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हाथ में हथकड़ी…चेहरे पर मुस्कान, 18 महीने से जेल में बंद कैदी के BPSC शिक्षक बनने की सफलता की कहानी

ByLuv Kush

मार्च 25, 2025
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सरकारी नौकरी मिलना बड़े मेहनत का काम होता है. लोग कई-कई सालों तक तैयारी कर नौकरी पाने की कोशिश करते हैं. लेकिन इसके बाद भी कई लोगों को सफलता नहीं मिलती. आज एक शख्स की मेहनत और लक्ष्य के प्रति लगन के बारे में बताने जा रहे है. उनका नाम विपिन कुमार है जो काफी चर्चा में हैं. उन्होंने जेल मे रहते हुए शिक्षक नियुक्ति परीक्षा में सफलता हासिल की.

क्या है जेल में बंद होने की कहानी: दरअसल, विपिन पटना दानापुर में एक कोचिंग संस्थान में शिक्षक थे. उनके खिलाफ 2023 में पॉक्सो एक्ट के तहत केस दर्ज हुआ था. वे पिछले 18 महीनों से जेल में बंद है. युवक की फिलहाल बेऊर जेल के कैदी के रूप में पहचान है. जिसने जेल में रह कर परीक्षा की तैयारी कर सफलता प्राप्त की है. शायद बिहार में यह पहला ऐसा मौका होगा की जब कोई जेल में रहते हुए नौकरी हासिल की हो. बीपीएससी की परीक्षा के जरिए उनका सलेक्शन स्कूल टीचर के हिंदी विषय के लिए हुआ है.

पिता ने बेटे को भेज दिया पटना: विपिन की कहानी गया से शुरू होती है. विपिन कुमार जिस जगह के रहने वाले हैं वो क्षेत्र कुछ वर्षों पहले तक घोर नक्सल प्रभावित माना जाता था. जब यहां नक्सल चरम पर था तब विपिन के पिता जागेश्वर महतो को डर हुआ कि बेटा कहीं नक्सली ना बन जाए. इसलिए पिता ने उसे शिक्षित करने के लिए गया से लेकर पटना भेज दिया. बेटे विपिन ने भी संघर्ष कर शिक्षा प्राप्त की और वह इस दौरान निजी कोचिंग संस्थान में बच्चों को पढ़ा कर घर परिवार की देखभाल भी करने लगा.

“विपिन ने विपरीत परिस्थितियों में मेहनत मजदूरी कर पढ़ते हुए उसने घर परिवार को चलाया है. वो निर्दोष है और उसे फंसाया गया है. एक दिन वो अदालत से इंसाफ मिलेगा.” -उपेंद्र प्रसाद, स्थानीय

नौकरी के बाद भी परिवार खुश नहीं: विपिन को सरकारी नौकरी तो मिल गई है. लेकिन उनके माता-पिता और भाई-बहन खुश नहीं हैं.पिता कहते हैं कि घर के छोटे बेटे के इंतजार में हम सब हैं. पूजा प्रार्थना की विपिन निर्दोष साबित हो. परिवार को इंसाफ की आशा है.

मंत्री ने दिया ऑफर लेटर: परिवार के लोगों के अनुसार बेऊर जेल पटना में बंद विपिन की परीक्षा के लिए उसकी छोटी बहन ने फार्म भरा था. बहन ने जिस आशा के साथ फॉर्म भरा था उसकी उम्मीदों पर कैदी खरा उतरा. उसने टीआरई 3 परीक्षा पास की. 9 मार्च 2025 को बिहार के उद्योग मंत्री और जिले के प्रभारी मंत्री नीतीश मिश्रा ने ऑफर लेटर दिया गया. विपिन जब ऑपर लेटर लेने के लिए पहुंचे तो हाथों में हथकड़ी लगी हुई थी.

इंसाफ की उम्मीद है: माता पिता को बेटे को इंसाफ मिलने की आशा है. परिवार को बेटे के शिक्षक बनने की खुशी तो है लेकिन पिता बालेश्वर महतो कहते हैं कि वह चंद मिनटों की खुशी थी. क्योंकि बेटा नियुक्ति पत्र लेकर नौकरी नहीं कर रहा है बल्कि वो जेल में बंद है. बेटे विपिन को नियुक्ति पत्र जिस समय बोधगया में गया के प्रभारी मंत्री नीतीश मिश्रा के हाथों मिला.

“विपिन बुढ़ापे का सहारा है. मां का इलाज वही करवाता था. आज ऐसी परिस्थिति हो गई है कि हम कुछ नहीं कर सकते. हम तो तारीख पर भी उससे मिलने नहीं जा पाते हैं, क्योंकि हमारा स्वास्थ्य खराब रहता है. हम भाग दौड़ नहीं कर पाते हैं.”-बालेश्वर महतो, पिता

बेटे के गम में मां की बिगड़ी तबीयत: मां जगिया देवी भी खुश थी. विपिन माता पिता का आशीर्वाद लेकर गया तभी मां की तबीयत बिगड़ गई. पिछले कई दिनों से जगिया देवी का इलाज चल रहा है. “परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है. अभी भैंस के दूध बेचकर चल रहा है. विपिन को फंसाया गया है. मामला अदालत में है लेकिन सरकार से यही मांग है कि उच्च स्तरीय जांच कराई जाए.”-प्रदीप प्रसाद, मुखिया

18 महीने जेल में बंद: विपिन की प्रारंभिक शिक्षा गांव के ही मध्य विद्यालय से की. विपिन कुमार की तीन बहने और दो भाई हैं. भाइयों में वह छोटा है लेकिन बूढ़े मां बाप के लिए वही सहारा था. विपिन कुमार की ही कमाई से घर बार चलता था. विपिन कुमार पिछले कई वर्षों से पटना में स्थित एक निजी कोचिंग संस्थान में पढ़ा रहे थे. तभी उस पर पोक्सो एक्ट के तहत एक मामला दर्ज हुआ और उसके बाद से वह जेल में हैं, मामला क्या है यह तो जांच का विषय है और अदालत उसका फैसला करेगी, पर परिवार के लोगों का कहना है कि अभी तक उन पर आरोप तय नहीं हुए हैं.

भाई करना चाहता है समाज सेवा: बात करें तो विपिन की बहन अनिता कुमारी ग्रेजुएट है. विपिन ने ही उसे पढ़ाया है. भाई के लिए वही परीक्षा की तैयारियों में मदद की है. उसी ने फॉर्म भरा था. अनिता बताती है कि कोर्ट से परमिशन के बाद भाई को परीक्षा की अनुमति मिली थी. नियुक्ति पत्र भी लेने के लिए कोर्ट ने परमिशन दिया था. कोर्ट का पूरा परिवार आभारी है.

“कोचिंग संस्थान ने उसके भाई को साजिश के तहत फंसाया है. भाई के ऊपर अभी आरोप सिद्ध नहीं हुआ है. वह ऐसे थे भी नहीं. गांव का हर व्यक्ति, हर महिला उनकी तारीफ ही करेगी. हम गरीब हैं लेकिन मां बहनों की इज्जत मान सम्मान देने वाले हैं. मेरे भाई को झूठे केस में फंसा कर परेशान किया गया है. अब तो अदालत से ही इंसाफ की उम्मीद है.” – अनिता, बहन

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