रक्षाबंधन : चार IAS और IPS भाई बहन की कहानी, भैया ने पढ़ा लिखाकर सबको अफसर बना दिया
आज रक्षाबंधन का पर्व है। बहनें जहां भाई की कलाई पर राखी बांध रही है वहीं भाई भी बहनों को जीवन भर सुरक्षा देने का वचन दे रहा है। आज हम आपको इस मौके पर ऐसे शख्स के बारे में बता रहा है जो भाई-बहनों के सामने एग्जाम्पल सेट करने के लिए सिविल सर्विसेज अफसर बना। उसका फॉर्मूला अपनाकर तीन भाई-बहन भी IAS-IPS बन गए हैं। शादी के बाद भी सवार था IAS बनने का जुनून…
कर्नाटक कैडर की IPS क्षमा मिश्रा बताती हैं, “मेरा बचपन से सपना था सिविल सर्विसेज में आकर देश की सेवा करना। ग्रैजुएशन के बाद मेरी शादी हो गई, लेकिन इसके बाद भी मैंने पढ़ाई जारी रखी। मेरे हसबैंड का इसमें काफी सपोर्ट रहा। वो कहते थे तुम अपना सपना पूरा करो, मैं तुम्हारे साथ हूं।”क्षमा तीन बार यूपीएससी एग्जाम में बैठ चुकी थीं, लेकिन लगातार वो कुछ मार्क्स के कारण सिलेक्ट नहीं हो सकीं।
वो बताती हैं, “2013 में मेरे बड़े भाई योगेश ने कहा कि तुम कहीं गलती कर रही हो। फिर उसने अपनी इंजीनियरिंग की जॉब छोड़कर सिविल सर्विसेज की तैयारी शुरू की। मैं और परेशान हो गई कि भाई अपनी जमी हुई नौकरी छोड़कर मेरे लिए इतना बड़ा रिस्क ले रहा है। मैंने उसको मना किया, लेकिन वो बोला कि तुम परेशान मत हो, मैं कर लूंगा।”
2014 में इंडियन इंजीनियरिंग सर्विसेज अफसर बने योगेश मिश्रा प्रतापगढ़ के लालगंज तहसील से ताल्लकु रखते हैं। करियर की शुरुआत में इन्होंने कभी UPSC का एग्जाम देने के बारे में भी नहीं सोचा था, लेकिन छोटी बहनों की प्रॉब्लम देखकर इन्होंने इस देश के सबसे टफ एग्जाम को क्रैक करने की ठानी।”2009 में इंजीनियरिंग पूरी होने के बाद मेरी दिल्ली में 6 लाख के पैकेज पर जॉब लग गई। मैं फेस्टिवल पर बहनों से मिलने जाता था। देखता था कि ये दोनों इतनी पढ़ाई के बावजूद एग्जाम क्रैक क्यों नहीं कर पा रहीं। 2012 में मैंने डिसाइड किया कि मैं भी UPSC एग्जाम को अटैम्प्ट करूंगा और क्रैक कर बहनों के लिए सक्सेस मंत्रा निकालूंगा।”
योगेश बताते हैं, “मैंने UPSC एग्जाम को एक इंजीनियर के एंगल से देखा। मैंने सबसे पहले पुराने क्वेश्चन पेपर्स को स्टडी किया। फिर मैंने स्टडी प्लान बनाया और सिर्फ उन्ही टॉपिक्स को डीटेल में पढ़ा जो ज्यादातर एग्जाम में पूछे जाते हैं। आमतौर पर कैंडिडेट्स सब्जेक्ट के अकॉर्डिंग डीटेल्ड स्टडी करते हैं, लेकिन पुराने क्वेश्चन पेपर्स को इग्नोर कर देते हैं। मैंने उल्टा किया और इसी का फायदा मिला।””मेरे पास यूपीएससी क्रैक करने के लिए सिर्फ एक अटैम्प्ट था। उसके बाद एज फैक्टर की वजह से मैं कभी एग्जाम नहीं दे पाता। मेरा फॉर्मूला काम कर गया और मैंने फर्स्ट अटैम्प्ट में ही एग्जाम निकाल लिया।”
योगेश ने अपना यही रिवर्स स्टडी फॉर्मूला अपनी दोनों बहनों और IITian भाई को भी दिया। उनके गाइडेंस का रिजल्ट सामने है। 1st बहन – क्षमा मिश्रा – कर्नाटक कैडर की IPS है और प्रेजेंट में हैदराबाद में ट्रेनिंग ले रही है।2nd बहन – माधवी मिश्रा – झारखंड कैडर की IAS हैं। प्रेजेंट में डेपुटेशन पर सेंट्रल मिनिस्ट्री ऑफ फूड एंड प्रोसेसिंग में असिस्टेंट सेक्रेटरी की पोस्ट संभाल रही हैं।3rd भाई – लोकेश मिश्रा – बिहार कैडर के IAS हैं और चंपारण में ट्रेनिंग कर रहे हैं।
आईपीएस क्षमा बताती हैं, “भाई ने प्री, मैन्स से लेकर इंटरव्यू तक के लिए अलग स्ट्रैटेजी बनाई, जिसे हमने अंजाम दिया।”माधवी बताती हैं, “हम भाई-बहनों की उम्र में ज्यादा डिफ्रेंस नहीं है। हम दोस्तों की तरह ही रहे हैं। भाई की स्ट्रैटेजी से मैंने 2015 में चौथे अटैम्प्ट में एग्जाम क्रैक किया। मेरी रैंक उससे बेहतर आई थी, इसके बावजूद वो बहुत खुश हुआ। यही हम चारों के रिलेशनशिप की खासियत है।”लोकेश बताते हैं, “भाई हमें बताता था कि कौन-सा टॉपिक डीटेल में पढ़ना है और कौन-सा नहीं। सिलेक्टिव स्टडी से हमें काफी फायदा हुआ। इंटरव्यू की प्रिपरेशन में भी योगेश भाई ने बेहतरीन स्ट्रैटेजी बनाई, जिसका रिजल्ट सबके सामने है।”
योगेश बताते हैं, “मेरी सक्सेस के पीछे सबसे बड़ा हाथ मेरे पिताजी अनिल मिश्रा का है। वो अपने आप में एक इंस्पिरेशन हैं। उन्होंने कभी हमारे ऊपर प्रेशर नहीं डाला कि तुम्हें फलाना सब्जेक्ट लेना है, तुम्हे इतने नंबर लाने है। वो ज्यादा से ज्यादा सीखने को जरूर कहते थे, लेकिन कंपल्सरी किसी चीज को नहीं बनाया।””हम लोग दो कमरे के घर में रहते थे। एक रूम में पापा-मम्मी और दूसरे हम चारों भाई-बहन। चारों साथ पढ़ाई करते थे और एकदूसरे को मोटिवेट करते थे।”पापा बैंक में जॉब करते हैं। उन्होंने जो हमें घर पर माहौल दिया, वही हमारी सक्सेस में सबसे अहम रहा।”यूपीएससी अफसर योगेश अब गरीब बच्चों की मदद करना चाहते हैं। उनकी प्लानिंग एक ऐसी संस्था शुरू करने की है, जहां पैसों की कमी की वजह से पिछड़ रहे बच्चों को एजुकेट किया जा सके।
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