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बैंकिंग कानून को बेहतर बनाने लगातार प्रयास, बैंक अकाउंट में अब बना सकेंगे 4 नॉमिनी

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केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार (09 अगस्त) को लोकसभा में बैंकिंग कानून (संशोधन) विधेयक, 2024 पेश किया है। इस विधेयक में ऐसा प्रावधान किया गया है कि हरेक बैंक खाताधारक एक खाते के लिए चार ‘नॉमिनी’ तक दर्ज करा सकेगा। अभी तक एक बैंक खाते में एक ही नॉमिनी का उल्लेख करने का नियम है। अगर यह बिल संसद से पारित होता है तो अब नॉमिनी को बढ़ाकर चार तक किया जा सकता है।

हालांकि, यह वैकल्पिक प्रावधान होगा। प्रस्तावित विधेयक में एक और बड़े बदलाव की बात कही गई है। इसके तहत कंपनी के निदेशकों के सबस्टेंशियल इंटरेस्ट (substantial interest) को फिर से परिभाषित किया गया है और इसके तहत 5 लाख रुपये की वर्तमान सीमा को बढ़ाकर 2 करोड़ रुपये तक किया गया है, जो लगभग छह दशक पहले तय की गई थी।

लोकसभा में विपक्ष के कुछ सदस्यों ने सदन में यह विधेयक पेश किये जाने का विरोध किया। कांग्रेस के मनीष तिवारी ने कहा कि सहकारी समितियों और सहकारी बैंकों से जुड़े कानूनों में संशोधन का अधिकार राज्यों को है। उन्होंने इस संबंध में विधायी अधिकारों को लेकर अस्पष्टता की भी बात कही। उन्होंने कहा, ‘‘सहकारी समितियों पर केंद्र नियंत्रण कर सकता है या नहीं, इस पर विरोधाभास है।’’

आरएसपी के एन के प्रेमचंद्रन ने कहा कि सरकार एक साथ चार कानूनों में संशोधन का प्रयास कर रही है और यह सदन की परंपराओं के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि आपस में जुड़े विषयों से संबंधित कानूनों को लेकर ही विधेयक लाया जाता है। तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय ने भी चार कानूनों को एक विधेयक के माध्यम से संशोधित करने पर आपत्ति जताई।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने विपक्षी सदस्यों की आपत्तियों को खारिज करते हुए कहा कि बहु सहकारी बैंक से जुड़े कानून में पहले भी इस सदन के माध्यम से संशोधन किया जा चुका है और इससे छोटे खाता धारकों को राहत मिली है। उन्होंने कहा कि हम चार विधेयक भी ला सकते थे लेकिन जब एक समान तरह के कामकाज से जुड़े कानून हैं तो हम एक संशोधन विधेयक ला रहे हैं। उन्होंने कहा कि बैंकिंग विनियमन अधिनियम और सहकारी बैंकों के बीच एक संबंध है और कोई भी संशोधन इसी रास्ते से लाना होगा।

सीतारमण ने कहा, ‘‘सहकारी संस्थाओं, खासकर उन संस्थाओं को, जो बैंकों के अतिरिक्त अन्य सारे काम करती हैं, उन्हें कमजोर करने का कोई प्रयास नहीं है। बैंक और बैंकिंग गतिविधियों के लिए लाइसेंस रखने वाली सहकारी समितियों के लिए एक नियम होना चाहिए और इसीलिए हमने यह कदम उठाया है।’’ मंत्री के जवाब के बाद सदन ने ध्वनिमत से विधेयक को पेश किए जाने की मंजूरी दी।

विधेयक में वैधानिक लेखा परीक्षकों को भुगतान किया जाने वाला पारिश्रमिक तय करने में बैंकों को अधिक स्वतंत्रता देने का भी प्रावधान किया गया है। इस विधेयक में बैंकों के लिए विनियामक अनुपालन के लिए रिपोर्टिंग तिथियों को हर महीने के दूसरे और चौथे शुक्रवार के बजाय 15वें और आखिरी दिन को फिर से परिभाषित करने का भी प्रयास किया गया है।

इस विधेयक को पिछले शुक्रवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंजूरी दी थी, जिसके तहत भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934, बैंकिंग विनियमन अधिनियम 1949, भारतीय स्टेट बैंक अधिनियम 1955, बैंकिंग कंपनियां (उपक्रमों का अधिग्रहण और हस्तांतरण) अधिनियम 1970 और बैंकिंग कंपनियां (उपक्रमों का अधिग्रहण और हस्तांतरण) अधिनियम 1980 में संशोधन का प्रस्ताव है। इसकी घोषणा वित्त मंत्री ने अपने 2023-24 के बजट भाषण में की थी।

उन्होंने कहा था, ‘‘बैंक प्रशासन में सुधार और निवेशकों की सुरक्षा बढ़ाने के लिए बैंकिंग विनियमन अधिनियम, बैंकिंग कंपनी अधिनियम और भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम में कुछ संशोधनों का प्रस्ताव है।’’


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Rajkumar Raju

5 years of news editing experience in VOB.

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