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हर बेटी की विदाई में बजता है ‘बिहार कोकिला’ के गीत, हो दीनानाथ.. बजते ही छठी मैया के भक्ति में डूब जाते हैं लोग

भोजपुरी जगत की स्वर कोकिला शारदा सिन्हा अब इस दुनिया में नहीं रहीं. मंगलवार को दिल्ली एम्स में उन्होंने देर शाम को आखिरी सांस ली. उनके निधन से भोजपुरी जगत में एक ऐसा सूनापन पैदा हुआ है जो कभी भरा नहीं जा सकता. भौतिक रूप में शारदा सिन्हा भले ही ना रहे लेकिन भोजपुरी लोक साहित्य की संस्कृति में जो उनका योगदान है. वह उन्हें कालजई बना देता है. शारदा सिन्हा ने भोजपुरी को दुनिया में एक अलग पहचान दी है. भोजपुरी और मैथिली में उनके गए विवाह गीत जब तक शादी में ना बजे, रस्म पूरा नहीं होता.

शारदा सिन्हा के टॉप 5 छठ गीत: अमूमन दशहरा के बाद जब शारदा सिन्हा के छठ गीत बजने लगते हैं तो सभी को लगता है कि हां अब छठ आ गया है. छठ व्रती जब छठी मैया की आराधना करती है तब भी शारदा सिन्हा के गाए हुए छठ गीतों को गाती हैं और माता की आराधना करती हैं. छठ महापर्व के हर विधि विधान पर शारदा सिन्हा ने गीत गाए हैं. उनकी आवाज में वह खनक है, गीत में शब्दों का चयन है जिसकी बदौलत वह अपनी गीतों के माध्यम से अमर हो गई हैं. उनकी रचनाओं के लिए उन्हें भारत सरकार ने पद्मश्री और पद्म भूषण पुरस्कार से भी सम्मानित किया.

1- ‘केलवा के पात पर उगलन सूरजमल झुके झुके‘, यह एक पुरानी लोकगीत थी लेकिन जब शारदा सिन्हा ने इसे आवाज दिया तो यह गीत शारदा सिन्हा की पहचान बन गई. साल 1986 में शारदा सिन्हा ने इस गीत को गया लेकिन आज भी छठ के समय यही गीत बजते हैं.

2- ‘हो दीनानाथ’ साल 1986 में ही यह भी गीत शारदा सिन्हा ने गया था जिसे सुनने के बाद सभी छठी मैया के भक्ति में डूब जाते हैं.

3- ‘सकल जगतारिणी हे छठी मैया‘ इस गीत को शारदा सिन्हा ने 2003 में गया था, मैथिली भाषा में गई गई यह गीत बिहार के हर कोने में बसती है क्योंकि इसमें छठी मैया की भाव वही है. गीत में छठी मैया के महिमा का बखान है जिससे गाकर छठ व्रती आराधना करते हैं.

4- ‘महिमा बा राउर अपार छठी मैया’ यह गीत भी शारदा सिन्हा ने 2003 में गया था और तब से छठ घाट घाटों पर यही गीत बजते हैं. जो संतान रत्न प्राप्ति और संतान के सुख समृद्धि के लिए छठी मैया की गुहार लगाते हैं, वह इस गीत को गाकर माता की आराधना करते हैं.

5- ‘पहिले पहिले हम कईनी, छठ मैया बरत तोहार’ इस जीत ने छठ को एक ग्लोबल पहचान दी. साल 2016 में यह रिलीज हुई थी. इस गीत ने युवाओं को छठ की महत्वपूर्ण परंपराओं से जोड़ा. गीत इतना लोकप्रिय हुआ कि देश-विदेश में यही गीत बजने लगा और अब जिस घर में पहली बार कोई छठ व्रत करना शुरू करता है तो यह गीत जरूर बजता है.

शारदा सिन्हा के टॉप 5 विवाह गीत: छठ गीतों की तरह शारदा सिन्हा के विवाह गीत भी काफी लोकप्रिय है. विवाह के सभी रसों पर शारदा सिन्हा ने छठ गीत गए हैं और बेटी की विदाई के दर्द को बेहद ही खूबसूरती से गीत में उतारा है. विवाह में भी घर में शारदा सिन्हा के ही गीत गाए जाते हैं और शारदा सिन्हा के गीत बजते हैं. विवाह में शारदा सिन्हा के गीत के बिना विवाह के रस्म अधूरे लगते हैं.

1- ‘दूल्हा धीरे-धीरे चलियो’ साल 1977 में शारदा सिन्हा का यह विवाह गीत आया था. इसमें मड़वा में जब दूल्हा प्रवेश करता है, उस भाव को दर्शाया गया है. यही कारण है की शादी विवाह में महिलाएं दूल्हा के प्रवेश के समय यही गीत गाती हैं.

2- ‘कहे तोसे सजना, तोहरी सजनिया‘ साल 1989 में हिंदी फिल्म मैने प्यार किया में शारदा सिन्हा का यह गीत आया था. विवाह में दूल्हा-दुल्हन के प्रेम का बखान करते हुए इस गीत को गया जाता है. हर शादी विवाह में यह गीत बजता है.

3- ‘शिव से गोरी ना बियाहब’ शादी विवाह में दूल्हे की खींचाई करते हुए महिलाएं यह गीत गाती हैं. शारदा सिन्हा का यह गीत हर शादी में गाई जाती है.

4- ‘सांवर सांवर सुरतिया तोहार दुल्हा’ दुल्हन की सखियां दूल्हे की खींचाई करते हुए विवाह में यह गीत गाती हैं. गीत के बोल और भाव इतने मधुर हैं कि शारदा सिन्हा की यह रचना कालजई बन गई. विवाह में यह गीत जरूर ही बजता है.

5- ‘बाबुल का घर छोड़कर’ शारदा सिन्हा का यह विवाह गीत लोगों को भावुक कर देता है. यह विदाई के समय का गीत है जिसमें दुल्हन के विदाई के विच्छोभ और नए घर में प्रवेश की खुशी को शारदा सिन्हा ने जीत में उतारा है. यह गीत विदाई में जरूर से बजता है और जो भी महिलाएं इस गीत को सुनती हैं उन्हें अपने विदाई का दिन याद आ जाता है और भावुक हो जाती हैं.

अपने गीतों से लोगों के दिलों में जिंदा रहेंगी शारदा सिन्हा: शारदा सिन्हा की सभी गीत कालजई हैं और कोई भी गीत किसी से कम नहीं है. छठ शादी विवाह से लेकर कई सारे उनके गीत हैं और सभी गीत कानों को एक अलग सुकून देते हैं. शारदा सिन्हा की आवाज में जो कशिश है उसकी कमी कभी पूरी नहीं हो सकेगी. शारदा सिन्हा इस दुनिया से भले विदा हो गई लेकिन अपने गीत के माध्यम से बिहार ही नहीं बल्कि पूरे देश के लोगों के दिलों में जिंदा रहेंगी.


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