तेजस्वी यादव अब गमछा नहीं लहराएंगे! बिहार में RJD बदलेगी अपना स्टाइल, जानें क्या है लालू यादव का प्लान?
लोकसभा चुनाव 2024 में संभावनाएं जगाने के बावजूद तेजस्वी यादव बिहार में वैसे नतीजे नहीं दिला सके, जिसकी उम्मीद थी। विपक्षी गठबंधन में उनकी आवाज की ताकत कायम रहे, इसके लिए RJD को अगले चुनाव में बढ़िया प्रदर्शन करना ही होगा। तेजस्वी यादव की इस परीक्षा का सिलसिला राज्य में जल्द ही होने वाले उप-चुनाव से शुरू हो जाएगा। नये लोग पार्टी से जुड़ सकें, इस गरज से पार्टी ने सियासी रण में अपना स्टाइल बदलने का मन मनाया है। अपने ठेठ बिहारी अंदाज में लालू यादव सक्रिय राजनीति के अपने दौर में जिस तरह समर्थकों से संवाद करते थे, उसका कोई तोड़ नहीं। एक निश्चित वोट बैंक जो दशकों से हार जीत की परवाह किए बगैर अगर RJD के साथ है तो उसमें लालू प्रसाद यादव के व्यक्तित्व का सबसे बड़ा योगदान है, लेकिन कई दशक बीत गए, लेकिन यह वोट बैंक MY से आगे बढ़ ही नहीं पाया है। लालू यादव को सिर्फ एक बार अपने दम पर बहुमत मिला और फिर कभी नहीं मिला।
सांसदों-विधायकों की बैठक में लिया गया फैसला
हाल ही के वर्षों में नीतीश कुमार के दम पर सत्ता का स्वाद चखने और फिर दूर कर दिए जाने का हल ढूंढना RJD लिए जरूरी हो गया है। ‘जंगलराज’ शब्द का इस्तेमाल पहली बार पटना हाईकोर्ट ने किया थ, लेकिन RJD को कॉर्नर करने के लिए आज भी नए-नए तरीकों से इसका इस्तेमाल होता है। ऐसा नहीं है कि बिहार में अब घटनाएं नहीं हो रहीं, लेकिन लेबल हो गए तो हो गए। इस लेबल से अब नुकसान झेलना पड़ रहा है, क्योंकि अब सिर्फ MY से सरकार नहीं बनती। दूसरे वोटों की भी दरकार है। तेजस्वी की छवि अच्छी है। RJD का वोट बैंक उनके दौर में बढ़ा है और इस वक्त वोट शेयर के लिहाज से वह बिहार में सबसे बड़ी पार्टी है। तेजस्वी अपनी छवि के दम पर 2020 और 2024 का चुनाव लड़ चुके हैं, लेकिन MY की सीमाओं से जूझ रहे हैं। नए समाज खासकर महिलाओं के RJD से दूर रहने की समस्या झेल रहे हैं। लिहाजा बुधवार को पटना में सांसदों-विधायकों की बैठक में तय हुआ कि अब RJD का फेवरेट हरा गमछा लहराने वाला स्टाइल सबको छोड़ना होगा।
तेजस्वी पर भी गमछा लहराने पर रोक लगी
बैठक में लिए गए फैसले के अनुसार, पार्टी की छवि को ऐसा बनाना होगा, जिस देखकर नया समाज पार्टी से जुड़ सके। पार्टी वर्कर को गमछा छोड़ हरी टोपी पर शिफ्ट होना है। समाजवादी पार्टी की लाल टोपी की तरह, अब गमछा कंधे पर रखना ही नहीं है। तेजस्वी खुद 10 सितंबर से यात्रा पर निकल रहे हैं। पिछली बार लोकसभा चुनाव 2024 के पहले निकले थे। तब गमछा लहराने का वीडियो और फोटो बहुत वायरल हुआ था। उनको देख समर्थकों ने भी खूब लहराया था गमछा। बिहार में गमछा लहराते हुए पगड़ी जिसे लोकल स्तर पर मुरेठा बांध लेना दबंगई का प्रतीक माना जाता है। इस बार पार्टी के नये नियम के तहत तेजस्वी पर ही ऐसा करने पर रोक होगी। फीडबैक यह है कि गमछा वाले तो अपने हैं हीं, नए लोग नहीं जुड़े तो कब तक दूसरे के दम पर सत्ता की बाट जोहते रहेंगे। नए लोगों और नए समाज को जोड़ने के लिए RJD की छवि में बदलाव की कोशिश तेजस्वी की यात्रा से आकार लेगी।
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