Bihar

सिपाही से लेफ्टिनेंट बने प्रकाश, दिलचस्प है पूर्णिया के प्रकाश कुमार की कहानी

कहते हैं ना, भाग्य से उतना ही मिलेगा, जितना वह देगा, लेकिन मेहनत से कहीं ज्यादा मिलेगा, जितना आप चाहते हैं. ऐसे ही हुआ है कि बिहार के प्रकाश कुमार के साथ. पूर्णिया जिले के एक छोटे से गांव से निकले प्रकाश कुमार की सिपाही से लेफ्टिनेंट बनने की 17 साल की कहानी दिचलस्प है.

पिता हैं किसान, बेटा बना लेफ्टिनेंट : पूर्णिया के मधुबनी थाना क्षेत्र के निवासी प्रकाश कुमार किसान के बेटे हैं. भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट बन गए हैं. 2008 में प्रकाश इंडियन आर्मी में सिपाही के पद पर तैनात हुए थे. लेकिन अपने हौसले और संघर्ष की बदौलत अब लेफ्टिनेंट बन गये हैं.

सिपाही से अफसर बने पूर्णिया के प्रकाश : प्रकाश कुमार बताते हैं कि मैं पहले से सेना में सिपाही के पद पर कार्य कर रहा था. जवान के तौर पर मैंने 17 साल नौकरी की. लेकिन यह सफर इतना आसान नहीं रहा. 2004 में मां काली उच्च विद्य़ालय से 10वीं की पढाई प्रथम श्रेणी में पास की. 2006 में प्लस टू की पढ़ाई साइंस स्ट्रीम में पूर्णिया से पूरी की.

‘दिनभर की ड्यूटी और थकान’ : उन्होंने बताया कि, इसके बाद 21 अप्रैल 2008 को सेना में भर्ती हुआ था. सेना में नौकरी करने के दौरान मुझे कई सारे अनुभव मिले और मैं अपने करियर को लेकर गंभीर था. सुबह-शाम दिनभर की ड्यूटी के बाद शरीर थकान से टूट जाता था, लेकिन हिम्मत नहीं हारी.

‘हिम्मत नहीं हारी, 39 रैंक मिला’ : प्रकाश ने आगे बताया कि फौज में रहते हुए ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की. कोटा राजस्थान से पोस्ट ग्रेजुएशन भी किया. कई बार मैंने परीक्षा दी, लेकिन असफलता हाथ लगी. इस दौरान दिन रात मेहनत की. इस बार SCO 53 में 39 रैंक हासिल किया. 17 साल के इंडियन आर्मी के इस सफर में उन्होंने काफी जाबाजी से काम किया, जिसके बदौलत उन्हें चार मेडल भी मिले. देश की सेवा और सुरक्षा उनका मुख्य मकसद है.

”मुझे चार मेडल से नवाजा गया. मेरी ट्रेनिंग IMA देहरादून में हुई. ट्रेनिंग के दौरान जो मुझे एक्सपोजर मिला, वो एक लीडर और लेफ्निटेंग के रूप में काफी कुछ सीखने के लिए मिला. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 14 नवम्बर को लेफ्टिनेंट पद से नवाजा.” – प्रकाश कुमार, लेफ्टिनेंट आर्मी

बेटे के लेफ्टिनेंट बनने पर मां ने क्या कहा? : वहीं प्रकाश की मां बिजली देवी भी अपने बेटे की इस सफलता पर काफी खुश है. उन्होंने बताया कि अपने बेटे को भारत माता को सौंप दिया है. वह चाहती हैं कि बेटा देश के सेवा करें. प्रकाश की सफलता से पूर्णिया के लोगों में भी काफी खुशी है. स्थानीय वार्ड पार्षद पंकज यादव समेत कई लोगों ने उन्हें इस सफलता की बधाई दी.

”प्रकाश के पिता एक साधारण किसान थे. गरीबी और संघर्ष के बदौलत उन्होंने सिपाही से सेना में लेफ्टिनेंट तक का सफर तय किया है. इससे पूरे पूर्णिया में खुशी है.” – पंकज यादव, वार्ड पार्षद

 


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