सुप्रीम कोर्ट ने लैंगिक भेदभाव और असमानता को दर्शाने वाले शब्दों के इस्तेमाल से बचने के लिए बुधवार को एक हैंडबुक लॉन्च किया। अब जल्द ही कानूनी शब्दावली से छेड़छाड़, वेश्या, बिन ब्याही मां, अफेयर और हाउसवाइफ जैसे शब्द बाहर हो जाएंगे।
चीफ जस्टिस ने जारी किया हैंडबुक
सुप्रीम कोर्ट की तरफ से जारी हैंडबुक में न्यायिक विमर्श में और आदेशों व फैसलों के उपयोग के लिए वैकल्पिक शब्द एवं मुहावरे सुझाए हैं। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 को हटाने के खिलाफ दाखिल याचिकाओं पर सुनवाई शुरू करते वक्त इस हैंडबुक का जारी किया। इस हैंडबुक का नाम है- ‘हैंडबुक ऑन कॉम्बैटिंग जेंडर रूढ़िवादिता’।
प्रचलित शब्दों के इस्तेमाल से नुकसान
30 पेज के इस हैंडबुक में यह भी बताया गया है कि प्रचलित शब्द गलत क्यों हैं और वे कानून को और कैसे बिगाड़ सकते हैं। हैंडबुक लॉन्च करते समय चीफ जस्टिस ने कहा कि इसे तैयार करने का मकसद किसी फैसले की आलोचना करना या संदेह करना नहीं , बल्कि यह बताना है कि अनजाने में कैसे रूढ़िवादिया की परंपरा चली आ रही है। अदालत का उद्देश्य यह बताना है कि रुढ़िवादिता क्या है और इससे क्या नुकसान है।
कई शब्दों को बदला गया
इस हैंडबुक में कई शब्दों को बदला गया है। जैसे इनमें बिन ब्याही मां की जगह सिर्फ मां, वेश्या की जगह यौनकर्मी, अफेयर की जगह शादी से इतर रिश्ता, छेड़छाड़ की जगह सड़क पर यौन उत्पीड़न जैसे शब्दों का इस्तेमाल होगा।
सूची में शामिल कुछ शब्द इस प्रकार हैं: –
- व्यभिचारिणी :विवाहेतर संबंध बनाने वाली महिला
- प्रेम संबंध : विवाह से बाहर संबंध
- बाल वेश्या: जिस बच्चे-बच्ची की तस्करी की गई है –
- रखैल: एक महिला, जिसके साथ एक पुरुष का विवाहेतर यौन संबंध है
- फब्तियां कसना: गलियों में किया जाने वाला यौन उत्पीड़न
- जबरन बलात्कार: बलात्कार
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