“इंजीनियर बनकर भी घर में बैठा है” लोग देते थे ताना; कितना बड़ा मकसद लेकर जी रहे थे, ऐसे साबित कर दिया
नालंदा :- उत्कर्ष गौरव नालंदा के भागन बीघा के अमरगांव के रहने वाले हैं. उनके पिता किसान और मां हाउसवाइफ हैं. उत्कर्ष ने बेंगलुरु से 2018 मैकेनिकल इंजीनियरिंग की, इसके बाद वह घर लौट गए. घर पर ही रहकर साल 2019 में उन्होंने सिविल सर्विस एग्जाम की तैयारी शुरू की. हालांकि, उन्हें लगातार तीन बार इस एग्जाम में असफलता हाथ लगी. साल 2022 में उनका चौथा अटैम्प्ट था, जिसमें मेंस और इंटरव्यू तक वह पहली बार पहुंचे. इस बार सभी राउंड्स को क्लियर करके उत्कर्ष ने सक्सेस हासिल की.
सोशल मीडिया का लिमिटेड किया यूज
उत्कर्ष गौरव ने बताया कि तैयारी की शुरुआत में इसका इस्तेमाल करना कम कर दिया था, क्योंकि ज्यादा समय देने से ध्यान भटकता है. लोगों से जुड़े रहने के लिए फोन कॉल का उपयोग करते थे. यू-ट्यूब की हेल्प से 4 घंटे तक सामान्य ज्ञान, ज्योग्रॉफी (वैकल्पिक विषय) के नोट्स बनाने के लिए ऑनलाइन पढ़ाई की.
सेल्फ स्टडी के साथ की ऑनलाइन तैयारी
उत्कर्ष गौरव ने बताया कि 8 महिने की कोचिंग के बाद कोरोना के चलते घर लौटना पड़ा. उन्होंने कहा कि दिल्ली से तैयारी करने में खर्च बहुत आता है . घर में रहने से पैसे और समय दोनों की बचत हुई. वहीं, ऑनइलान स्टडी करके उन्होंने तैयारी पूरी की. इंटरव्यू के समय दिल्ली में रहकर 7 मॉक इंटरव्यू दिए और वापस घर आ गए थे.
गांव वाले देते थे ताना
उत्कर्ष गौरव ने कहा, “सबसे पहले तो UPSC की तैयारी के लिए दृढ़ इच्छा होनी चाहिए. जब तीसरे प्रयास में मैं प्रीलिम्स भी पास नहीं कर पाया तो पूरी तरह टूट चुका था. गांव में लोग कहते थे कि इंजीनियरिंग करके बैठा हुआ है, लेकिन घर वालों ने समझाया और हार नहीं मानने दी. इसके बाद मैंने यूपीएससी क्रैक करने का ठान लिया.”
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