BhagalpurBhaktiDharm

नवगछिया का भ्रमरपुर दुर्गा मंदिर जहां नवमी पूजा के दिन दी जाती है भैंसें की बलि; 400 साल पुराना इतिहास

Google news

देश भर में कलश स्थापना के साथ आज दुर्गापूजा का दूसरा दिन बड़े हीं धूमधाम से मनाया जा रहा है. नवगछिया के प्राचीन मंदिरों की कहानियों से हम आपको लगातार रूबरू करा रहे हैं. आज हम आपको सिद्धपीठ मणिद्वीप माँ दुर्गा के दर्शन करा रहे है. भागलपुर के नवगछिया अनुमंडल अंतर्गत भ्रमरपुर गांव में सिद्धपीठ मणिद्वीप मन्दिर स्थित है. इस मंदिर का इतिहास करीब 400 साल पुराना है.

बताया जाता है कि माँ दुर्गे ने ग्रामीण के स्वप्न में आकर मन्दिर स्थापित करने की बात कही थी जिसके बाद से यहाँ मन्दिर की स्थापना की गई. दुर्गा पूजा में 12 घण्टे तक गांव के लोग दुर्गा सप्तशती का पाठ करते हैं. वेदी पर सीमेंट से प्रतिमा बनी हुई है जिसकी पूजा प्रतिदिन होती है वहीं दुर्गापूजा में षष्टी पूजा को प्रतिमा स्थापित की जाती है. तांत्रिक विधि विधान से पूजा अर्चना होती है. नवमी पूजा को भैंसे की बलि दी जाती है इसके बाद करीब तीन हजार छागर की बलि दी जाती है.

दसवीं को मन्दिर के पास बने तालाब में माँ दुर्गे की जयघोष के साथ प्रतिमा विसर्जित की जाती है. भागलपुर समेत आसपास के कई जिलों के लाखों लोग यहां पहुंचते है. 2019 से यहां भव्य मंदिर का निर्माण कराया जा रहा है. दक्षिण भारत के मंदिरों के तर्ज पर भव्य मंदिर और गुम्बज बनाया गया है. जिसपर 90 किलो की पताका स्थापित है. वृंदावन के शिल्पकार ने इसे डिजाइन किया है. ग्रामीण चंदा इक्कठा कर गुम्बज का निर्माण करवा रहे है. मन्दिर में दुर्गा सप्तशती का पाठ मुद्रित किया जाएगा.

बिहार में यह मंदिर काफी प्रसिद्ध है. जो भी यहां सच्चे मन से पहुँचते है उनकी मनोकामना पूरी होती है. मन्दिर की भव्यता प्रतिमा की खूबसूरती देखते बनती है.

क्या कहा पूजा समिति अध्यक्ष ने

पूजा समिति अध्यक्ष हिमांशु दीपक मिश्र ने कहा की भ्रमरपुर दुर्गा मंदिर लगभग 400 वर्ष पुराना है और अद्भुत निर्माण के काल का अद्भुत दृश्य उपस्थित था. जब इस मंदिर का निर्माण हुआ तो ठीक दुर्गा मंदिर के बगल से गंगा नदी बहती थी, आज से 400 वर्ष पहले और 1000 ब्राह्मणों ने स्नान कर के पीले वस्त्र धारण कर के हाथों में गंगा की मिट्टी लेकर पिंडी का निर्माण किया है.

इस लिए दुर्गा मंदिर पिंडी में हीं निवास करती हैं. पहले मूर्ति नही थी, मूर्ति बाद में बनी है, केवल पिंडी की हीं पूजा होती थी. हमारे पूर्वजों ने एक परंपरा चलाई है की गांव का एक एक बच्चा जबतक दुर्गा सप्तशती का पाठ मंदिर में नही करेगा तब तक अन्न और जल ग्रहण नही करता है. यहां सात पूजा के रात में निशा पूजा के दिन निशा बलि पड़ती है और महानवमी के दिन बलिदान होता है, जिसमे हजारों बलि पड़ती है.

क्या कहते है श्रद्धालु

श्रद्धालु उजाला कुमारी ने कहा की यहां पर शुरुआत से हीं अच्छे से पूजा होता है. आरती भी बहुत अच्छा से होता है, शाम में श्रद्धालु आते है पूजा करते है. दूर दूर ले लोग आते है पूजा करने के लिए. कहा जाता है की यहां जो भी मांगा जाता है वो सबकुछ सच हो जाता है.


Discover more from Voice Of Bihar

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

Rajkumar Raju

5 years of news editing experience in VOB.

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *

भागलपुर में खुला पटना का फैमस चिका लिट्टी स्पैम कॉल : दूरसंचार कंपनियों ने 50 संस्थाओं को बैन किया, 2.75 लाख कनेक्शन काटे भागलपुर : युवक का अवैध हथियार लहराते फोटो वायरल भागलपुर में पार्षद नंदिकेश ने तुड़वाया वर्षों से बंद पड़े शौचालय का ताला ‘एक पेड़ माँ के नाम’ अभियान के तहत सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की ओर से स्कूल परिसर में किया पौधारोपण