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गुजरात टूरिज्म : प्रदेश में एशियाई शेरों के दूसरे घर ‘बरडा वन्यजीव अभयारण्य’ शुभारंभ धनतेरस के दिन

गुजरात में पर्यटकों के लिए नया स्थल जुड़ने जा रहा है। धनतेरस के दिन यानी 29 अक्टूबर को देवभूमि द्वारका का कपुरडी चेकपोस्ट पर एशियाई शेरों का दूसरा नया अभयारण यानी बरडा वन्यजीव अभयारण्य तथा बरडा जंगल सफारी फेज-1 का शुरू होग। राज्य के वन एवं पर्यावरण मंत्री मुळुभाई बेरा मंगलवार को इसका शुभारंभ करेंगे। इस अवसर पर जामनगर की सांसद पूनमबेन माडम, देवभूमिक द्वारका एवं पोरबंदर के विधायक विशेष रूप से उपस्थित रहेंगे।

गुजरात के प्रधान मुख्य वन्यजीव संरक्षक (पीसीसी) एन. श्रीवास्तव ने नए बरडा वन्यजीव अभयारण्य के विषय में बताया कि एशियाई शेर विश्व में बहुत विख्यात तथा केवल गुजरात के जूनागढ फॉरेस्ट रेंज में देखने को मिलते हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन तथा मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के नेतृत्व में वन्यजीवों का संरक्षण व संवर्धन हो रहा है, जिसके परिणामस्वरूप अब बरडा की टेकरियों में भी नागरिकों-पर्यटकों को गुजरात के गौरव समान एशियाई शेर निहारने को मिलेंगे। हाल में गुजरात में लगभग 674 एशियाई शेर पाए जाते हैं और अब देवभूमि द्वारकाजिले में बरडा वन्यजीव अभयारण्य भी सुरक्षित व प्राकृतिक निवास के रूप में स्थापित होगा।

बरडा वन्यजीव अभयारण्य की विशेषताएं

यह अभयारण्य विभिन्न प्रकार की वनस्पतियों, जन्यजीवों, रंगबिरंगी स्थानीय एवं हंसावर पक्षियों के विचरण के लिए पुराना व विख्यात स्थल है। बरडा वन्यजीव अभयारण्य में 368 वनस्पति प्रजातियां पाई जाती हैं, जिनमें 59 प्रकार के पेड़, 83 प्रकार के पौधे, 200 तरह के क्षुप तथा 26 बेल प्रजातियां शामिल हैं। वनस्पतियों की 368 प्रजातियों में सर्वाधिक 54 प्रतिशत क्षुप हैं। इसके बाद 23 प्रतिशत पौधे, 16 प्रतिशत पेड़ तथा 9 पौधे हैं। खिरनी बरडा की सर्वाधिक महत्वपूर्ण प्रजातियों में से एक है।

बरडा अभयारण्य में पाए जाने वाले पशु-पक्षी

लगभग 14 दशकों के बाद यह वन क्षेत्र फिर एक बार एशियाई शेरों की उपस्थिति का गौरव अनुभव कर रहा है। इसके अलावा यह अभयारण्य कुल 22 सस्तन प्राणियों की प्रजातियों के लिए निवास स्थान है। इनमें शेर के अलावा तेंदुए, जंगली बिल्लियाँ, लकड़बग्घे, छोटी कस्तूरी बिलावें, लोमड़ियाँ, लुंकड़ियाँ तथा खरगोश शामिल हैं। इसके अलावा यह अभयारण्य हिरणों, सांभर हिरणों, चीतलों, नीलगायों तथा जंगली सूअरों जैसे प्राणियों का भी निवास स्थान है। इस अभयारण्य में पक्षियों की 269 प्रजातियों का समावेश होता है, जो सभी नागरिकों के लिए गौरव समान है। इनमें मोर, तीतर, दूधराज, चित्रित सारस, बुलबुल, चास (नीलकंठ), देशी नीलकंठ, श्वेतकंठ, कलकलियों (किंगफिशर) जैसे पक्षी विचरण पाए जाते हैं।

बरडा जंगल सफारी फेज-1 की रोमांचक यात्रा

बरडा जंगल सफारी में भाणवड-राणावाव तथा बरडा वन्यजीव अभयारण्य के सबसे मनोहर क्षेत्रों का समावेश किया गया है। इस सफारी द्वारा पर्यटक बरडा वन्यजीव अभयारण्य की समृद्ध जैवविविधता का रोमांचक अनुभव करेंगे। यह सफारी ट्रेल भव्य किलगंगा नदी (देवभूमि द्वारका में स्थित) के सान्निध्य से गुजर कर बरडा वन्यजीव अभयारण्य की समृद्ध वनस्पति सृष्टि तथा विशिष्ट प्राणि सृष्टि को निहारने का अनूठा अवसर देती है। सफारी परमिट प्राप्त करने के लिए पर्यटकों को टिकट खिड़की से पहले से बुकिंग कराना अनिवार्य है। आगामी समय में इस परमिट केलिए ऑनलाइन बुकिंग सुविधा भी उपलब्ध होगी, जिससे पर्यटक अधिक आसानी से और अग्रिम आयोजन भी कर सकेंगे।

बरडा जंगल सफारी फेज-1 की रोमांचक यात्रा

बरडा जंगल सफारी में भाणवड-राणावाव तथा बरडा वन्यजीव अभयारण्य के सबसे मनोहर क्षेत्रों का समावेश किया गया है। इस सफारी द्वारा पर्यटक बरडा वन्यजीव अभयारण्य की समृद्ध जैवविविधता का रोमांचक अनुभव करेंगे। यह सफारी ट्रेल भव्य किलगंगा नदी (देवभूमि द्वारका में स्थित) के सान्निध्य से गुजर कर बरडा वन्यजीव अभयारण्य की समृद्ध वनस्पति सृष्टि तथा विशिष्ट प्राणि सृष्टि को निहारने का अनूठा अवसर देती है। सफारी परमिट प्राप्त करने के लिए पर्यटकों को टिकट खिड़की से पहले से बुकिंग कराना अनिवार्य है। आगामी समय में इस परमिट केलिए ऑनलाइन बुकिंग सुविधा भी उपलब्ध होगी, जिससे पर्यटक अधिक आसानी से और अग्रिम आयोजन भी कर सकेंगे।

बरडा अभयारण्य की भौगोलिक स्थिति

बरडा प्रदेश ऊँचे-नीची पहाड़ियों तथा टेकरियों से सज्ज भौगोलिक रचना के साथ लगभग 215 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र है, जिसमें से 192.31 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम 1972 के अंतर्गत अधिकृत रूप से वन्यजीव अभयारण्य के रूप में घोषित किया गया है। यह अभयारण्य दो जिलों पोरबंदर व देवभूमि द्वारका में फैला हुआ है।

अभयारण्य जाने के लिए मुख्य मार्ग

ज्ञात हो, यह अभयारण्य सड़क मार्गों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। इसलिए निकटस्थ नगरों व शहरों तक आसानी से पहुँचना संभव होता है। बरडा वन्यजीव अभयारण्य में पोरबंदर, जामजोधपुर, उपलेटा, जामनगर तथा जूनागढ जैसे महत्वपूर्ण शहरों से आसानी से पहुँचा जा सकता है। इसके अलावा यह अभयारण्य राजकोट से 170 किलोमीटर और अहमदाबाद से 430 किलोमीटर दूर है। यानी यह दो मुख्य शहरों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। अभयारण्य से पोरबंदर रेलवे स्टेशन 40 किलोमीटर और जामनगर रेलवे स्टेशन 82 किलोमीटर की दूरी पर है। यह अभयारण्य हवाई मार्ग से भी जुड़ा हुआ है, क्योंकि अभयारण्य से राजकोट हवाई अड्डा 190 किलोमीटर की दूरी पर है।

बरडा अभयारण्य आने का उत्तम समय

पर्यटक सुबह 6 से शाम 4 बजे तक इस अभयारण्य में आ सकते हैं। शीत ऋतु में 16 अक्टूबर से 28-29 फरवरी और ग्रीष्म ऋतु में 1 मार्च से 15 जून तक अभयारण्य पर्यटकों के लिए खुला रहता है तथा 16 जून से 15 अक्टूबर तक बंद रहता है।

पर्यटकों के लिए निकटस्थ मुख्य पर्यटन आकर्षण

बरडा वन्यजीव अभयारण्य के निकट नवलखा मंदिर, मोडपर किल्ला, जांबुवन गुफा, सुदामा, कीर्ति, प्रसिद्ध नागेश्वर तथा द्वारदाशी मंदिर जैसे विख्यात स्थल हैं। पर्यटक एशियाई शेरों के इस नए आवास स्थान की यात्रा करने और बरडा की जीवंत पहाड़ियों और नदी के नयनरम्य सौंदर्य में खो जाने के लिए तैयार हो जाएँ। बरडा वन्यजीव अभयारण्य स्थित समृद्ध जैवविविधता की अविस्मरणीय यात्रा पर्यटकों के हृदय को एक अनूठी शांति एवं प्रकृति के आह्लादक अनुभव से यादों से भर देगी।


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Kumar Aditya

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