विपक्षी दलों की एकता से PM मोदी बेचैन, प्रधानमंत्री के आरोप पर JDU का करारा पलटवार
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विपक्षी दलों को निशाना बनाते हुए कई गंभीर आरोप लगाए हैं और साथ ही उन्होंने बिहार के नेताओं पर भी हमला बोला है. भोपाल में ‘मेरा बूथ-सबसे मजबूत’ कार्यक्रम के जरिए पीएम ने विरोधियों को आड़े हाथों लिया और जमकर प्रहार किया. पीएम मोदी के बयान के बाद नीतीश कैबिनेट के मंत्री और जेडीयू के सीनियर नेता विजय चौधरी ने पलटवार किया है. उनका कहना है कि विपक्षी दलों की एकता से PM मोदी बेचैन हो गए हैं।
पटना में मीडिया से बात करते हुए वित्त मंत्री विजय चौधरी ने कहा कि विपक्षी दलों के सफल बैठक से बीजेपी बेचैन है और पीएम के स्तर से साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण का प्रयास किया जा रहा है. पीएम के स्तर से इस तरह की बात करना ये स्पष्ट करता है कि बीजेपी के नेता परेशान हैं. पीएम के आज के वादे के सवाल पर बोलते हुए विजय चौधरी ने कहा कि हमलोगों ने देखा कि कर्नाटक चुनाव फूलों की बारिश करवाई गई थी. जितने क्विंटल फूलों की बारिश की गई..बीजेपी को चुनाव मे उतनी सीटें भी नहीं मिली. वे चुनाव के पहले जो वादे और दावे करतें हैं, चुनाव परिणाम में वे सारे वादे और दावे हवा हो जाते हैं।
वहीं परिवारवाद और भ्रष्टाचार के मुद्दे पर पीएम के संबोधन पर विजय चौधरी ने कहा कि ये पुरानी बातें हैं. ये लोग पहले से ही ये इन मुद्दों पर बोलते रहें हैं. इसमें कुछ नया नहीं है. पहले ये कहते थे कि विपक्षी दल एक साथ बैठ ही नहीं सकते हैं और ऩीतीश की पहल पर जब विपक्षी दल एक साथ बैठें हैं तो इनकी बेचैनी बढ़ी है. इसलिए वह इस तरह की बातें कर रहे हैं।
विजय चौधरी ने कहा कि पीएम के स्तर से इस तरह की बातें की जा रही हैं, जिससे की समाज में साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण हो, पर देश की जनता अब इनकी चाल समझ चुकी है. भावना भड़काकर वोट लेने के इनके एजेंडे में अब वो नहीं आने वाली है और आने वाले 2024 को लेकसभा चुनाव में जनता इन्हें अपने मुद्दों का हिसाब लेते हुए जोरदार झटका देगी।
बता दें कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को भोपाल में ‘मेरा बूथ-सबसे मजबूत’ कार्यक्रम के जरिए विरोधियों को आड़े हाथों लिया और जमकर प्रहार किया. 10 लाख बीजेपी कार्यकर्ताओं से वर्चुअली संवाद के दौरान पीएम मोदी ने विपक्षी एकता की बैठक पर भी सीधा निशाना साधा. बिहार का जिक्र करते हुए पीएम ने कहा कि बिहार में कुछ जातियों पर ही विशेष ध्यान दिया गया और कई जातियों की घोर उपेक्षा की गई. बिहार को दलित-महादलित जातियों में बांट दिया गया. इस तुष्टिकरण की नीति से समाज को ही नुकसान हुआ है।
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