दिल्ली सेवा बिल कल यानी सोमवार रात को राज्यसभा में पारित हो गया। सत्तासीन NDA और विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A दोनों ही पक्षों ने अपनी ओर से पूरी ताकत झोंक दी थी। हालांकि एनडीए को 102 के मुकाबले 131 वोटों से जीत हासिल हुई। कांग्रेस ने एक एक वोट के लिए काफी मशक्कत की, लेकिन वह बिल को पारित होने से नहीं रोक पाई इसी बीच कांग्रेस ने इस बिल को पारित करने से रोकने के लिए खराब सेहत के बावजूद पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को भी राज्यसभा में वोटिंग के लिए बुलाया था। मनमोहन सिंह की उम्र 90 साल की है। इसके बावजूद वे पूरी बहस और वोटिंग के दौरान व्हीलचेयर पर बैठे नजर आए। इस बीच इसे लेकर भी आरोप प्रत्यारोप की राजनीति शुरू हो गई। बीजेपी ने मनमोहन सिंह की खराब सेहत और उम्र के बावजूद उन्हें सदन में बुलाए जाने को अमानवीय बताया है।
इस संबंध में भारतीय जनता पार्टी ने एक ट्वीट जारी कर कहा कि कांग्रेस के इस ‘पागलपन’ को देश याद रखेगा। बीजेपी ने ट्वीट किया, जिसमें लिखा कि ‘याद रखेगा देश, कांग्रेस की यह सनक! कांग्रेस ने सदन में एक पूर्व प्रधामंत्री की देर रात स्वास्थ्य की ऐसी स्थिति में भी उन्हें व्हीलचेयर पर बैठाए रखा। वो भी सिर्फ अपने गठबंधन को जिंदा रखने के लिए! बेहद शर्मनाक!
कांग्रेस ने बीजेपी को दिया यह जवाब
इस पर कांग्रेस ने जवाब देते हुए मनमोहन सिंह के सदन में पहुंचने को संविधान के सम्मान से जोड़कर बात कही है। कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि ‘लोकतंत्र के लिए डॉक्टर साहब का यह समर्पण बताता है कि वे देश के संविधान में कितनी आस्था रखते हैं।’श्रीनेत ने इस बात को बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं के सम्मान से भी जोड़ दिया। उन्होंने लिखा कि ‘ऐसे वक्त में जब बीजेपी ने अपने सीनियर नेताओं को मानसिक तौर पर ‘कोमा’ में भेज दिया है, तो वहीं दूसरी ओर मनमोहन सिंह हमारे लिए प्रेरणा और साहस बने हुए हैं। अपने मास्टर को बताइए कि वे कुछ सीखें।’
आप नेता राघव चड्ढा ने दिया ये रिएक्शन
कांग्रेस के अलावा आम आदमी पार्टी के सांसद राघव चड्ढा ने भी मनमोहन सिंह की जमकर तारीफ की है। उन्होंने लिखा कि ‘राज्यसभा में मनमोहन सिंह काले अध्यादेश के खिलाफ हमारे लिए मशाल बनकर बैठे रहे। लोकतंत्र और संविधान के लिए उनका समर्पण हमारे लिए प्रेरणा की बात है। हम उनका बहुत सम्मान करते हैं।’
राज्यसभा में बिल रोकने के लिए जमा रखी थी पूरी फिल्डिंग
विपक्ष ने राज्यसभा में दिल्ली सेवा बिल न पारित हो सके, इसके लिए पूरी फिल्डिंग जमा रखी थी। जहां एक ओर वयोवृद्ध नेता और पूर्व पीएम मनमोहन सिंह सदन में मौजूद थे। वहीं दूसरी ओर, झारखंड मुक्तिमोर्चा के संस्थापक शिबू सोरेन भी खराब सेहत के बावजूद सदन में आए थे। बिल को रोकने के लिए एनडी के मुकाबले विपक्षी गठबंधन को 102 वोट ही मिल सके। फिलहाल राज्यसभा में कुल 238 सदस्य हैं, जबकि 7 सीटें खाली हैं।