भागलपुर : बीच शहर में अंतरराज्यीय साइबर ठग गिरोह का खुलासा
भागलपुर। बीच शहर में अंतरराज्यीय साइबर ठग गिरोह के संचालन को लेकर भागलपुर पुलिस पश्चिम बंगाल और झारखंड में छापेमारी कर रही है। मंगलवार को हुए खुलासे के बाद पुलिस की पूछताछ में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। जानकारी मिली है कि दुकान, मॉल और ऑनलाइन शॉपिंग साइट से साइबर ठगों को मोबाइल नंबर बेचे जा रहे थे। 14 रुपये में एक मोबाइल नंबर गिरोह को उपलब्ध कराया जा रहा था। हजारों नंबर उन्हें उपलब्ध कराया जा चुका था। मोबाइल नंबर बेचने वाले एक शख्स को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। घूरन पीरबाबा चौक के पास स्थित मकान में साइबर ठग गिरोह का खुलासा किया गया है। वे एडवरटाइजिंग एजेंसी के नाम पर गिरोह का संचालन कर रहे थे। गिरोह के 10 से ज्यादा सदस्यों को गिरफ्तार किया गया है। जिनमें प. बंगाल का राहुल और हंसडीहा से आदित्य को भी गिरफ्तार किया गया। इनमें आधा दर्जन युवतियां शामिल हैं।काफी संख्या में लोकल युवतियां भी काम कर रही थीं जिससे पूछताछ की जा रही है। साइबर थानेदार डीएसपी संजीव कुमार ने कहा कि अभी पुलिस अपना काम कर रही है। जल्द इसका खुलासा किया जाएगा।
तीन महीने में करोड़ों की ठगी, की-पैड वाला मोबाइल करते थे इस्तेमाल
पूछताछ में यह पता चला है कि साइबर ठगों का गिरोह शहर में पिछले तीन महीने से सक्रिय था। इतने समय में ही ठगों ने करोड़ों की ठगी कर ली थी। गिरफ्तार एक शख्स ने पुलिस को बताया कि उसने 20 लाख लोगों के खाते से उड़ाए। पुलिस ने ठगों के पास से जो मोबाइल जब्त किए हैं उनमें ज्यादातर की-पैड वाले ही हैं। लोकेशन व अन्य तकनीकी पहुंच से बचने के लिए वे छोटे मोबाइल का इस्तेमाल कर रहे थे।
गुरुग्राम की डॉक्टर व यूपी महाराष्ट्र के व्यापारी से ठगी
पुलिस को साइबर ठगों के पास से रजिस्टर मिला है जिसमें उन लोगों के नाम और नंबर मिले हैं जिन्हें उन्होंने कॉल किया और ठगी का शिकार बनाया। गुरुग्राम की डॉक्टर खुशबू भी उनके जाल में फंस गई। उन्होंने जो प्रोडक्ट खरीदा था उसी के नाम पर लकी ड्रॉ में आईफोन मिलने की बात कह उनसे हजारों रुपये की ठगी कर ली गई। महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश के रायबरेली के रहने वाले व्यवसायी और नौकरीपेशा को भी उन्होंने अपना शिकार बनाया। नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल पर शिकायत से पता चला है कि पांडिचेरी, गोवा सहित कई अन्य जगहों में रहने वाले लोग इस साइबर ठग गिरोह का शिकार बने हैं।
दिल्ली से पासबुक और सिम भागलपुर पहुंचता था
पुलिस की जांच में पता चला है कि साइबर ठगों का कनेक्शन दिल्ली और उत्तर प्रदेश से है। दिल्ली से बैंक खाते का पासबुक, एटीएम और सिम कार्ड झारखंड के हंसडीहा आता था और वहां से भागलपुर लाया जा रहा था। जितने भी पासबुक और सिम कार्ड की जांच की गई है उन सभी में फर्जी नाम से सिम लेने की बात सामने आई है। भागलपुर से भी सिम खरीदने की बात सामने आई है जिसकी जांच की जा रही है। सिम खरीदने वाला अपना असली नाम छिपाकर किसी और के नाम से सिम ले रहा था। यहां तक कि वे फर्जी नाम का इस्तेमाल कर रहे थे। यह भी पता चला है कि काम पूरा होने पर उस सिम को तोड़कर फेंक देते थे।
पीरबाबा चौक पर घंटों बिताने पर भी नहीं चल रहा था पता
अंतरराज्यीय साइबर ठग गिरोह के खुलासे की कहानी भी अनोखी है। साइबर ठगी के एक मामले में पुलिस को एक संदिग्ध की तलाश थी। संयोगवश नाथनगर का वही शख्स अपनी अन्य शिकायत लेकर साइबर थाना पहुंच गया। उसके मोबाइल नंबर की जांच हुई तो वह संदिग्ध निकला। पूछताछ की गई तो बताया कि घूरन पीरबाबा चौक के पास कोई इस तरह का कार्य कर रहा है। पुलिस टीम पहुंची। चौक पर घंटों बिताए। उसके बाद उक्त संदिग्ध से ही कहा गया कि वह कॉल करे। जब उसने कॉल किया तो पता चला कि आरोपी राहुल ऑफिस में ही है। उसके बाद पुलिस की टीम गिरोह तक पहुंच गई।
अंतरराज्यीय साइबर ठग गिरोह द्वारा ठगी के करोड़ों रुपये का कनेक्शन आतंकी संगठनों से है या नहीं, इस बिंदु पर भी जांच की जा रही है। इस बात की आशंका है कि पैसे टेरर फंडिंग के लिए भी हो सकता है। हालांकि इस बिंदु पर अभी तक कुछ सामने नहीं आया है। बंगाल और उत्तर प्रदेश के मास्टरमाइंड की गिरफ्तारी के बाद यह साफ हो जाएगा कि ठगी के पैसे कहां जा रहे थे और उसका क्या इस्तेमाल किया जा रहा था। पुलिस सभी बिंदुओं पर जांच कर रही है। साइबर ठगी गिरोह के सदस्यों के पास से काफी संख्या में पासबुक, सिम, एटीएम, क्रेडिट कार्ड और सैकड़ों लोगों के मोबाइल नंबर मिले हैं।
स्थानीय लोगों को भनक तक नहीं लगी
जिस मकान में यह गिरोह संचालित हो रहा था वहां रहने वाले अन्य लोगों को इसकी भनक तक नहीं लगी। बुधवार को एक शख्स उस मकान का फोटो और वीडियो बनाते हुए दिखा जहां से गिरोह का खुलासा किया गया है। स्थानीय लोगों के पूछताछ करने पर वह वहां से भाग निकला।
खरीदे प्रोडक्ट पर लकी ड्रॉ मिलने की बात कह करते थे कॉल
साइबर ठग गिरोह को मोबाइल नंबर बेचने वाले दुकानदार और साइट के स्टाफ यह भी बता देते थे कि मोबाइल नंबर धारक महिला या पुरुष ने क्या प्रोडक्ट खरीदा है। उसके बाद साइबर ठग उसी प्रोडक्ट की खरीदारी में लकी ड्रॉ के तहत कोई महंगा सामान उनके नाम से आने की बात कह जाल में फंसाते थे। प्रोसेसिंग चार्ज के नाम पर पहले पांच हजार, बाद में और पैसे की मांग करते थे। हजारों के बाद लाखों की ठगी का शिकार होने के बाद उन्हें एहसास होता था कि वे उनका शिकार हो गए।
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