भारत में हो रहे बिजली की खपत से सीधा अर्थव्यवस्था पे असर पड़ है। बढ़ोतरी नौ फीसदी है। बता दें कि अप्रैल-नवंबर के दौरान देश में कुल बिजली खपत 1099.90 अरब यूनिट रही। वहीं बीते साल इसी समय में बिजली खपत 1010.20 अरब यूनिट रही थी। वहीं साल 2021-22 में अप्रैल- नवंबर के दौरान कुल ऊर्जा खपत 916 अरब यूनिट रही थी। साल 2022-23 के पूरे वित्तीय वर्ष के दौरान कुल ऊर्जा खपत 1504.26 अरब यूनिट रही जो कि वित्तीय वर्ष 2021-22 के 1374 अरब यूनिट के मुकाबले ज्यादा है।
अर्थव्यवस्था में उछाल का असर – ऊर्जा क्षेत्र के विशेषज्ञों का कहना है कि इस वित्तीय वर्ष के पहले आठ महीनों में बिजली खपत में आई 9 प्रतिशत की तेजी, देश की अर्थव्यवस्था में आए उछाल के चलते है। केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आर के सिंह ने बीते दिनों लोकसभा में एक लिखित जवाब में बताया कि देश में वित्तीय वर्ष 2013-14 के मुकाबले 2022-23 में बिजली की खपत में 50.8 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।
2013-14 में चरम पर बिजली की मांग 136 गीगावाट रही थी, वहीं 2023 में यह मांग 243 गीगावाट हो गई है। ऊर्जा मंत्री ने बताया कि ‘हमने अपनी क्षमता में 194 गीगावाट की बढ़ोतरी की है, जिसकी वजह से हमें बिजली की बढ़ती मांग से परेशानी नहीं हुई’।
मार्च, अप्रैल, मई और जून में इस साल बारिश की वजह से बिजली की मांग में कमी रही लेकिन अगस्त, सितंबर, अक्तूबर में उमस के चलते बिजली की मांग में बढ़ोतरी देखी गई। साथ ही त्यौहारी सीजन के चलते औद्योगिक गतिविधियों में जो तेजी आई, उसके चलते भी बिजली की मांग बढ़ी।
गर्मियों में और बढ़ेगी मांग – ऊर्जा मंत्रालय का कहना है कि इस बार गर्मियों में बिजली की मांग 229 गीगावाट तक पहुंचने का अनुमान है। हालांकि अभी भी यह अनुमानित स्तर से कम है क्योंकि अप्रैल-जुलाई में बेमौसम बारिश की वजह से बिजली की मांग थोड़ी कम रही।
हालांकि बीते जून में देश में बिजली की मांग 224 गीगावाट तक पहुंच गई थी लेकिन उसके बाद जुलाई में उसमें गिरावट आई और यह 209 गीगावाट रही। इसके बाद अगस्त में बिजली की मांग 238.82 गीगावाट रही और सितंबर में 243.27 गीगावाट। अक्तूबर में देश में बिजली की मांग 222.16 गीगावाट रही और नवंबर में यह 204.86 गीगावाट रही थी।