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अवैध घुसपैठ रोकने के लिए पूर्वोत्तर के छात्र संगठनों ने गृहमंत्री अमित शाह से की हस्तक्षेप की मांग

ByKumar Aditya

अगस्त 8, 2024
20240731142L jpgNew Delhi, Jul 31 (ANI): Union Home Minister Amit Shah speaks in the Rajya Sabha during the Monsoon Session of Parliament, in New Delhi on Wednesday. (ANI Photo/SansadTV)

बांग्लादेश में चल रही अशांति को देखते हुए नॉर्थ ईस्ट स्टूडेंट्स ऑर्गनाइजेशन (NESO) ने गृह मंत्री अमित शाह से हस्तक्षेप करने की मांग की है। NESO ने कहा बांग्लादेश से कोई भी अवैध रूप से पूर्वोत्तर राज्यों में प्रवेश न कर सके। साथ ही अनुरोध किया है कि पूरे पूर्वोत्तर क्षेत्र में एक भी घुसपैठियों को शरण न दिया जाए।

केंद्रीय गृह मंत्री को भेजे गए पत्र में NESO ने सीमा पार से अवैध प्रवास के प्रयासों का पता लगाने,पूर्वोत्तर भारत और बांग्लादेश के बीच सीमा पर पूरी तरह से और सख्ती से निगरानी करने की मांग की है। NESO ने कहा कि पड़ोसी देश बांग्लादेश में हो रही उथल-पुथल भरी घटनाओं जहां गृहयुद्ध जैसे हालात बने हुए हैं। ऐसी स्थिति का भारत में गंभीर प्रभाव हो सकता है,खासकर उत्तर-पूर्व क्षेत्र में, जहाँ भारत के चार राज्य बांग्लादेश के साथ अंतरराष्ट्रीय सीमा साझा करते हैं।

गौरतलब है कि बांग्लादेश के साथ त्रिपुरा 856 किलोमीटर, मेघालय 443 किलोमीटर, मिजोरम 318,असम 262 किलोमीटर लंबी साझा सीमा साझा करता है। NESO ने चिंता जाहिर की है कि खासकर उत्तर पूर्व क्षेत्र में बांग्लादेश में चल रहे संकट के कारण उसके नागरिकों का हमारे देश में पलायन हो सकता है। NESO ने कहा कि पिछली घटनाओं से पता चलता है कि जब भी बांग्लादेश में दंगा होता है, तो उत्तर पूर्व क्षेत्र को हमेशा बड़े पैमाने पर अवैध अप्रवासियों का खामियाजा भुगतना पड़ता है।

इसमें यह भी कहा गया है कि 1947 में विभाजन के दौरान पूर्वी पाकिस्तान से लाखों लोग अवैध रूप से सीमा पार कर आए और असम और त्रिपुरा (तब केंद्र शासित प्रदेश) में जबरन जमीनों पर कब्जा कर लिया। यहां के मूल निवासियों की पारंपरिक जीवनशैली को इन प्रवासी विदेशियों द्वारा पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया। जिनका उद्देश्य मूल निवासियों की गरिमा की कीमत पर इस क्षेत्र में जबरन एक नया घर बनाना है। 1947 से बड़े पैमाने पर पलायन के तहत त्रिपुरा में बांग्लादेशी आबादी में नाटकीय वृद्धि देखी गई।

यह ध्यान देने योग्य है कि असम में अवैध प्रवासियों की भारी आमद हुई है और अभी भी हो रही है, जिसके कारण छह साल तक असम आंदोलन चला, जिसमें 860 लोगों की शहादत हुई जिसके परिणामस्वरूप ऐतिहासिक असम समझौते पर हस्ताक्षर हुए जिसमें असम से अवैध बांग्लादेशियों को निर्वासित करने का वादा किया गया था। इसी तरह, मेघालय और अरुणाचल प्रदेश में अतीत में बड़े पैमाने पर आंदोलन हुए और आज भी सभी विदेशियों को उनके राज्यों से तत्काल निर्वासित करने की मांग की जा रही है। उत्तर पूर्व के छात्र संगठन ने यह भी कहा कि इस क्षेत्र में अप्रवासियों के इस तरह के बेरोकटोक प्रवाह ने इन विदेशियों और स्वदेशी लोगों के बीच असुरक्षा, आंदोलन, दंगे और झड़पों को जन्म दिया है।

नॉर्थ ईस्ट स्टूडेंट्स ऑर्गेनाइजेशन के बारे में

नॉर्थ ईस्ट स्टूडेंट्स ऑर्गेनाइजेशन (NESO) असम, मेघालय, मणिपुर, मिजोरम, नागालैंड, अरुणाचल प्रदेश और त्रिपुरा के सात राज्यों का प्रतिनिधित्व करने वाले आठ छात्र संगठनों का एक समूह है और इसमें ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (AASU), खासी स्टूडेंट्स यूनियन (KSU), गारो स्टूडेंट्स यूनियन (GSU),ऑल मणिपुर स्टूडेंट्स यूनियन (AMSU), मिजो जिरलाई पावल (MZP), नागा स्टूडेंट्स फेडरेशन (NSF), ऑल अरुणाचल प्रदेश स्टूडेंट्स यूनियन (AAPSU) और त्विप्रा स्टूडेंट्स फेडरेशन (TSF) शामिल हैं।