मां वैष्णो देवी के भक्तों के लिए खुशखबरी, स्काईवॉक से देख सकेंगे वादियों के नजारे, राष्ट्रपति मुर्मू करेंगी उद्घाटन
माता वैष्णो देवी भवन में अत्याधुनिक स्काईवॉक बनकर तैयार हो गया है। जिसका उद्घाटन कल राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू करेंगी। माता वैष्णो देवी के श्रद्धालुओं के लिए अत्याधुनिक स्काईवॉक फ्लाईओवर समर्पित किया जाएगा। 15 करोड़ रुपए की लागत से स्काईवॉक तैयार किया गया है। तीर्थयात्रियों के आड़े-तिरछे आने के कारण भवन में भीड़भाड़ से बचने के उद्देश्य से स्काईवॉक जैसे उपायों के माध्यम से बहु-दिशात्मक रास्ते का निर्णय लिया गया। स्काईवॉक की कुल लंबाई करबी 160-170 मीटर और चौड़ाई 2.5 मीटर होगी और इसमें दो बचाव क्षेत्र होंगे। इस स्काईवॉक फ्लाईओवर में सुरक्षा व्यवस्था का अत्यधिक ध्यान रखा गया है।
लगभग 15 करोड़ रुपये की लागत वाली इस परियोजना का उद्देश्य तीर्थयात्रा को सुव्यवस्थित करना और बीते साल जनवरी में भगदड़ जैसी घटनाओं को रोकना है। स्काईवॉक मौजूदा ट्रैक से 20 फीट की ऊंचाई पर 2.5 मीटर चौड़ा पैदल यात्री फ्लाईओवर होगा और इसमें वेटिंग हॉल, शौचालय और आपातकालीन निकास शामिल होंगे। बढ़ती भीड़ को समायोजित करने के लिए स्काईवॉक की लंबाई 250 मीटर है।
स्काईवॉर फ्लाईओवर की विशेषताएं
स्काईवॉक फ्लाईओवर के अधिकांश हिस्से में वुडन फ्लोर करने के साथ ही मजबूत स्टेनलेस स्टील की दीवार बनाई गई है। तो दूसरी ओर मजबूत शीशे लगाए गए हैं। जिससे श्रद्धालुओं को मां वैष्णो देवी के दर्शन होते रहेंगे। करीब 300 मीटर लंबे इस स्काईवॉक फ्लाईओवर के प्रत्येक 100 मीटर पर आधुनिक प्रतिक्षा हॉल बनाए जा रहे हैं, प्रतिक्षा हॉल में एक ही समय 100 से 200 के करीब श्रद्धालु बैठ सकेंगे। फ्लाईओवर स्काईवॉक के भीतर जगह-जगह एलईडी स्क्रीन लगाए गए हैं। जिससे मां वैष्णो देवी के दर्शन होते रहे। स्काईवॉक फ्लाईओवर के प्रवेश द्वार पर करीब 60 फीट लंबी कृत्रिम गुफा का निर्माण किया गया है।
गुफा के भीतर दोनों और मां वैष्णो देवी के 9 रूपों की मूर्तियां सुसज्जित है। गुफा मे माता वैष्णो देवी के श्लोक तथा मंत्र आदि भी अंकित हैं। स्काईवॉक फ्लाईओवर से मां वैष्णो देवी भवन पर भीड़-भाड़ वाली स्थिति से श्रद्धालुओं को परेशान नहीं होना पड़ेगा। इसमें में वुडन फ्लोरिंग की गई है जिससे श्रद्धालुओं को सर्दी के मौसम में ठंड का सामना ना करना पड़े। क्योकि मां वैष्णो देवी के दर्शनों को जाने के लिए श्रद्धालुओं को नंगे पांव ही भवन और गुफाओं की ओर जाना पड़ता है।
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