250 साल पुराना है राजमहल का पगली दुर्गा मंदिर, जानें इसका इतिहास और महत्व
भारत में मां दुर्गा के कई ऐसे मंदिर है, जो रहस्यों से भरपूर है। ऐसे शक्ति पीठ के रूप में प्रसिद्ध मां दुर्गा का मंदिर हैं। यह मंदिर राजमहल प्रखंड के मंडई में स्थित हैं। मान्यता है कि शक्तिपीठ मां पगली दुर्गा के मंदिर में साहिबगंज जिला के साथ, झारखंड, बिहार, पश्चिम बंगाल, व ओडिशा के साथ अन्य प्रदेश के श्रद्धालु मां पगली दुर्गा के मंदिर में दर्शन करने आते हैं।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, मां पगली दुर्गा का यह मंदिर करीब 250 साल से भी अधिक पुराना हैं। धार्मिक मान्यता है कि इस मंदिर में जो भी जातक सच्चे मन से मां पगली दुर्गा से मन्नत मांगता है उसकी मन्नत पूरी हो जाती है। साथ ही उसे मां दुर्गा की कृपा भी प्राप्त होती है। तो आज इस खबर में जानेंगे मां पगली दुर्गा के मंदिर के इतिहास के बारे में और इस मंदिर के महत्व के बारे में।
ब्राह्मण को सपने में दिखाई दी थी मां पगली दुर्गा
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, मंडई क्षेत्र में राजमहल का एक बड़ा हिस्सा निवास करता था, जो मंड के नाम से जाना जाता था। इस स्थान पर सभी प्रकार के वस्तुओं के व्यापारी अपना व्यवसाय करते थे। एक समय ऐसा आया कि मंडई क्षेत्र में प्लेग नामक बीमारी फैल गई। बीमारी इतनी भयानक रूप ले लिया कि लोग उस स्थान से पलायन करने लगे।
प्राचीन मान्यताओं के अनुसार, एक ब्राह्मण परिवार भी प्लेग नामक बीमारी से परेशान होकर मंडई छोड़कर जाने की तैयारी कर रहा था। इसी क्रम में माता रानी ब्राह्मण को एक रात सपने में आकर बताया कि उस गांव में उनकी बेदी बनाकर अच्छी तरह से स्थापित किया जाए। साथ ही पूरे भक्ति भाव से पूजा-अर्चना भी करें। ऐसा करने से सारे कष्ट दूर हो जाएंगे। सपने में बताई गई बातों को ब्राह्मण ने वैसा ही किया। मां का धूम-धाम से पूजा-अर्चना की गई साथ ही कई तरह के पकवान भी चढ़ाए गए।
नवरात्रि के नवमी को मंदिर में पड़ती है बलि
मंदिर की मान्यता है कि नवरात्रि के नवमी तिथि पर प्रत्येक साल यहां 1 हजार से भी अधिक पाठा की बलि दी जाती है। साथ ही दशमी तिथि के दिन मां पगली दुर्गा को बिना किसी शोभा यात्रा निकाले तालाब में विसर्जित कर दिया जाता है। इस स्थान पर प्रत्येक साल नवरात्रि में मेला का आयोजन किया जाता है।
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