सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट और देश के पूर्व एडिशनल सॉलिसिटर जनरल रहे फली एस नरीमन का 95 साल की उम्र में निधन हो गया। उन्होंने 70 साल तक वकालत की प्रैक्टिस की और उन्हें पद्म भूषण और पद्म विभूषण से भी सम्मानित किया गया था। कई ऐतिहासिक मामलों में उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में बहस की। मई 1972 में उन्हें भारत का अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल नियुक्त किया गया था।
इमरजेंसी लगाने पर दिया था इस्तीफा
फली एस नरीमन इंदिरा गांधी के शासन काल में अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल नियुक्त हुए थे लेकिन इमरजेंसी लगाए जाने के बाद उन्होंने पद से इस्तीफा दे दिया था। नरीमन ने अपनी किताब में यह लिखा था कि वह सेक्यूलर भारत में फले-फूले और अपना जीवन गुजारा और सेक्यूलर भारत में आखिरी सांस भी लेना चाहेंगे।
कई अहम मामलों में की बहस
अपने 70 साल से ज्यादा के करियर में उन्होंने ने प्रसिद्ध राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) फैसले सहित कई ऐतिहासिक मामलों पर बहस की। वह महत्वपूर्ण एससी एओआर एसोसिएशन मामले (जिसके कारण कॉलेजियम प्रणाली का जन्म हुआ), टीएमए पाई मामला (अनुच्छेद 30 के तहत अल्पसंख्यक अधिकारों के दायरे पर) समेत कई अन्य मामलों में पेश हुए।
न्यायपालिका की स्वतंत्रता के हिमायती
मौजूदा दौर में सबसे बड़े कानून विशेषज्ञ और संविधान विद में फली एस नरीमन का नाम लिया जाता है। फली के बेटे रोहिंटन नरीमन सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस पद से रिटायर हो चुके हैं। नरीमन हमेशा इस बात के हिमायती रहे से न्यायपालिका की स्वतंत्रता बनी रहनी चाहिए।
फली एस नरीमन की आत्मकथा बिफोर मेमोरी फेड्स भी काफी लोकप्रिय हुई। वकालत के पेशे से जुड़े लोगों में यह काफी पढ़ा गया। फली नरीमन को 1999 से 2005 के बीच में राज्यसभा के सदस्य के तौर पर भी नॉमिनेट किया गया था।