भागलपुर के मोहद्दीनगर दुर्गा मंदिर में 1952 से हो रही पूजा, संतान प्राप्ति की कामना के लिए दूर-दराज से पहुंचते हैं श्रद्धालु
भागलपुर । मोहद्दीनगर दुर्गा मंदिर में वर्षों से मां की पूजा-अर्चना हो रही है। इस बार पंडाल और गेट काफी भव्य बन रहा है। मां दुर्गा का वस्त्रत्त् बनारस से आ रहा है। अध्यक्ष राकेश रंजन केशरी ने बताया कि मोहद्दीनगर दुर्गा मंदिर 111 साल पुराना है।
1952 में जब जमींदारी प्रथा की समाप्ति हुई तो मंदिर जनता को सुपुर्द कर दिया गया। उन्होंने बताया कि पूर्व जमींदार स्वर्गीय तिलकधारी लाल को कोई भी बच्चा नहीं था। किसी साधु ने उनसे कहा कि आप जगत जननी मां दुर्गा की आराधना करें, तब उन्होंने मां के मंदिर का निर्माण कर पूजा-अर्चना की।
इसके बाद उन्हें पुत्री हुई जिसका नाम कल्याणी रखा गया था। आज भी इस मंदिर के मुख्य द्वार पर मां कल्याणी द्वार लिखा हुआ है। यहां श्रद्धालु दूर-दराज से संतान प्राप्ति की कामना के लिए पहुंचते हैं। मां दुर्गा को यहां 14 चांदी की थालियों में भोग लगया जाता है। सचिव प्रफुल्ल चंद्र सिंह ने बताया कि नवरात्र में मां की आरती 108 दीपक से होगी।
साथ ही चांदी के 14 थालों में मां को भोग लगाया जायेगा। अध्यक्ष ने बताया कि विसर्जन में स्थानीय महिलाओं के साथ 10 हजार से अधिक श्रद्धालु मौजूद रहते हैं। जगत जननी मां दुर्गा को पारंपरिक रथ पर विसर्जित किया जाता है। इस रथ को रस्सी के द्वारा 100 से अधिक नवयुवक खींचकर गंगटा पोखर ले जाते हैं। जहां मां की प्रतिमा को विसर्जित किया जाता है।
प्रतिमा सात फीट की होगी
अम्बे के मूर्तिकार रंजीत पंडित के द्वारा प्रतिमा का निर्माण कराया जा रहा है। इस बार प्रतिमा पिछले साल की तुलना में छोटी होगी। प्रतिमा सात फीट की बनायी जा रही है। बताया गया कि मूर्तिकार रंजीत पंडित से पहले उनके पिताजी रामशरण पंडित के द्वारा प्रतिमा तैयार किया जाता था।
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