डीजीपी मामले में क्या हुआ..बचा लिया गया ? सवाल सुनते ही नीतीश सरकार के गृह सचिव मुश्किल में पड़ गए…फिर क्या हुआ
बिहार में बड़े-बड़े अधिकारियों को बचाया जाता है. सिपाही बहाली पेपर लीक कांड में बिहार के तत्कालीन डीजीपी का नाम आया…आर्थिक अपराध इकाई पूरे मामले की जांच कर रही थी. पूर्व डीजीपी सह केंद्रीय चयन पर्षद के तत्कालीन अध्यक्ष की भूमिका संदिग्ध थी. उस मामले में क्या हुआ..क्या बचा लिया गया ? यह सवाल सुनते ही बिहार के गृह सचिव अवाक रह गए. समझ में नहीं आ रहा था कि जवाब क्या दें. लिहाजा जवाब देने से बचते दिखे.
गृह सचिव की तरफ से आयोजित की गई थी प्रेस कांफ्रेंस
दरअसल, आज 20 दिसंबर को गृह विभाग ने प्रेस कांफ्रेस बुलाया था. प्रेस कांफ्रेंस में गृह विभाग के प्रधान सचिव अरविंद चौधरी,सूबे के नवनियुक्त डीजीपी विनय कुमार,एडीजी कुंदन कृष्णन समेत गृह और पुलिस के कई बड़े अधिकारी मौजूद थे. इस दौरान गृह विभाग के प्रधान सचिव ने 2024 में सरकार की उपलब्धियों का बखान किया. बताया कि बिहार में अपराध के ग्राफ में गिरावट आई है. डकैती में 15.36 फीसदी, चोरी में 5.93 फीसदी एवं दंगा में 15.82 फीसदी की कमी आई है. वहीं नक्सल गतिविधियों में भी भारी कमी आई है.
तत्कालीन डीजीपी को लेकर क्या हुआ..क्या कार्रवाई हुई ?
गृह सचिव ने बताया कि सरकारी नौकरी के लिए भर्ती परीक्षा से संबंधित अपराधों में पुलिस लगातार कार्रवाई कर रही है. शिक्षक भर्ती परीक्षा पेपर लीक कांड में 285 अभियुक्तों की गिरफ्तार किए गए हैं. नीट-2024 में 15, सिपाही भर्ती परीक्षा जो केंद्रीय चयन पर्षद द्वारा ली गई थी, इस परीक्षा के पेपर लीक कांड में 14 अभियुक्त गिरफ्तार किए गए हैं. 67वीं संयुक्त प्रारंभिक परीक्षा पेपर लीक में 18 और सामुदायिक स्वास्थ्य पदाधिकारी परीक्षा पेपर लीक मामले में 36 लोग गिरफ्तार किए गए हैं. इसके बाद बिहार के गृह सचिव अरविंद चौधरी से पूछा गया कि सिपाही भर्ती परीक्षा पेपर लीक कांड में तत्कालीन डीजीपी का नाम आया था…जांच एजेंसी ने पूछताछ को लेकर कार्रवाई भी शुरू की थी. उस मामले में क्या हुआ…क्या उन्हें बचा लिया गया ? आखिर पैमाना क्या था…किसी को बचा लिया जाता है. न्यायालय से क्लीनचिट मिलने से पहले ही किसी अधिकारी को बरी कर दिया जाता है. आखिर सरकार का पैमाना क्या है ? पत्रकारों के इस तल्ख सवाल से गृह सचिव अरविंद चौधरी भौंंचक रह गए. उन्होंने सवाल को भरपूर टालने की कोशिश की. पत्रकार बार-बार भ्रष्टाचार वाले मामले पर जवाब देने का आग्रह करते रहे. लेकिन वो इस सवाल चुप्पी साध लिए. इसी के साथ प्रेस कांफ्रेंस को खत्म कर दिया गया.
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