ज्ञानवापी केसः वाराणसी कोर्ट ने हिन्दू पक्ष की याचिका कोर्ट की खारिज, पूरे परिसर के एएसआई सर्वेक्षण की थी मांग
वाराणसी के ज्ञानवापी के मूल 32 साल पुराने मामले में शुक्रवार को सिविल जज सीनियर डिविजन फास्ट ट्रैक कोर्ट ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा अतिरिक्त सर्वेक्षण के लिए हिंदू पक्ष की याचिका खारिज कर दी। कोर्ट ने कहा कि ज्ञानवापी के पूरे परिसर का सर्वेक्षण नहीं कराया जाएगा। न्यायालय के इस फैसले से वादी हिन्दू पक्ष को बड़ा झटका लगा है।
हिंदू पक्ष उच्च न्यायालय में करेगा अपील
हिंदू पक्ष के अधिवक्ता विजय शंकर रस्तोगी ने कहा, “अदालत ने एएसआई द्वारा पूरे ज्ञानवापी क्षेत्र के संरक्षण के अतिरिक्त सर्वेक्षण के लिए हमारे आवेदन को खारिज कर दिया है… हम इस फैसले के खिलाफ… समय सीमा के भीतर, 30 दिनों के भीतर उच्च न्यायालय जाएंगे।” हिंदू पक्ष ने दावा किया कि केंद्रीय गुंबद के नीचे 100 फीट का शिवलिंग मौजूद है और ज्ञानवापी परिसर में 4×4 फीट की खुदाई और एएसआई सर्वेक्षण का अनुरोध किया और अपनी रिपोर्ट अदालत में पेश की, लेकिन वाराणसी के सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक कोर्ट ने उनके आवेदन को खारिज कर दिया।
निर्णय नियमों और तथ्यों के विरुद्ध
इस बीच हिंदू पक्ष के अधिवक्ता रस्तोगी ने कहा कि वे इस फैसले से परेशान हैं, उन्होंने कहा कि वे तत्काल आधार पर उच्च न्यायालय जाएंगे। हिंदू पक्ष के अधिवक्ता ने कहा, “यह निर्णय नियमों और तथ्यों के विरुद्ध है। मैं इससे व्यथित हूं और इसे ऊपरी अदालत में जाकर चुनौती दूंगा… 8 अप्रैल 2021 के आदेश के अनुसार सर्वेक्षण के लिए एएसआई को 5 सदस्यीय समिति नियुक्त करनी थी, जिसमें एक व्यक्ति अल्पसंख्यक समुदाय का और एक केंद्रीय विश्वविद्यालय का विशेषज्ञ होता। इन सभी को एएसआई सर्वेक्षण करना था। पिछला सर्वेक्षण एएसआई ने ही किया था। उच्च न्यायालय ने पुष्टि की थी कि सर्वेक्षण उस आदेश (8.4.2021) के अनुपालन में नहीं था… हम तत्काल आधार पर उच्च न्यायालय जाएंगे।”
क्या है पूरा मामला
इसके पहले ज्ञानवापी से जुड़े वर्ष 1991 के लार्ड विश्वेश्वर वाद में प्रतिवादी पक्ष अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी के अधिवक्ताओं ने न्यायालय में अपना पक्ष रखा था। मस्जिद कमेटी और वक्फ बोर्ड के अधिवक्ताओं ने अपनी-अपनी दलील में ज्ञानवापी में खुदाई कराकर एएसआई सर्वे कराने का विरोध किया था। साथ ही इलाहाबाद हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के कई निर्णय का विवरण और उसकी नकल न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत की थी। इस मामले में दोनों पक्षों की बहस पूरी होने के बाद अदालत ने पत्रावली आदेश के लिए सुरक्षित रख लिया। इसके पहले की सुनवाई में वाद मित्र विजय शंकर रस्तोगी की ओर से जवाबी दलील दी गई।
गौरतलब है कि वर्ष 1991 के लार्ड विश्वेश्वर वाद में वादी हिन्दू पक्ष ने ज्ञानवापी के सेंट्रल डोम के नीचे शिवलिंग होने का दावा किया था। वादी पक्ष ने ज्ञानवापी परिसर के बचे शेष स्थल की खुदाई करा कर एएसआई सर्वे कराने की मांग अदालत से वाद के जरिए की । वादी पक्ष ने रकबा नंबर 9131 और 9132 का एएसआई सर्वे कराने की मांग पर अदालत में दलील भी पेश की थी। वर्ष 1991 में अधिवक्ता दान बहादुर, सोमनाथ व्यास, डॉक्टर रामरंग शर्मा और हरिहर पाण्डेय ने वाद दाखिल किया था। सुनवाई के बीच 1998 में प्रतिपक्ष ने हाई कोर्ट जाकर मामले में स्टे ले लिया। वर्ष 2018 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद स्टे प्रभावहीन होने पर वर्ष 2019 में हिन्दू पक्ष ने फिर एएसआई सर्वे की मांग रखी।
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