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अमित शाह को लेकर बैकफुट पर मोदी सरकार, केजरीवाल भी हमलावर

गृहमंत्री अमित शाह से इस्तीफा सबसे पहले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने मांगा था। तब मुद्दा था दिल्ली में गिरती कानून व्यवस्था, फैलता नशे का काराबार और रोहिंग्या व घुसपैठ की समस्या। एक बार फिर अमित शाह का इस्तीफा मांगा जा रहा है। मगर, अब मुद्दा है डॉ भीम राव अंबेडकर के अपमान का। गृहमंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में अंबेडकर को लेकर जो बातें कही हैं उसने ऐसा तूल पकड़ा है कि मामला खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खरगे हों या अरविन्द केजरीवाल, उद्धव ठाकरे हों या तेजस्वी, अखिलेश, ममता, तमाम नेता अमित शाह से माफी और उनसे इस्तीफे की मांग कर रहे हैं। पीएम मोदी से कह रहे हैं कि अमित शाह को बर्खास्त करें।

मोदी सरकार कभी इतनी बैकफुट पर नहीं दिखी जितनी कि अब दिख रही है। गृहमंत्री इतने असहाय नहीं दिखे जितने बुधवार की प्रेस कॉन्फ्रेन्स में दिखे जब उन्होंने कहा कि अगर मल्लिकार्जुन खरगे की खुशी के लिए उन्हें इस्तीफा भी देना पड़ता है तो वे दे देंगे। प्रेस कॉन्फ्रेन्स करना ही दबाव का प्रमाण था और अमित शाह के बयान ने तो उसकी पुष्टि कर दी। हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट करते हुए कांग्रेस को डॉ भीम राव अंबेडकर का विरोधी बताते हुए अपने गृहमंत्री का बचाव किया। मगर, इस बचाव की हवा अरविन्द केजरीवाल ने निकाल दी।

कांग्रेस पर हमलावर होने के बजाए जवाब दें अमित शाह

पूर्व मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने साफ तौर पर कहा कि कांग्रेस ने अगर अतीत में डॉ भीम राव अंबेडकर के साथ कुछ ऐसा व्यवहार किया है जो बीजेपी के मुताबिक आपत्तिजनक है तो इसका मतलब यह नहीं है कि अमित शाह को अधिकार मिल जाता है कि वे बाबा साहब अंबेडकर का अपमान करें। अमित शाह ने बाबा साहब अंबेडकर के लिए जिन शब्दों का प्रयोग किया है उससे दलित समाज ही नहीं देश का हर तबका अपमानित महसूस कर रहा है। यहां उल्लेख करना जरूरी है कि अमित शाह ने राज्यसभा में डॉ अंबेडकर को लेकर क्या कहा था जिस पर इतना बवाल है –“अब ये एक फ़ैशन हो गया है. आंबेडकर, आंबेडकर, आंबेडकर… इतना नाम अगर भगवान का लेते तो सात जन्मों तक स्वर्ग मिल जाता।”

दिल्ली में विधानसभा चुनाव है और यहां दलित वोटर या फिर अंबेडकर समर्थकों का अपना प्रभाव भी है। इस वोट बैंक पर कांग्रेस की भी नज़र है। आम आदमी पार्टी के पास पहले से ही यह वोट बैंक है जिसे बचाने की चिंता अरविन्द केजरीवाल जरूर कर रहे होंगे। यही वजह है कि जैसे ही अमित शाह की अंबेडकर को लेकर की गयी टिप्पणी का मुद्दा उछला, अरविन्द केजरीवाल ने इस मुद्दे को पकड़ने में देर नहीं लगाई। राज्यसभा और लोकसभा में भी इंडिया गठबंधन के साथ मिलकर आम आदमी पार्टी ने अपनी आवाज़ बुलंद की।

बचाव के लिए अपनाए जा रहे हैं हथकंडे?

अमित शाह को बचाने के लिए केंद्र सरकार तरह-तरह के हथकंडे अपना रही है। इसी में शामिल है एक्स की ओर से अमित शाह की बाइट को डिलीट कराने की कोशिश। एक्स ने कांग्रेस को नोटिस भेजा है कि अमित शाह की बाइट का डॉक्टर्ड वीडियो डाला गया है और इसलिए क्यों नहीं इसे हटा दिया जाए। वास्तव में भारत सरकार की आपत्ति को एक्स नकार नहीं सकता और उसे मानना ही होता है। गृहमंत्री के बयान को अगर एक्स से डिलीट करने के लिए कहा गया है तो यह अमित शाह की आपत्ति कम और भारत सरकार की ज्यादा दिखती है। हालांकि राजनीतिक नजरिए से बीजेपी इस बहस को जन्म देना चाह रही है कि अमित शाह की बात को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया है।

इंडिया गठबंधन संसद भवन के बाहर अलग-अलग तरीके से प्रदर्शन करना जारी रखे हुए है। अब डॉ अंबेडकर की तस्वीर या कटआउट लेकर यह प्रदर्शन किया जा रहा है। बीजेपी ने भी अब जवाबी प्रदर्शन शुरू कर दिया है। संसद भवन परिसर में ही धक्का-मुक्की की घटना भी घटी है जिसमें बीजेपी के सांसद प्रताप षाडंगी ने राहुल गांधी पर आरोप लगाया है कि उनकी धक्का-मुक्की से वे घायल हो गये हैं। राहुल गांधी के खिलाफ क्रिमिनल केस दर्ज कराया गया है।  ये कवायद मूल मुद्दे से ध्यान हटाने का अधिक लगता है।

राहुल पर केस दर्ज, खरगे भी घायल

मल्लिकार्जुन खरगे ने भी सभापति को चिट्ठी लिखी है कि बीजेपी के सांसदों ने उन्हें धक्का दे दिया और गिरने की वजह से उनके घुटने में वह जख्म हरा हो गया है जहां कभी ऑपरेशन हुआ था। मामला गंभीर है। विपक्ष एकजुट है। सत्ता पक्ष दबाव में है। ऐसे में यह मुद्दा इतनी जल्दी खत्म होता नहीं दिख रहा है। उत्तर प्रदेश और असम में कांग्रेस कार्यकर्ताओं की मौत हुई है। पुलिस के अत्याचार का वे शिकार हुए हैं। बाबा साहब अंबेडकर के अपमान के मसले पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने अमित शाह की बर्खास्तगी का अल्टीमेटम सेट करते हुए गृहमंत्री के इस्तीफे को देश में शांति की शर्त बताया था। इससे भी इस मुद्दे की राजनीतिक गंभीरता क समझा जा सकता है।

दिल्ली में खास तौर से अंबेडकर के अपमान का मसला गरम है। अरविन्द केजरीवाल हों या फिर कांग्रेस दोनों में इस मुद्दे पर आगे निकलने की होड़ है। चूकि संगठनात्मक रूप से आम आदमी पार्टी दिल्ली में कांग्रेस पर भारी पड़ती है लिहाजा राजनीतिक लाभ लेने की कवायद में भी ऐसे ही परिणाम की उम्मीद ज्यादा नजर आती है। आम आदमी पार्टी दिल्ली में कम से कम इस मुद्दे को अपने हाथ से निकलने नहीं देगी। इसकी वजह साफ है।

आम आदमी पार्टी लगातार गृहमंत्री अमित शाह को दिल्ली मे कानून व्यवस्था की स्थिति के लिए जिम्मेदार ठहराती रही है। विभिन्न राजनीतिक पार्टियां भी मणिपुर के मुद्दे पर असफलता के लिए गृहमंत्री अमित शाह को जिम्मेदार ठहराती रही है। अब ये सारे मुद्दे जुड़ गये हैं। लेकिन, बड़ा सवाल यही है कि क्या अमित शाह से इस्तीफा ले पाएगा विपक्ष?


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