भागलपुर में बनकर तैयार है सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, लेकिन अब तक शुरू होने का इंतजार
शहर में बनने वाला सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल एक साल से चालू होने का इंतजार कर रहा है। यह 200 करोड़ का प्रोजेक्ट है। भवन व अन्य मशीनरी समेत करीब 170 करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं। अब राज्य सरकार को 30 करोड़ रुपए देने हैं। इनसे सीटी स्कैन मशीन, फर्नीचर समेत अन्य सामान खरीदे जाने हैं। लेकिन पैसा नहीं मिलने के कारण ये काम अटके हुए हैं।
डॉक्टर, नर्स, टेक्नीशियन व अन्य कर्मचारियों की भी नियुक्ति राज्य सरकार के स्तर से होनी है। यह काम भी नहीं हो रहा है। नतीजा यह है कि गंभीर बीमारियों के मरीजों को इलाज के लिए पटना, सिलीगुड़ी व दिल्ली जाना पड़ रहा है। हर माह सिर्फ मायागंज अस्पताल से ही करीब 200 गंभीर मरीजों को पटना रेफर किया जाता है। आधे मरीजों को सरकारी एंबुलेंस नहीं मिल पाती है। उन्हें सिलीगुड़ी या पटना जाने के लिए आठ हजार रुपये लगते हैं। 2019 से ही अस्पताल का काम चल रहा है। अब तक 6 बार ओपीडी चालू करने की डेडलाइन फेल हो चुकी है। विधायकों ने कहा है कि वे इस मसले को विधानसभा में उठाएंगे। सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल के नोडल पदाधिकारी डॉ. महेश कुमार ने बताया कि बिल्डिंग के हैंडओवर की प्रक्रिया पूरी नहीं हुई है। सीटी स्कैन मशीन और फर्नीचर खरीद के लिए एजेंसी को करीब 30 करोड़ रुपये दिए जाने हैं।
35 स्पेशलिस्ट डॉक्टर की होगी जरूरत
यहां सात विभाग- नेफ्रोलॉजी, यूरोलॉजी, कार्डियोलॉजी, न्यूरो सर्जरी, कार्डियोलॉजी, ट्रामा वार्ड, वरीय नागरिकों के लिए जेरिएट्रिक्स खुलने हैं। जहां विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम मरीजों का इलाज करेगी। ट्रॉमा वार्ड का निर्माण विशेष रूप से हुआ है, ताकि दुर्घटना में घायलों का इलाज तुरंत हो सके। एक विभाग में एक-एक प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर व असिस्टेंट प्रोफेसर की जरूरत होती है। जबकि दो सीनियर रेजिडेंट चाहिए। ऐसे में सात विभागों में 35 स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की जरूरत है। 80 नर्स चाहिए। पारा मेडिकल स्टाफ व अन्य हेल्थ वर्कर को मिलाकर 90 से ज्यादा स्टाफ की जरूरत होगी।
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