ: प्रति शादी 10 लाख रुपये
- 10 लाख शादियाँ: प्रति शादी 15 लाख रुपये
- 7 लाख शादियाँ: प्रति शादी 25 लाख रुपये
- 50,000 शादियाँ: प्रति शादी 50 लाख रुपये
- 50,000 शादियाँ: प्रति शादी 1 करोड़ रुपये या अधिक
इस प्रकार, शादी का मौसम न केवल सामाजिक उत्सव है, बल्कि यह अर्थव्यवस्था में भी महत्वपूर्ण योगदान देता है।