भागलपुर: भ्रमरपुर मणिद्विप की दुर्गा मैया बहुत जागृत है, जानिए मां के दरबार की खासियत
भागलपुर: नारायणपुर प्रखंड के प्रसिद्ध सिद्ध पीठ मणिद्वीप दुर्गा मंदिर भ्रमरपुर शक्ति की देवी की रूप में जाने जाते हैं। यहां के लोगों का मानना है कि जो भी भक्त सच्चे मन से मां की आराधना करते हैं, उनकी मनोकामना पूरी होती है।
दुर्गा पूजा के अलावा यहां पर सालों भर भक्तों का तांता लगा रहता है। यहां बांग्ला पद्धति एवं तांत्रिक पद्धति से मां की पूजा होती है। कलश स्थापना के साथ ही प्रतिदिन पंडित यहां पाठ करते हैं। ज्ञात हो कि दुर्गा मंदिर की स्थापना वीरबन्ना ड्योढी के पूर्वज राजा बाबू भैरव सिंह के द्वारा सन 1684 ई. में किया गया था। बाद में सन 1765 ई.में राजा बाबू भैरव सिंह के दोस्त जागीरदार मनोरंजन झा के द्वारा दुर्गा मंदिर को काली मंदिर के पास से स्थान बदलकर वर्तमान जगह पर किया गया।
उस समय मंदिर मिट्टी दीवाल और फूस से बना हुआ था। सन 1973 ई. में भ्रमरपुर के ग्रामीणों के सहयोग से भव्य मंदिर का निर्माण किया गया। अभी वर्तमान में भी मन्दिर का गुंबज निर्माण कार्य हो रहा है। आज भी जागीरदार मनोरंजन झा के वंशज गिरिश चंद्र झा के परिवार से कलश स्थापना दिवस यानी पहली पूजा से दशमी पूजा तक सन 1890 ई. से ही प्रत्येक दिन एक बलि दी जाती है।
आज भी ड्योढी वीरबन्ना स्टेट के परिजनों द्वारा अष्टमी तिथि को पहली बलि दी जाती है। मंदिर के अंदर गर्भगृह है जहां पर कलश स्थापना की जाती है। भाजपा नेता इंदु भूषण झा ने बताया कि यहां खगड़िया, मधेपुरा, बांका, भागलपुर, बेगूसराय, पूर्णिया, नवगछिया सहित अन्य जिलों से श्रद्धालु खोईछा देने व मनोकामना के लिए आते हैं।
यहां संध्या आरती में एक पूजा से ही लगभग 25 गांव के लोग शामिल होते हैं। दुर्गा मंदिर के पूजा में मुख्य आचार्य अभिमन्यु गोस्वामी होते हैं। प्रतिमा का विसर्जन दुर्गा मंदिर परिसर में ही बने पोखर में किया जाता है।
Discover more from Voice Of Bihar
Subscribe to get the latest posts sent to your email.