मिलिए बंगलुरु की इस 22 वर्षीय ऑटो चालिका येलम्मा से जो आईएएस की तैयारी भी कर रही है
ये कहानी हमे याद दिलाती है कि कुछ लोगों के प्रयास से धीरे-धीरे ही सही पर निश्चित तौर से हमारा समाज अब उस मुकाम पर पहुँचने वाला है, जहाँ स्त्री और पुरुष हर चीज़ में बराबर होंगे। बंगलुरु की भागती भीड़ में एक औरत चुपचाप लोगों की इस धारणा को बदलने में लगी है कि कोई भी पेशा किसी लिंग विशेष के लिए नही होता। और कई पेशे ऐसे हैं जो महिलाओं के लिए भी उतने ही स्वीकार्य हैं जितने की पुरुषो के लिए।
22 वर्षीय येलम्मा अपना गुज़ारा ऑटो रिक्शा चला कर करती है । इसके साथ ही अपने सपनो को पूरा करने के लिए वो आईएएस की तैयारी भी कर रही है। 18 वर्ष की उम्र में ही येलम्मा की शादी जबरन एक फूल वाले से कर दी गयी थी। आज उसके पति इस दुनिया में नही हैं और वो एक बच्चे की माँ है। उसने तय किया कि वह रिश्तेदारों के भरोसे न रह कर अपने और अपने बच्चे की परवरिश खुद करेगी ।
उसने किराए पर एक ऑटोरिक्शा लेकर अपने देवर से रिक्शा चलाना सीखा। उसके औरत होने के कारण ऑटोवाले उसे अपना ऑटो किराए पर देने में हिचकिचाते थे और ज्यादातर लोग मना कर देते थे। आखिरकार एक मैकेनिक, उसे 130 रूपये प्रतिदिन के हिसाब से अपना ऑटो किराए पर देने के लिए तैयार हो गया।
वो अब हर दिन सुबह 6 बजे से रात के 7 बजे तक ऑटो चलाती है। इसी बीच में वह अखबार और पत्रिकाएँ भी बाँटती है। फिलहाल वह बारहवीं की परीक्षा की तैयारी कर रही है। उसका उद्देश्य ‘आई ए एस’ की तैयारी करना है। वो चाहती है कि देश की नौकरशाह प्रणाली का हिस्सा बन कर वह अपने जैसी दूसरी महिलाओं की मदद कर सकेगी।
वो कहती है कि हालाँकि पुरुष ऑटो ड्राईवर उस से खुश नही हैं ( उनका कहना है की येल्लमा उनके ग्राहक छीन लेती है ) पर उसके ग्राहकों में उसे बस उत्सुकता और सदभाव ही मिलता है। वो लोग उसे प्रोत्साहित भी करते हैं और मीटर से अधिक पैसे भी दिया करते हैं। येलम्मा हर दिन लगभग 700 से 800 रूपये कमा लेती है , किराया और इंधन के पैसे भरने के बाद उसके पास लगभग आधे पैसे बचते हैं।
येलम्मा के इस हिम्मत भरे जज्बे को
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