इंदिरा गांधी ने की थी वीर सावरकर की प्रशंसा, उनके संघर्षों को किया था याद
कांग्रेस पार्टी वीर सावरकर की आलोचना करती रहती है। विशेषकर लोकसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी अक्सर सावरकर पर हमलावर रहते हैं। उन्हें अंग्रेजी शासन का समर्थक बताते रहते हैं, लेकिन देश की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने कई माैकों पर सावरकर की देशभक्ति की प्रशंसा की और स्वतंत्रता संघर्ष में उनके योगदान को याद किया।
26 फरवरी 1966 को वीर सावरकर का निधन हो गया। उनके निधन पर पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने कहा था कि वह एक महान शख्स थे। उनका नाम साहस और देशभक्ति का पर्याय है। वह एक महान क्रांतिकारी थे। अनगिनत लोगों ने उनसे प्रेरणा ली।
इंदिरा गांधी ने कहा था कि आज हमने एक महान क्रांतिकारी को खो दिया। सावरकर साहस व वीरता के प्रतीक थे। उन्होंने अपने संघर्षों से साहस व त्याग का एक नया मापदंड स्थापित किया। आजादी के आंदोलन में उनकी भूमिका सराहनीय रही। उन्होंने अपने संघर्षों से आजादी का मार्ग प्रशस्त किया। जिस पर चलकर आगे देश को परतंत्रता से मुक्ति मिली और लोग आजाद हवा में सांस ले सकें।
8 मई 1980 को वीर सावरकर की 100वीं जयंती पर इंदिरा गांधी ने स्वातंत्र्य वीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक के सचिव पंडित बाखले को पत्र लिखा था। पत्र में इंदिरा गांंधी ने लिखा था, “प्रिय श्री बाखले, मुझे आपका 8 मई 1980 का लिखा पत्र प्राप्त हुआ। वीर सावरकर का हमारे स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण स्थान है। उन्होंने ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ बहुत साहसपूर्वक लड़ाई लड़ी। मैं भारत के इस असाधारण सपूत की जन्म शताब्दी मनाने की योजनाओं की सफलता की कामना करती हूं। इसके जरिए नई पीढ़ी के लोग भारत माता के इस सपूत के संघर्षों से परिचित होंगे और उनके बताए मार्ग पर चलने का प्रयास करेंगे।”
उन्होंने लिखा था, “वीर सावरकर ने अपना पूरा जीवन भारत माता को अंग्रेजों के चंगुल से मुक्त कराने में लगा दिया। उनके इस अथक संघर्ष को कभी भी भुलाया नहीं जा सकता।”
उल्लेखनीय है कि कांग्रेस पार्टी के नेता अक्सर वीर सावरकर की आलोचना करते रहते हैं। वे उनकी देशभक्ति पर सवाल उठाते हैं। उन्हें अंग्रेजी साम्राज्य का समर्थक करार देते रहे हैं। अंडमान के सेलुलर जेल की काल कोठरी में बिताए उनके वर्षों के संघर्ष को नजरंदाज करते रहते हैं। इसे लेकर अक्सर भारतीय जनता पार्टी व कांग्रेस के नेताओं में आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति भी होती रहती है।
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