रुसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भारत की जमकर तारीफ की, कहा – भारत वैश्विक महाशक्तियों की सूची में शामिल होने का हकदार
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भारत की तारीफ करते हुए कहा कि भारत दशकों से एक स्वाभाविक सहयोगी और साझेदार है , साथ ही उन्होंने भारत की स्वतंत्रता में सोवियत संघ की भूमिका पर भी प्रकाश डाला। रूसी राष्ट्रपति ने भारत को विश्व की शक्तियों में शामिल किए जाने की बात कही, पुतिन ने कहा कि भारत वैश्विक महाशक्तियों की सूची में शामिल होने का हकदार है क्योंकि इसकी जनसंख्या डेढ़ अरब है, दुनिया की सभी अर्थव्यवस्थाओं में इसकी वृद्धि दर सबसे तेज है, संस्कृति प्राचीन है और आगे भी विकास की बहुत अच्छी संभावनाएं हैं।
5 नवंबर को एक कार्यक्रम के दौरान राष्ट्रपति पुतिन ने मॉस्को में नए विदेशी राजदूतों के परिचय पत्र स्वीकार किए। उन्होंने अपने भाषण में प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व की सराहना की और भारत और रूस को “रणनीतिक साझेदार” बताया।
भारत को एक महान देश बताया
रूसी सरकारी मीडिया के अनुसार, गुरुवार को सोची में वल्दाई डिस्कशन क्लब को संबोधित करते हुए पुतिन ने भारत को एक महान देश बताया और कहा कि मॉस्को और नई दिल्ली सभी क्षेत्रों में सहयोग बढ़ा रहे हैं। TASS समाचार आउटलेट के अनुसार, राष्ट्रपति पुतिन ने वल्दाई डिस्कशन क्लब के पूर्ण सत्र में कहा, “हम भारत के साथ अपने संबंधों को सभी दिशाओं में विकसित कर रहे हैं। भारत एक महान देश है। इसकी जीडीपी 7.4 प्रतिशत की दर से बढ़ रही है।
हमारा सहयोग निरंतर बढ़ रहा है
समाचार एजेंसी ने पुतिन के हवाले से कहा कि हमारे संबंध कहां और किस गति से विकसित होंगे, इस बारे में हमारा दृष्टिकोण आज की वास्तविकताओं पर आधारित है। हमारा सहयोग निरंतर बढ़ रहा है। पुतिन ने भारत की स्वतंत्रता की घोषणा में सोवियत संघ की भूमिका को भी याद किया, जिस वजह से दोनों देशों के बीच गुणवत्ता और विश्वास की दृष्टि से अद्वितीय संबंध निर्मित हुए। उन्होंने कहा, “यह हमारे लिए सभी आयामों में द्विपक्षीय संबंध विकसित करने का आधार है। पुतिन ने कहा कि द्विपक्षीय व्यापार लगभग 60 अरब अमेरिकी डॉलर का है।
भारत को विश्व की शक्तियों में शामिल किए जाने की बात कही
रूसी राष्ट्रपति ने भारत को विश्व की शक्तियों में शामिल किए जाने की बात कही, पुतिन ने कहा कि भारत वैश्विक महाशक्तियों की सूची में शामिल होने का हकदार है क्योंकि इसकी जनसंख्या डेढ़ अरब है, दुनिया की सभी अर्थव्यवस्थाओं में इसकी वृद्धि दर सबसे तेज है, संस्कृति प्राचीन है और आगे भी विकास की बहुत अच्छी संभावनाएं हैं।
सुरक्षा और रक्षा क्षेत्र में भारत और रूस के बीच संपर्क विकसित हो रहे हैं
सत्र के दौरान उन्होंने आगे बताया कि सुरक्षा और रक्षा क्षेत्र में भारत और रूस के बीच संपर्क विकसित हो रहे हैं। पुतिन ने कहा कि भारतीय सशस्त्र बलों के पास रूसी सैन्य हथियार हैं। जिससे पता चलता है कि इस रिश्ते में बहुत अधिक विश्वास है। हम भारत को सिर्फ़ अपने हथियार नहीं बेचते, हम संयुक्त अनुसंधान और उन्हें संयुक्त रूप से डिजाइन करने में लगे हुए हैं। उन्होंने ब्रह्मोस को भारत-रूस संयुक्त सहयोग का एक उदाहरण बताया। पुतिन ने कहा, “ब्रह्मोस सिस्टम का इस्तेमाल हवा और समुद्र में किया जाता है और यह साझेदारी ऐसी चीज है जिसके बारे में लोग जानते हैं और यह हमारे बीच उच्च स्तर के विश्वास और उच्च स्तर की साझेदारी का प्रमाण है जो भविष्य में भी जारी रहेगी। दरअसल भारत और रूस ने मिलकर ही ब्रह्मोस मिसाइल विकसित की है। ब्रह्मोस को भारत की ब्रह्मपुत्र और रूस की मोस्कवा नदी के नाम को जोड़कर ब्रह्मोस नाम दिया गया है। इस मिसाइल को भारत के डीआरडीओ और रूस के एनपीओ ने साथ मिलकर बनाया है।
साझा मुद्रा बनाने के बारे में बात करना अभी जल्दबाजी होगी
कल अपने संबोधन में राष्ट्रपति पुतिन ने कहा कि साझा मुद्रा बनाने के बारे में बात करना अभी जल्दबाजी होगी। TASS ने बताया कि गुरुवार को सोची सम्मेलन में पुतिन ने कहा कि हमारे पास ऐसे कोई उद्देश्य नहीं हैं, क्योंकि एक निश्चित साझा मुद्रा के बारे में बात करने के लिए सबसे पहले, अर्थव्यवस्थाओं का अधिक एकीकरण हासिल किया जाना चाहिए और दूसरी बात, अर्थव्यवस्थाओं की गुणवत्ता को किसी तरह एक निश्चित स्तर तक ऊपर उठाया जाना चाहिए, ताकि ये गुणवत्ता और संरचना के मामले में तुलनात्मक रूप से बहुत समान अर्थव्यवस्थाएं हों।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले महीने रूस द्वारा आयोजित ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भाग लिया था
ज्ञात हो कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले महीने रूस द्वारा आयोजित ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भाग लिया था। इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी ने जुलाई में 22वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन के लिए रूस का गए थे। रूस भारत के लिए एक दीर्घकालिक और समय की कसौटी पर खरा उतरने वाला पार्टनर रहा है। दोनों देश और दोनों देशों के लोगों के बीच मैत्रीपूर्ण संबंध रहे हैं।
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